नागौर, राजस्थान के मारवाड़ क्षेत्र में बसा एक ऐतिहासिक शहर है, जो नाग वंश से जुड़ा है। यह शहर अपने प्राचीन नागौर किले और उर्स मेले के लिए प्रसिद्ध है। नागौर के मंदिर हिंदू, जैन और शक्ति परंपराओं का अनूठा संगम प्रस्तुत करते हैं, जो स्थानीय आस्था, वास्तुकला और इतिहास को दर्शाते हैं। ये मंदिर न केवल धार्मिक केंद्र हैं, बल्कि पर्यटकों को अपनी प्राचीन कला और सांस्कृतिक धरोहर के लिए भी आकर्षित करते हैं।
नागौर के प्रसिद्ध मंदिर कौन कौन से है? (Famous Temple in Nagaur)
यहाँ पर नागौर के प्रसिद्ध और लोकप्रिय मंदिरो की लिस्ट (Nagaur temple list) दी गई है:
वीर तेजाजी मंदिर (Veer Tejaji Temple)

मंदिर का नाम:- | वीर तेजाजी मंदिर (Veer Tejaji Temple) |
स्थान:- | खरनाल, परबतसर तहसील, नागौर जिला, राजस्थान |
समर्पित देवता:- | वीर तेजाजी महाराज |
प्रसिद्ध त्यौहार:- | वार्षिक पशु मेला (श्रावण शुक्ल पूर्णिमा से भाद्रपद अमावस्या तक) |
राजस्थान के नागौर जिले के खरनाल गांव में बसा वीर तेजाजी मंदिर एक आध्यात्मिक और ऐतिहासिक स्थल है, जो लोक देवता वीर तेजाजी महाराज को समर्पित है। तेजाजी, जिनका जन्म 1074 ईस्वी में यहीं हुआ, अपनी वीरता, गाय रक्षा, और वचन पालन के लिए प्रसिद्ध हैं। उनकी कथा तब शुरू होती है जब उन्होंने अपनी गायों को चोरों से बचाने के लिए युद्ध किया और अंत में सर्पदंश से अपनी शहादत दी। यह मंदिर न केवल उनकी जन्मभूमि और शहादत का प्रतीक है, बल्कि हिंदू, सिख, और मुस्लिम भक्तों के लिए आस्था का केंद्र भी है। तेजाजी को सर्पदंश से रक्षा करने वाले देवता के रूप में पूजा जाता है, और हर साल हजारों श्रद्धालु यहां आशीर्वाद लेने आते हैं।
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चतुर्भुज नाथ एवं मीराबाई मन्दिर (Meera Bai Temple)

मंदिर का नाम:- | चतुर्भुज नाथ एवं मीराबाई मन्दिर (Meera Bai Temple) |
स्थान:- | मेड़ता, नागौर जिला, राजस्थान |
समर्पित देवता:- | भगवान विष्णु तथा मीरा बाई |
निर्माण वर्ष:- | 15वीं शताब्दी |
प्रसिद्ध त्यौहार:- | मीरा महोत्सव |
मेड़ता, नागौर में स्थित श्री चार भुजानाथ मीरा मंदिर भक्ति कवयित्री मीरा बाई को समर्पित एक आध्यात्मिक स्थल है। मीरा बाई, जिनका जन्म 1498 में मेड़ता के राठौड़ राजपूत परिवार में हुआ, भगवान कृष्ण की अनन्य भक्त थीं। उनके भजन, जैसे “म्हारो प्रीतम प्यारो रे,” आज भी भक्तों के दिलों को छूते हैं। यह मंदिर मीरा की जन्मभूमि और उनकी भक्ति की स्मृति का प्रतीक है, जो हिंदू और अन्य संप्रदायों के लिए आस्था का केंद्र है। मेड़ता की संकरी गलियों में बसा यह मंदिर भक्ति और प्रेम की मधुर लय को जीवंत करता है।
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दधिमती माता मंदिर (Dadhimati Mata Temple)

