जैसलमेर, राजस्थान का सबसे बड़ा जिला, थार मरुस्थल में बसा हुआ है और अपनी सुनहरी रेत व पीले बलुआ पत्थर की वास्तुकला के कारण ‘स्वर्ण नगरी’ के नाम से प्रसिद्ध है। 1156 ई. में भाटी राजपूत रावल जैसल द्वारा स्थापित यह शहर अपनी समृद्ध सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत के लिए जाना जाता है।
जैसलमेर के मंदिर जैन, हिंदू, शक्ति और लोक परंपराओं का अनूठा संगम प्रस्तुत करते हैं, जो भक्तों और पर्यटकों को समान रूप से आकर्षित करते हैं। यहाँ के जैन मंदिर अपनी उत्कृष्ट वास्तुकला के लिए विश्वविख्यात हैं, जबकि तनोट माता और रामदेवरा जैसे मंदिर ऐतिहासिक और लोक महत्व रखते हैं।
जैसलमेर के प्रसिद्ध मंदिर कौन कौन से है? (Famous Temple in Jaisalmer)
यहाँ पर जैसलमेर के प्रसिद्ध और लोकप्रिय मंदिरो की लिस्ट (Jaisalmer temple list) दी गई है:
तनोट माता मंदिर (Tanot Mata Temple)

मंदिर का नाम:- | तनोट माता मंदिर (Tanot Mata Temple) |
स्थान:- | तनोट गांव, जैसलमेर जिला, राजस्थान (भारत-पाक सीमा के निकट) |
समर्पित देवता:- | तनोट माता (हिंगलाज माता का अवतार) |
निर्माण वर्ष:- | 8वीं शताब्दी |
प्रसिद्ध त्यौहार:- | नवरात्रि, 16 दिसंबर (लोंगेवाला विजय दिवस) |
तनोट माता मंदिर, राजस्थान के जैसलमेर जिले में भारत-पाकिस्तान सीमा के निकट तनोट गाँव में स्थित एक प्रसिद्ध धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल है। यह मंदिर तनोट माता को समर्पित है, जिन्हें देवी हिंगलाज का अवतार और सैनिकों की रक्षक माना जाता है। भारत-पाक युद्ध के दौरान इस मंदिर से जुड़े चमत्कारी किस्सों ने इसे पूरे देश में ख्याति दिलाई।
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रामदेवरा मंदिर (Ramdevra Temple)

मंदिर का नाम:- | रामदेवरा मंदिर (Ramdevra Temple) |
स्थान:- | रामदेवरा, जैसलमेर, राजस्थान (पोखरण से 12 किलोमीटर) |
समर्पित देवता:- | बाबा रामदेवजी (रामसा पीर) |
निर्माण वर्ष:- | 1459 ई. में समाधि; 1931 में महाराजा गंगा सिंह द्वारा मंदिर निर्माण |
प्रसिद्ध त्यौहार:- | रामदेवरा मेला (भाद्रपद शुक्ल पक्ष द्वितीया से एकादशी) |
रामदेवरा मंदिर, राजस्थान के जैसलमेर जिले में पोखरण से लगभग 12 किलोमीटर उत्तर में स्थित एक प्रमुख धार्मिक और सांस्कृतिक स्थल है। यह मंदिर लोकदेवता बाबा रामदेवजी को समर्पित है, जिन्हें हिंदू भक्त भगवान कृष्ण का अवतार और मुस्लिम भक्त “रामसा पीर” के रूप में पूजते हैं। मंदिर को “रुणिचा धाम” के नाम से भी जाना जाता है, जो इसका प्राचीन नाम है। यह स्थान साम्प्रदायिक सौहार्द का प्रतीक है, क्योंकि यहाँ हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों के भक्त आस्था के साथ आते हैं। हर साल भाद्रपद माह (अगस्त-सितंबर) में यहाँ विशाल मेला लगता है, जिसमें लाखों श्रद्धालु भाग लेते हैं।
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लौद्रवा जैन मंदिर (Lodhurva Jain Temple)

