श्रीखेतेश्वर ब्रह्मधाम तीर्थ, राजस्थान के बाड़मेर जिले के आसोतरा गाँव में स्थित एक पवित्र धार्मिक स्थल है, जो भगवान ब्रह्मा और उनकी पत्नी सावित्री को समर्पित है। यह विश्व का दूसरा सबसे बड़ा ब्रह्मा मंदिर है, जो पुष्कर के ब्रह्मा मंदिर के बाद आता है, और एकमात्र ऐसा मंदिर है जहाँ ब्रह्मा और सावित्री की संयुक्त प्रतिमाएँ स्थापित हैं। इस मंदिर को संत श्री 1008 खेतारामजी महाराज ने स्थापित किया था।
श्रीखेतेश्वर ब्रह्मधाम तीर्थ आसोतरा (Shri Kheteshwar Brahmadham Teerth Asotra)
मंदिर का नाम:- | श्रीखेतेश्वर ब्रह्मधाम तीर्थ (Shri Kheteshwar Brahmadham Teerth) |
स्थान:- | आसोतरा गाँव, तहसील बालोतरा, जिला बाड़मेर, राजस्थान |
समर्पित देवता:- | भगवान ब्रह्मा और उनकी पत्नी सावित्री |
निर्माण वर्ष:- | मंदिर की नींव: 20 अप्रैल 1961 (विक्रम संवत 2018, वैशाख शुक्ल पंचमी) प्राण-प्रतिष्ठा: 6 मई 1984 (विक्रम संवत 2041, वैशाख शुक्ल पंचमी) |
निर्माता:- | संत श्री खेतारामजी महाराज |
प्रसिद्ध त्यौहार:- | बरसी महोत्सव, खेतेश्वर जन्मोत्सव, महाशिवरात्री |
श्रीखेतेश्वर ब्रह्मधाम तीर्थ आसोतरा का इतिहास
श्री खेतेश्वर ब्रह्मधाम तीर्थ आसोतरा की स्थापना संत श्री खेताराम जी महाराज के अथक प्रयासों और दूरदृष्टि का परिणाम है। उनका जीवन आध्यात्मिक साधना और समाज सेवा का एक अनुपम संगम था।
संत श्री खेताराम जी महाराज का जन्म 22 अप्रैल 1912 को वैशाख शुद्धि पंचमी को सांचोर के बिजरौल खेड़ा गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम श्री शेर सिंह जी राजपुरोहित और माता का नाम श्रीमती सिनगारी देवी था, और उनकी गोत्र उदेच राजपुरोहित थी। उनका परिवार मूलरूप से पचपदरा तहसील के सराणा गांव का निवासी था। उस समय पश्चिमी राजस्थान में पड़ने वाले भीषण अकाल के कारण उनका परिवार आजीविका की तलाश में खेड़ा प्रवास कर गया था। बाद में, जब फसल अच्छी हुई, तो वे पुनः अपने पैतृक गांव सराणा लौट आए।
बचपन से ही संत खेताराम जी की भक्ति और आध्यात्मिक कार्यों में गहरी रुचि थी। 12 वर्ष की आयु में, उन्होंने सन्यास लिया और भगवान ब्रह्मा को अपना इष्ट-देवता बनाया था। गृह त्याग के उपरांत, उन्होंने अपनी प्रथम तपस्या पीपलिया नामक स्थान पर की, जिसे एक सिद्ध भूमि माना जाता है। खेतारामजी ने राजपुरोहित समुदाय को संगठित करने और आध्यात्मिकता को बढ़ावा देने के लिए आसोतरा गाँव को चुना, क्योंकि यह राजपुरोहित-प्रधान क्षेत्रों के मध्य में स्थित है। जिन्होंने इस समाज के उत्थान और मार्गदर्शन के लिए अपना संपूर्ण जीवन समर्पित कर दिया था।