मंदिर का नाम:- | दधिमती माता मंदिर (Dadhimati Mata Temple) |
स्थान:- | गोठ और मांगलोद गांवों के बीच, जायल तहसील, नागौर, राजस्थान |
समर्पित देवता:- | दधिमती माता (लक्ष्मी माता का अवतार) |
प्रसिद्ध त्यौहार:- | नवरात्रि (चैत्र और अश्विन) |
दधिमती माता मंदिर राजस्थान के नागौर जिले के जायल तहसील के गोठ मांगलोद गांव में स्थित प्राचीन और महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों में से एक है। यह मंदिर दधिमती माता को समर्पित है, जिन्हें लक्ष्मी का अवतार और ऋषि दधीचि की बहन माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, दधिमती ने दैत्य विकटासुर का वध कर भक्तों की रक्षा की थी। यह मंदिर दाधीच (दाहिमा) ब्राह्मणों की कुलदेवी और कुलमाता के रूप में पूजनीय है।
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कुंजल माता मंदिर (Kunjal Mata Temple)

मंदिर का नाम:- | कुंजल माता मंदिर (Kunjal Mata Temple) |
स्थान:- | डेह गांव, जायल तहसील, नागौर, राजस्थान |
समर्पित देवता:- | कुंजल माता |
निर्माण वर्ष:- | लगभग 1100 वर्ष पुराना |
प्रसिद्ध त्यौहार:- | नवरात्रि |
कुंजल माता मंदिर राजस्थान के नागौर जिले की जायल तहसील में देह गांव में स्थित धार्मिक स्थल है। यह मंदिर कुंजल माता को समर्पित है, जिनकी कथा बलिदान और प्रेम की अनुपम मिसाल है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, चंपावत नगरी (वर्तमान डेह) में कुंजल माता की शादी के दिन दो बारातें आ गईं। युद्ध और हिंसा रोकने के लिए माता पृथ्वी में समा गईं, और उनके भाई ने उनका दुपट्टा पकड़ा, लेकिन केवल उसका किनारा बचा। यह दुपट्टे का किनारा आज भी मंदिर में पूजा जाता है, जो शांति और समर्पण का प्रतीक है। नवरात्रि में यहाँ हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं।
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भंवाल माता मंदिर (Bhanwal Mata Temple)

मंदिर का नाम:- | भंवाल माता मंदिर (Bhanwal Mata Temple) |
स्थान:- | भंवालगढ़, मेड़ता तहसील, नागौर, राजस्थान |
समर्पित देवता:- | रुद्राणी माता (काली माता) और ब्रह्माणी माता |
निर्माण वर्ष:- | विक्रम संवत 1119 (लगभग 1062 ईस्वी) |
प्रसिद्ध त्यौहार:- | नवरात्रि |
भंवाल माता मंदिर राजस्थान के नागौर जिले की मेड़ता तहसील में भंवालगढ़ गांव में स्थित एक प्राचीन धार्मिक स्थल है। यह मंदिर भंवाल माता को समर्पित है, जिन्हें माँ दुर्गा का अवतार माना जाता है और ढाई प्याला माता के नाम से भी जाना जाता है। यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है जो मेड़ता शहर से लगभग 20-30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। नवरात्रि में हजारों भक्त यहाँ दर्शन के लिए आते हैं। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यह शक्तिपीठ अक्सर जोधपुर के निकट बिरामी गाँव में स्थित भुवाल माता मंदिर के साथ भ्रमित हो जाता है।
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बंशीवाला मंदिर (Bansiwala Temple)