मंदिर का नाम:- | लौद्रवा जैन मंदिर (Lodhurva Jain Temple) |
स्थान:- | लौद्रवा, जैसलमेर, राजस्थान (जैसलमेर शहर से 15 किलोमीटर) |
समर्पित देवता:- | भगवान पार्श्वनाथ (23वें जैन तीर्थंकर) |
निर्माण वर्ष:- | 9वीं शताब्दी; पुनर्निर्माण विक्रम संवत 1675 (1618 ई.) |
प्रसिद्ध त्यौहार:- | महावीर जयंती, पार्श्वनाथ जन्मकल्याणक |
लौद्रवा जैन मंदिर, राजस्थान के जैसलमेर जिले में स्थित एक प्राचीन और ऐतिहासिक जैन तीर्थस्थल है। यह मंदिर श्वेतांबर जैन संप्रदाय को समर्पित है और भगवान पार्श्वनाथ (23वें जैन तीर्थंकर) की पूजा के लिए प्रसिद्ध है। लौद्रवा, 8वीं-9वीं शताब्दी में भाटी राजवंश की राजधानी के रूप में जाना जाता था, और यह मंदिर उस समय की समृद्धि और सांस्कृतिक वैभव का प्रतीक है। अपनी जटिल नक्काशी, पीले बलुआ पत्थर की वास्तुकला, और ऐतिहासिक महत्व के कारण, यह मंदिर जैन श्रद्धालुओं और पर्यटकों दोनों के लिए एक प्रमुख आकर्षण है।
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लक्ष्मीनाथ मंदिर (Laxminath Temple)

मंदिर का नाम:- | लक्ष्मीनाथ मंदिर (Laxminath Temple) |
स्थान:- | जैसलमेर किला, जैसलमेर, राजस्थान |
समर्पित देवता:- | भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी |
निर्माण वर्ष:- | 1494 ई. (राव लूणकरन के शासनकाल में) |
प्रसिद्ध त्यौहार:- | जन्माष्टमी, रामनवमी, निर्जला एकादशी |
लक्ष्मीनाथ मंदिर, जैसलमेर के ऐतिहासिक ‘सोनार किला’ के भीतर स्थित एक प्राचीन और महत्वपूर्ण हिंदू मंदिर है। यह मंदिर भगवान विष्णु और उनकी पत्नी देवी लक्ष्मी को समर्पित है, जो समृद्धि और संरक्षण की प्रतीक हैं। जैसलमेर के सबसे पुराने मंदिरों में से एक होने के कारण, यह स्थानीय लोगों और तीर्थयात्रियों के लिए आस्था का केंद्र है। अपनी साधारण लेकिन आकर्षक वास्तुकला और धार्मिक महत्व के साथ, मंदिर पर्यटकों को भी आकर्षित करता है। जैसलमेर किला, जो यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल का हिस्सा है, इस मंदिर को एक अनूठा ऐतिहासिक और सांस्कृतिक वातावरण प्रदान करता है।
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भादरिया राय माता मंदिर (Bhadariya Rai Mata Temple)

मंदिर का नाम:- | भादरिया राय माता मंदिर (Bhadariya Rai Mata Temple) |
स्थान:- | भादरिया गाँव, पोकरण, ज़िला जैसलमेर, राजस्थान |
समर्पित देवता:- | भादरिया राय माता (माता आवड़/स्वांगियां माता, भाटी राजपूतों की कुलदेवी) |
निर्माण वर्ष:- | विक्रम संवत् 1885 ( लगभग 1828 ईस्वी), महारावल गजसिंह द्वारा |
प्रसिद्ध त्यौहार:- | नवरात्रि (चैत्र और शारदीय) |
भादरिया राय माता मंदिर, जिसे आवड़ माता या स्वांगियां माता मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, जैसलमेर का एक प्रमुख धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल है। यह मंदिर भादरिया गाँव, तहसील पोकरण, ज़िला जैसलमेर में स्थित है। यह मंदिर अपनी शांतिपूर्ण वातावरण, चमत्कारिक कथाओं, और नवरात्रि के भव्य उत्सवों के लिए प्रसिद्ध है। मंदिर न केवल श्रद्धालुओं, बल्कि जैसलमेर की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत में रुचि रखने वाले पर्यटकों को भी आकर्षित करता है। इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता है इसका भूमिगत विशाल पुस्तकालय (ग्रंथालय), जिसमें 1 लाख से भी अधिक पांडुलिपियाँ और धार्मिक ग्रंथ संरक्षित हैं।
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अमर सागर जैन मंदिर (Amar Sagar Jain Temple)

