मेड़ता, नागौर में स्थित श्री चार भुजानाथ मीरा मंदिर भक्ति कवयित्री मीरा बाई को समर्पित एक आध्यात्मिक स्थल है। मीरा बाई, जिनका जन्म 1498 में मेड़ता के राठौड़ राजपूत परिवार में हुआ, भगवान कृष्ण की अनन्य भक्त थीं। उनके भजन, जैसे “म्हारो प्रीतम प्यारो रे,” आज भी भक्तों के दिलों को छूते हैं। यह मंदिर मीरा की जन्मभूमि और उनकी भक्ति की स्मृति का प्रतीक है, जो हिंदू और अन्य संप्रदायों के लिए आस्था का केंद्र है। मेड़ता की संकरी गलियों में बसा यह मंदिर भक्ति और प्रेम की मधुर लय को जीवंत करता है।
चतुर्भुज नाथ एवं मीराबाई मन्दिर मेड़ता नागौर (Meera Bai Temple Merta Nagaur)
मंदिर का नाम:- | चतुर्भुज नाथ एवं मीराबाई मन्दिर (Meera Bai Temple) |
स्थान:- | मेड़ता, नागौर जिला, राजस्थान |
समर्पित देवता:- | भगवान विष्णु तथा मीरा बाई |
निर्माण वर्ष:- | 15वीं शताब्दी |
प्रसिद्ध त्यौहार:- | मीरा महोत्सव |
चतुर्भुज नाथ एवं मीराबाई मन्दिर मेड़ता नागौर का इतिहास
मीरा बाई का परिचय और मेड़ता से संबंध
मीराबाई का जन्म 1498 ईस्वी में कुड़की गांव में राव दूदा के चौथे पुत्र रतन सिंह के घर हुआ था। मीराबाई का पालन-पोषण मेड़ता में ही हुआ, जहाँ वह अपने दादा, राव दूदा के संरक्षण में रहीं थीं। जब वह केवल दो वर्ष की थीं, उनकी माता का निधन हो गया था, और उनके दादा उन्हें मेड़ता ले आए थे। यह मेड़ता ही वह स्थान है जहाँ उनके बाल्यकाल में कृष्ण भक्ति की नींव पड़ी थी।
यह माना जाता है कि राव रतन सिंह की जागीर कुड़की गाँव में उनका जन्म हुआ था, लेकिन उनका आध्यात्मिक विकास, शिक्षा, और व्यक्तित्व का निर्माण मेड़ता में हुआ था। इसलिए, भले ही कुड़की उनकी ‘भौगोलिक जन्मभूमि’ हो, मेड़ता ही उनकी ‘आध्यात्मिक जन्मभूमि’ और ‘कर्मभूमि’ है। मेड़ता के इसी आध्यात्मिक और ऐतिहासिक महत्व के कारण ही इसे आज भी ‘मीरा की नगरी’ कहा जाता है।
मंदिर का निर्माण और किंवदंतियाँ
मेड़ता का श्री चारभुजा नाथ मंदिर 15वीं शताब्दी में राव दूदा द्वारा निर्मित एक प्राचीन और ऐतिहासिक स्थल है। मंदिर के निर्माण से जुड़ी सबसे प्रसिद्ध लोककथा एक मोची की गाय के बारे में है। यह माना जाता है कि एक समय मोची की एक गाय प्रतिदिन एक विशेष स्थान पर जाती थी और अपना सारा दूध वहाँ अर्पित कर देती थी। राव दूदा ने जब इसका रहस्य जाना, तो उन्होंने उस स्थान की खुदाई करवाई, जहाँ से उन्हें भगवान विष्णु की एक सुंदर मूर्ति मिली थी। उन्होंने उसी स्थान पर एक भव्य मंदिर का निर्माण करवाया और उस मूर्ति को वहाँ स्थापित किया था।
चतुर्भुज नाथ एवं मीराबाई मन्दिर मेड़ता नागौर की वास्तुकला और संरचना
यह मंदिर मेड़ता के मध्य में स्थित है और इसका स्थापत्य मारवाड़ शैली को दर्शाता है, जो राजस्थानी वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। मंदिर का निर्माण सफेद संगमरमर के पत्थरों से किया गया है। मंदिर की संरचना पारंपरिक हिंदू मंदिर के अनुसार है, जिसमें गर्भगृह, मंडप और एक बड़ा प्रांगण शामिल है। मंदिर में विभिन्न देवी-देवताओं की मूर्तियाँ और चित्र भी लगे हुए हैं। मंदिर की दीवारों, छतों और स्तंभों पर कांच और दर्पण की अनुपम कलाकारी है।
