श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 10: विभूति योग | Bhagwat Geeta Chapter 10
श्रीमद्भागवत गीता का दसवां अध्याय “विभूति योग” कहलाता है। इस अध्याय में भगवान श्रीकृष्ण अपनी दिव्य विभूतियों (अर्थात् श्रेष्ठ शक्तियों, विशेषताओं और …
श्रीमद्भागवत गीता का दसवां अध्याय “विभूति योग” कहलाता है। इस अध्याय में भगवान श्रीकृष्ण अपनी दिव्य विभूतियों (अर्थात् श्रेष्ठ शक्तियों, विशेषताओं और …
श्रीमद्भागवत गीता का नवां अध्याय “राज विद्या योग” कहलाता है। यह गीता का एक अत्यंत महत्वपूर्ण अध्याय है। “राजविद्या” का अर्थ है …
श्रीमद्भागवत गीता का आठवां अध्याय “अक्षर ब्रह्म योग” कहलाता है। यह परमात्मा की प्राप्ति, योग, ध्यान, और अंतकाल में भगवान के स्मरण …
श्रीमद्भागवत गीता का सातवाँ अध्याय “ज्ञान विज्ञान योग” कहलाता है। इस अध्याय में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को परम सत्य, उनकी दिव्य प्रकृति, और भक्ति …
श्रीमद्भागवत गीता का छठा अध्याय “ध्यानयोग” कहलाता है। गीता का छठा अध्याय – ध्यान योग, आत्मा की खोज, मन की एकाग्रता और …
श्रीमद्भागवत गीता का पांचवा अध्याय “कर्म संन्यास योग” कहलाता है। यह अध्याय कर्मयोग और संन्यास योग के बीच सामंजस्य स्थापित करने पर …
श्रीमद्भागवत गीता का चौथा अध्याय “ज्ञान कर्म संन्यास योग” कहलाता है। यह अध्याय कर्मयोग और ज्ञानयोग के बीच संतुलन स्थापित करते हुए यह सिखाता …
श्रीमद्भागवत गीता का तीसरा अध्याय “कर्म योग” कहलाता है। यह मानव जीवन में कर्म के महत्व और निष्काम कर्म की अवधारणा को स्पष्ट करता …
श्रीमद्भागवत गीता का दूसरा अध्याय “सांख्य योग” कहलाता है। यह गीता का आधारभूत अध्याय माना जाता है। “सांख्य” शब्द का अर्थ है ज्ञान या …
श्रीमद्भागवत गीता का पहला अध्याय “अर्जुन विषाद योग” कहलाता है। यह अध्याय महाभारत के युद्ध के ठीक पहले की स्थिति का वर्णन …