क्षेमकरी माता मंदिर भीनमाल | Kshemkari Mata Temple Bhinmal

राजस्थान के जालौर जिले के भीनमाल स्थित क्षेमकरी माता मंदिर एक प्रसिद्ध प्राचीन धार्मिक स्थल है, जो माता दुर्गा के अवतार क्षेमकरी माता को समर्पित है। और इसे खीमज माता के नाम से भी जाना जाता है। स्थानीय भाषाओं में क्षेमज, खीमज, खींवज आदि नामों से भी पुकारा और जाना जाता है।

क्षेमकरी माता मंदिर भीनमाल (Kshemkari Mata Temple Bhinmal)

मंदिर का नाम:-क्षेमकरी माता मंदिर (Kshemkari Mata Temple Bhinmal)
स्थान:-भीनमाल, जिला जालौर, राजस्थान
समर्पित देवता:-क्षेमकरी माता (दुर्गा माता का अवतार)
निर्माण वर्ष:-प्राचीन मंदिर (सटीक तिथि अज्ञात, लोक मान्यताओं पर आधारित)
प्रसिद्ध त्यौहार:-नवरात्री

क्षेमकरी माता मंदिर भीनमाल का इतिहास

क्षेमकरी माता मंदिर का इतिहास पौराणिक कथाओं और ऐतिहासिक घटनाओं पर आधारित है।

पौराणिक कथा और उत्पत्ति

क्षेमकरी माता मंदिर की उत्पत्ति एक पौराणिक कथा से जुड़ी है, जो इस क्षेत्र की रक्षा और शांति की कहानी बताती है। किवदंती के अनुसार प्राचीन समय में इस क्षेत्र में उत्तमौजा नामक एक दैत्य (राक्षस) रहता था। जो रात्री के समय बड़ा आतंक मचाता था। राहगीरों को लूटने, मारने के साथ ही वह स्थानीय निवासियों के पशुओं को मार डालता, जलाशयों में मरे हुए मवेशी डालकर पानी दूषित कर देता, पेड़ पौधों को उखाड़ फैंकता था। इससे इस क्षेत्र के लोगों में भय का वातावरण व्याप्त था।

इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए, स्थानीय लोगों ने ऋषि गौतम की मदद मांगी। ऋषि गौतम ने सवित्री मंत्र की शक्ति से एक विशाल अग्नि प्रज्वलित की, और इससे देवी क्षेमकरी प्रकट हुईं थी। ऋषि गौतम की प्रार्थना पर, देवी ने पहाड़ को उखाड़ दिया और उस क्षेत्र के लोगों को उस राक्षस के आतंक से मुक्त करने के लिए राक्षस उत्तमौजा के ऊपर रख दिया था। कहा जाता है कि उस दैत्य (राक्षस) को वरदान मिला हुआ था वह कि किसी अस्त्र-शस्त्र से नहीं मरेगा।

लेकिन क्षेत्रवासी इतने से संतुष्ट नहीं थे, उन्हें दैत्य की पहाड़ के नीचे से निकल आने आशंका थी, तो क्षेत्रवासियों ने देवी से प्रार्थना की कि वह उस पर्वत पर विराजमान जाये जहाँ वर्तमान में देवी का मंदिर बना हुआ है तथा उस पहाड़ी के नीचे दैत्य दबा हुआ है। इस घटना के बाद, देवी क्षेमकरी की पूजा के लिए मंदिर का निर्माण उसी स्थान पर किया गया, जहां वे पहाड़ी पर विराजमान हुईं थी। यह कथा मंदिर को एक रक्षात्मक और आध्यात्मिक महत्व प्रदान करती है, जो क्षेत्र की सुरक्षा और शांति का प्रतीक है।

ऐतिहासिक महत्व और राजवंशीय संबंध

मंदिर का ऐतिहासिक महत्व प्रतिहार राजवंश से जुड़ा है। कश्मीर के प्रतिहार शासक जगधाम (जगा) भयंकर कुष्ठ रोग से पीड़ित थे। तीर्थयात्रा के दौरान उन्हें श्रीमाल पाटन (अब भीनमाल) लाया गया। जब वे भीनमाल के दक्षिण में स्थित नागा बाबा के बगीचे में विश्राम कर रहे थे, तब एक कुत्ता नागा बाबा के बगीचे में नदी की कीचड़ में लोट रहा था, राजा के पास गया और फड़फड़ाया। इससे गीली मिटटी के कुछ कण राजा के पांव पर पड़े तो देखा कि जहाँ-जहाँ कीचड़ गिरा वहां कुष्ठ रोग ठीक हो गया।