मंदिर की नींव 20 अप्रैल 1961 (विक्रम संवत 2018, वैशाख शुक्ल पंचमी) को रखी गई। मंदिर निर्माण के लिए उन्होंने गाँव-गाँव यात्रा की और मुकुंद घोड़े पर सवार होकर धन एकत्र किया। श्री गुड़ानाल के पद्मरामजी सोढ़ा ने आय-व्यय का हिसाब रखा। यह एक विशाल परियोजना थी जिसका निर्माण कार्य लगातार 24 वर्षों चला था। मंदिर निर्माण के दौरान कई चमत्कारिक कथाएँ जुड़ी हैं। एक कथा के अनुसार, ब्रह्मा की मूर्ति बनाने में कई बार असफलता मिली, क्योंकि सावित्री के श्राप के कारण मूर्ति टूट जाती थी। खेतारामजी ने अपनी दिव्य शक्ति से सावित्री को प्रसन्न किया, जिसके बाद मूर्ति निर्माण सफल हुआ।
मंदिर का संपूर्ण निर्माण कार्य पूर्ण होने के पश्चात, 6 मई 1984 (वैशाख शुक्ल पंचमी) को संत श्री खेताराम जी महाराज के कर कमलों से ही इस मंदिर की भव्य प्राण प्रतिष्ठा संपन्न हुई थी। मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा के एक दिन बाद संत खेताराम जी महाराज 7 मई 1984 को दोपहर 12:36 बजे पंचतत्व में विलीन हो गए थे। वर्तमान में मंदिर का रखरखाव श्रीखेतेश्वर ब्रह्मधाम तीर्थ ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
श्रीखेतेश्वर ब्रह्मधाम तीर्थ आसोतरा की वास्तुकला और संरचना
श्रीखेतेश्वर ब्रह्मधाम तीर्थ मंदिर की मुख्य संरचना जोधपुर के लाल पत्थरों से बनी है, और मुख्य प्रवेश द्वार जैसलमेरी पत्थर से बना है। मूर्तियाँ, विशेष रूप से भगवान ब्रह्मा और सावित्री की, मकराना के संगमरमर से बनी हैं। मंदिर की वास्तुकला में जटिल नक्काशी है, जो राजस्थानी शिल्पकला को दर्शाती है।

श्रीखेतेश्वर ब्रह्मधाम तीर्थ परिसर में स्थित मंदिर तथा अन्य संरचना:
- ब्रह्माजी का मंदिर: यह श्रीखेतेश्वर ब्रह्मधाम तीर्थ परिसर का मुख्य मंदिर है, जिसका निर्माण मुख्य रूप से जोधपुर के लाल पत्थरों से किया गया है, जो राजस्थान की पारंपरिक स्थापत्य शैली की पहचान है। मंदिर की नींव 51 फीट गहरी है, जो इसकी भव्यता और स्थिरता को दर्शाती है। मंदिर के निर्माण में कुल 24 वर्ष लगे थे। मंदिर के गर्भगृह में भगवान ब्रह्मा और सावित्री की मूर्तियाँ स्थापित है, जो मकराना के सफेद संगमरमर से बनी हैं। यह मंदिर विश्व का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहाँ ब्रह्मा जी की मूर्ति उनकी पत्नी सावित्री के साथ स्थापित है। ब्रह्माजी के मन्दिर के चारों तरफ 8 ऋषि मूर्तियां श्री उद्दालकजी, श्री वशिष्ठजी, श्री कश्यपजी, श्री परासरजी, श्री गौतमजी, श्री पिप्लादजी, श्री शाण्डिल्यजी व श्री भरद्वाजजी की मूर्तिंया स्थापित है। 4 सनकादिक सनक, सनन्दन, सनातन एवं सनत कुमार है।
- श्री वैकुण्ठधाम (समाधि स्थल): इस परिसर में श्री खेताराम जी महाराज का समाधि स्थल, जिसे श्री वैकुण्ठधाम के नाम से जाना जाता है। इसका निर्माण श्री खेताराम जी महाराज की मृत्यु के बाद 16 मई 1994 को किया गया था। मंदिर के अंदर अखंड ज्योति मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा से ही लगातार प्रज्वलित है।