मंदिर का नाम:- | बंशीवाला मंदिर (Bansiwala Temple) |
स्थान:- | नागौर, राजस्थान |
समर्पित देवता:- | भगवान कृष्ण (राधा-रुक्मिणी के साथ), पातालेश्वर महादेव (शिवलिंग) |
निर्माण वर्ष:- | लगभग 1000 वर्ष पुराना |
प्रसिद्ध त्यौहार:- | सावन में जलाभिषेक, जलझूलनी एकादशी पर रेवाड़ी जुलूस |
बंशीवाला मंदिर राजस्थान के नागौर शहर में स्थित एक प्राचीन और पवित्र धार्मिक स्थल है। यह मंदिर भगवान कृष्ण को समर्पित है, जिनकी पूजा राधा और रुक्मिणी के साथ की जाती है, और इसके साथ ही पातालेश्वर महादेव के रूप में स्वयंभू शिवलिंग की भी पूजा होती है, जो 30-35 फीट भूमिगत है। लगभग 1,000 वर्ष पुराना यह मंदिर अपनी रंगीन कांच की मोज़ेक दीवारों और अनोखे आध्यात्मिक संगम के लिए प्रसिद्ध है। मंदिर की कथा रहस्य और भक्ति से भरी है, विशेष रूप से भूमिगत शिवलिंग के स्वयंभू प्रकट होने की कहानी, जो भक्तों को आकर्षित करती है। सावन के महीने में यहाँ जलाभिषेक और जलझूलनी एकादशी पर रेवाड़ी जुलूस के आयोजन इसे और जीवंत बनाते हैं। यह मंदिर सभी संप्रदायों के लिए खुला है और नागौर की सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा है।
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बुटाटी धाम (Butati Dham)

मंदिर का नाम:- | बुटाटी धाम (Butati Dham) |
अन्य नाम: | श्री चतुर्दास जी महाराज मंदिर |
स्थान:- | बुटाटी गांव, डिगाना तहसील, नागौर, राजस्थान |
समर्पित देवता:- | चतुर्दास जी महाराज |
निर्माण वर्ष:- | लगभग 500 से 600 वर्ष पुराना |
बुटाटी धाम नागौर जिले की डिगाना तहसील में बुटाटी गांव में स्थित एक पवित्र और चमत्कारिक धार्मिक स्थल है। यह धाम संत श्री चतुर्दास जी महाराज को समर्पित है। लगभग 500 वर्ष पुराना यह धाम पक्षाघात (लकवा) के चमत्कारिक उपचार के लिए विश्व प्रसिद्ध है। कथाओं के अनुसार, चतुर्दास जी की भक्ति और माता की कृपा से असंख्य रोगियों को स्वास्थ्य लाभ हुआ है। बुटाटी धाम को अक्सर ‘चतुरदास जी महाराज के मंदिर’ के बजाय ‘बुटाटी धाम’ के नाम से अधिक जाना जाता है।
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पशुपतिनाथ महादेव मंदिर (Pashupatinath Mahadev Temple)

मंदिर का नाम:- | पशुपतिनाथ महादेव मंदिर (Pashupatinath Mahadev Temple) |
स्थान:- | मांझवास गांव, नागौर जिला, राजस्थान |
समर्पित देवता:- | भगवान शिव (पशुपतिनाथ) |
निर्माण वर्ष:- | मंदिर की नींव 1982 में प्राण प्रतिष्ठा 1998 में |
मुख्य आकर्षण:- | 401 फीट गुफा, अष्टधातु शिवलिंग |
प्रसिद्ध त्यौहार:- | महाशिवरात्रि, सावन, गुरु पूर्णिमा |
पशुपतिनाथ महादेव मंदिर राजस्थान के नागौर जिले के मांझवास गांव में स्थित एक पवित्र धार्मिक स्थल है। यह मंदिर भगवान शिव के पशुपतिनाथ स्वरूप को समर्पित है, जो नेपाल के प्रसिद्ध पशुपतिनाथ मंदिर की तर्ज पर बनाया गया है। मंदिर की विशेषता है इसकी 401 फीट लंबी गुफा और अष्टधातु से बना शिवलिंग, जो भक्तों को आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है। मांझवास गांव नागौर शहर से 25 किलोमीटर दूर है। मंदिर की स्थापना की प्रेरणा इसके संस्थापक योगी गणेशनाथ महाराज की नेपाल यात्रा से मिली थी, जिन्होंने मंदिर के निर्माण के लिए 16 वर्ष की अभूतपूर्व तपस्या का प्रण लिया था।
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