उस समय राजा को उस कुएं की कीचड़ में स्नान कराया गया तो राजा को कोढ़ से मुक्ति मिल गई। इस चमत्कार से प्रभावित होकर, राजा जगधाम ने भीनमाल पर शासन स्थापित किया और क्षेमकरी माता को प्रतिहार वंश की कुलदेवी घोषित किया। उन्होंने मंदिर के समीप तालाब का जीर्णोद्धार करवाया और भीनमाल शहर की सुरक्षा के लिए एक विशाल और मजबूत परकोटा का निर्माण करवाया था।

12वीं सदी में, देवड़ा चौहानों ने प्रतिहारों को पराजित किया और भीनमाल पर अधिकार कर लिया। इसके बाद, चौहान वंश ने भी क्षेमकरी माता को अपनी कुलदेवी के रूप में पूजा, जिससे मंदिर का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व और बढ़ गया। देवी की प्राचीन मूर्ति के स्थान पर स्थापित वर्तमान मूर्ति 1935 में स्थापित की गई थी, जिसके चार पंख हैं। इस गोद में अमर ज्योति, चक्र, त्रिशूल और खंड रखा जाता है।  

क्षेमकरी माता मंदिर भीनमाल की वास्तुकला और संरचना

क्षेमकरी माता मंदिर की वास्तुकला मध्ययुगीन काल की है, जो उस समय की कलात्मक परंपराओं को दर्शाती है। मंदिर भीनमाल, जालौर जिले, राजस्थान में एक पहाड़ी पर स्थित है, तथा मंदिर तक आप पैदल सीढ़ियों द्वारा या सड़क से वाहन द्वारा जा सकते हो।

मंदिर के गर्भगृह में माता क्षेमकरी (खीमज माता) की चार भुजाओं वाली मूर्ति स्थापित है। देवी की मूर्ति के दाहिनी ओर काल भैरव और भगवान गणेश की मूर्तियां हैं और बाईं ओर गोरा भैरू और अंबाजी की मूर्तियां हैं। मंदिर परिसर में एक विशाल त्रिशूल स्थापित की गई है।

मंदिर के गर्भगृह में स्थापित माता क्षेमकरी (खीमज माता) मूर्ति
मंदिर के गर्भगृह में स्थापित माता क्षेमकरी (खीमज माता) मूर्ति

क्षेमकरी माता मंदिर भीनमाल तक कैसे पहुँचें?

मंदिर का स्थान: क्षेमकरी माता मंदिर भीनमाल, जालौर जिला, राजस्थान में स्थित है।

मंदिर तक पहुँचने के तरीकों का विस्तृत विवरण यहाँ दिया गया है:

  • हवाई मार्ग: निकटतम हवाई अड्डे जोधपुर हवाई अड्डा (Jodhpur Airport) है, जो मंदिर से लगभग 179 किलोमीटर दूर है, और दूसरा विकल्प डबोक हवाई अड्डा (Dabok Airport) है, जो उदयपुर के पास स्थित है और मंदिर से लगभग 190 किलोमीटर दूर है। एयरपोर्ट से आप टैक्सी, बस या स्थानीय परिवहन साधन से भीनमाल तक पहुँच सकते है।
  • रेल मार्ग: मंदिर तक पहुँचने के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन मारवाड़ भीनमाल रेलवे स्टेशन (Marwar Bhinmal Railway Station) है। स्टेशन पर उतरने के बाद, आप ऑटो-रिक्शा, टैक्स, या अन्य लोकल ट्रांसपोर्ट सेवाओं का उपयोग करके भीनमाल शहर तक पहुँच सकते हैं। फिर, मंदिर तक की 3 किलोमीटर की दूरी पैदल या स्थानीय वाहन से तय करें।
  • सड़क मार्ग: मंदिर सड़क मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है, जो इसे निजी वाहन, बसों और टैक्सी से पहुँचने के लिए उपयुक्त बनाता है। भीनमाल राष्ट्रीय राजमार्ग 15 (NH-15) पर स्थित है, जो इसे पास के शहरों और कस्बों से जोड़ता है। प्रमुख शहरों से दूरी निम्नलिखित है:
    • जोधपुर से लगभग 179 किलोमीटर
    • जालौर से लगभग 59 किलोमीटर
    • उदयपुर से लगभग 190 किलोमीटर
    • अहमदाबाद से लगभग 245 किलोमीटर