मंदिर का नाम:- | अमर सागर जैन मंदिर (Amar Sagar Jain Temple) |
स्थान:- | अमर सागर झील के पास, लोद्रवा के दक्षिण, जैसलमेर, राजस्थान |
समर्पित देवता:- | भगवान पार्श्वनाथ |
निर्माण:- | 1928 ई. (सेठ हिम्मत राम बाफना द्वारा) |
प्रसिद्ध त्यौहार:- | महावीर जयंती, पर्युषण पर्व |
अमर सागर जैन मंदिर, जैसलमेर के बाहरी इलाके में स्थित एक ऐतिहासिक और आध्यात्मिक स्थल है, जो भगवान पार्श्वनाथ को समर्पित है। यह मंदिर अमर सागर झील के किनारे, लोद्रवा के दक्षिण में, जैसलमेर शहर से लगभग 7 किलोमीटर दूर बसा है। अपनी शांतिपूर्ण वातावरण और उत्कृष्ट जैन वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध, यह मंदिर जैन धर्म के अनुयायियों और वास्तुकला प्रेमियों के लिए एक महत्वपूर्ण आकर्षण है। जैसलमेर की सुनहरी रेगिस्तानी पृष्ठभूमि में स्थित यह मंदिर स्थानीय कारीगरी और जैन धर्म की आध्यात्मिकता का एक सुंदर संयोजन प्रस्तुत करता है।
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जैसलमेर किले के जैन मंदिर (Jaisalmer Fort Jain Temples)

मंदिर का नाम:- | जैसलमेर किले के जैन मंदिर (Jaisalmer Fort Jain Temples) |
स्थान:- | जैसलमेर किला, जैसलमेर, राजस्थान |
समर्पित देवता:- | भगवान पार्श्वनाथ, चंद्रप्रभु, ऋषभदेव, शीतलनाथ, कुंथुनाथ, संभवनाथ, शांतिनाथ |
निर्माण वर्ष:- | 12वीं से 16वीं शताब्दी (प्रमुख मंदिर: चंद्रप्रभु मंदिर, 1509 ई.) |
जैसलमेर किला, जिसे ‘सोनार किला’ के नाम से भी जाना जाता है, राजस्थान के जैसलमेर शहर में एक जीवंत किला है, जो यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है। इस किले के भीतर सात प्राचीन जैन मंदिरों का समूह स्थित है, जो श्वेतांबर जैन संप्रदाय को समर्पित हैं। ये मंदिर भगवान पार्श्वनाथ, चंद्रप्रभु, ऋषभदेव, शीतलनाथ, कुंथुनाथ, संभवनाथ, और शांतिनाथ जैसे तीर्थंकरों को समर्पित हैं। 12वीं से 16वीं शताब्दी के बीच निर्मित, ये मंदिर अपनी जटिल नक्काशी, पीले बलुआ पत्थर की वास्तुकला, और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध हैं। जैसलमेर किले के जैन मंदिर न केवल धार्मिक स्थल हैं, बल्कि राजस्थान की सांस्कृतिक और स्थापत्य विरासत का भी प्रतीक हैं, जो श्रद्धालुओं और पर्यटकों को समान रूप से आकर्षित करते हैं।
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खेतपाल मंदिर (Khetpal Temple)

मंदिर का नाम:- | खेतपाल मंदिर (क्षेत्रपाल मंदिर) |
स्थान:- | जैसलमेर शहर के निकट, बड़ा भाग के पास, जैसलमेर, राजस्थान |
समर्पित देवता:- | खेतपाल बाबा (क्षेत्रपाल), क्षेत्र के रक्षक और खेती के देवता |
निर्माण वर्ष:- | प्राचीन (संभावित 12वीं-15वीं शताब्दी), सटीक वर्ष अस्पष्ट |
प्रसिद्ध त्यौहार:- | नवरात्रि |
खेतपाल मंदिर, जैसलमेर का एक प्राचीन और पवित्र धार्मिक स्थल है, जो खेतपाल बाबा (क्षेत्रपाल) को समर्पित है। खेतपाल बाबा को क्षेत्र के रक्षक और खेती-पशुपालन के संरक्षक देवता के रूप में पूजा जाता है। यह मंदिर जैसलमेर शहर के निकट, बड़ा भाग के पास स्थित है और भाटी राजपूतों तथा स्थानीय समुदाय के लिए गहरी आस्था का केंद्र है।
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