- शिवधुणा: शिवधुणा ब्रह्माजी मंदिर से पहले 1962 से ही अस्तित्व में है। खेतारामजी महाराज इसी स्थान पर बैठकर ध्यान लगाते थे तथा साधना करते थे। खेतारामजी महाराज के ब्रह्मलीन होने बाद उनकी चरण पादुका भी इसी धूणे में रखी गयी जिसकी पूजा होती है।
- लक्ष्मीनारायण मंदिर: ब्रह्माजी के मन्दिर परिसर में अन्दर ही मंदिर के पास लक्ष्मीनारायण मंदिर भी स्थित है जिसका निर्माण श्री खेतारामजी महाराज के द्वारा ही ब्रह्म मंदिर के साथ करवाया गया था।
- शिव मंदिर: ब्रह्माजी के मन्दिर परिसर में ही लक्ष्मीनारायण मंदिर के पास शिव मंदिर स्थित है, जिसका निर्माण श्री खेतारामजी महाराज के द्वारा ही ब्रह्म मंदिर के साथ करवाया गया था। इस मंदिर में शिवलिंग, पार्वती, गजानन्दजी और नन्दी की प्रतिमा है।
- ब्रह्म सरोवर: यह एक विशाल और पवित्र सरोवर है, जिसका निर्माण संत श्री खेताराम जी महाराज के प्रयासों से हुआ था। यह सरोवर परिसर की सुंदरता में चार चाँद लगाता है और धार्मिक अनुष्ठानों के लिए भी उपयोग होता है।
- मुकुन्द समाधि: खेतारामजी अपने घोड़े को मुकुन्द नाम से बुलाते थे खेतारामजी महाराज के ब्रह्मलीन होने पर मुकुन्द को स्वतः ही इसकी जानकारी हो गयी थी। तो मुकुन्द ने अन्न, पानी छोड़ दिया और खेतारामजी महाराज के ब्रह्मलीन होने के 11 दिन बाद ही मुकुन्द ने अपने प्राण त्याग दिये थे। यहां मुकुन्द घोड़े को समाधि दी गयी तथा उसके ऊपर समाधि स्थल बनया गया जिस पर आज भी मुकुन्द घोड़े की मूर्ति स्थापित की गयी है।

श्रीखेतेश्वर ब्रह्मधाम तीर्थ आसोतरा परिसर में गोशाला, धर्मशाला, शिक्षण संस्थान और भोजनशाला भी है।
श्रीखेतेश्वर ब्रह्मधाम तीर्थ आसोतरा तक कैसे पहुँचें?
मंदिर का स्थान: श्रीखेतेश्वर ब्रह्मधाम तीर्थ राजस्थान के बाड़मेर जिले की पचपदरा तहसील में आसोतरा गाँव में स्थित है।
यहाँ तक पहुँचने के लिए सड़क, रेल, और हवाई मार्ग के विभिन्न विकल्प उपलब्ध हैं, जिनकी विस्तृत जानकारी नीचे विस्तार पूर्वक दी गई है:
- सड़क मार्ग: सड़क मार्ग मंदिर तक पहुँचने का सबसे आम और सुविधाजनक तरीका है, विशेष रूप से बालोतरा और बाड़मेर से। आसोतरा बालोतरा से लगभग 11 किलोमीटर दूर है। आप बालोतरा से टैक्सी, बस, या स्थानीय परिवहन का उपयोग करके आसानी से मंदिर तक पहुँच सकते हैं। बाड़मेर से आसोतरा की दूरी लगभग 65 किलोमीटर है। आप बाड़मेर से टैक्सी, बस या स्थानीय परिवहन से मंदिर तक पहुँच सकते हैं।
- रेल मार्ग: रेल मार्ग से यात्रा करने वालों के लिए बालोतरा जंक्शन निकटतम रेलवे स्टेशन है, जो आसोतरा से लगभग 11 किलोमीटर दूर है। स्टेशन से आप टैक्सी, बस, या स्थानीय परिवहन से आसोतरा तक पहुँच सकते हैं।
- हवाई मार्ग: हवाई यात्रा के लिए बाड़मेर में कोई हवाई अड्डा नहीं है, लेकिन निकटतम हवाई अड्डा जोधपुर हवाई अड्डा है, जो आसोतरा से लगभग 100 किलोमीटर दूर है। जोधपुर हवाई अड्डे से टैक्सी, बस या अन्य स्थानीय परिवहन से आसोतरा तक जा सकते हैं।