मंदिर के गर्भगृह में भगवान विष्णु के चतुर्भुज (चार भुजाओं वाले) अवतार की लगभग 4 फुट ऊंची प्रतिमा स्थापित है। मंदिर के स्तंभों पर रंगीन कांच की कलाकृतियाँ भी देखने को मिलती हैं, जो मंदिर की सुंदरता को और बढ़ाती हैं। मंदिर के मुख्य गर्भगृह के ठीक सामने, मीराबाई को समर्पित एक छोटा मंदिर है, जहाँ मीराबाई की मूर्ति स्थापित है, जिसे करीब 78 साल पहले चारभुजा नाथ की मूर्ति से 100 फीट की दूरी पर स्थापित किया गया था। यह मूर्ति इस तरह से स्थापित की गई है कि मीरा बाई की दृष्टि सीधे भगवान चतुर्भुजनाथ की मूर्ति पर पड़ती है, जो उनकी भक्ति का प्रतीक है।
मीरा स्मारक
चारभुजा नाथ मंदिर के निकट स्थित मीरा स्मारक, जिसे पहले राव दूदा गढ़ या मीरा महल के नाम से जाना जाता था, मीरा बाई के परिवार का दुर्ग था। यह वह स्थान है जहाँ मीरा का बचपन बीता और उनके जीवन की कई महत्वपूर्ण घटनाएं हुईं थी। आज यह दुर्ग अपनी मूल अवस्था में नहीं है और इसके कुछ हिस्से जर्जर अवस्था में हैं। हालांकि, मीराबाई की विरासत को संरक्षित करने के उद्देश्य से इस ऐतिहासिक राजप्रसाद को एक संग्रहालय में परिवर्तित कर दिया गया है। इस संग्रहालय की स्थापना वर्ष 2008 में राजस्थान धरोहर प्रोत्साहन प्राधिकरण द्वारा की गई थी।
मीरा स्मारक एक अत्यंत मनभावन और सूचनात्मक संग्रहालय है, जहाँ मीरा बाई की जीवनी और उनसे जुड़ी कथाओं का प्रलेखीकरण किया गया है। संग्रहालय में उनके जीवन को दर्शाने वाली चित्रकलाएँ, पांडुलिपियाँ और मिट्टी की पट्टिकाएँ मौजूद हैं। संग्रहालय के एक कक्ष में विभिन्न साहित्यिक और कला शैलियों में मीरा का प्रस्तुतीकरण किया गया है। यहाँ राव दूदा, रतन सिंह और जैमल जैसे ऐतिहासिक व्यक्तित्वों की आदमकद प्रतिमाएँ भी स्थापित हैं।
चतुर्भुज नाथ एवं मीराबाई मन्दिर मेड़ता नागौर तक कैसे पहुँचें?
मंदिर का स्थान: चतुर्भुजनाथ और मीरा बाई मंदिर राजस्थान के नागौर जिले के मेड़ता में स्थित है।
मंदिर तक पहुंचने का विकल्प इस प्रकार है:
- हवाई मार्ग: जोधपुर हवाई अड्डा (Jodhpur Airport) मंदिर से लगभग 122 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। हवाई अड्डे से आप टैक्सी, बस या अन्य स्थानीय परिवहन का उपयोग करके मंदिर तक पहुँच सकते हैं।
- रेल मार्ग: मंदिर का नजदीकी रेलवे स्टेशन मेड़ता रोड जंक्शन मंदिर से लगभग 15 किलोमीटर दूर है। रेलवे स्टेशन से आप ऑटो, टैक्सी या अन्य स्थानीय परिवहन का उपयोग करके मंदिर तक पहुँच सकते हैं।
- सड़क मार्ग: मंदिर नागौर से लगभग 80 किलोमीटर दूर है। यात्री टैक्सी, बस या अन्य सड़क परिवहन सेवाएँ लेकर नागौर पहुँच सकते हैं। नागौर पहुँचने के बाद आप स्थानीय टैक्सी, ऑटो-रिक्शा या बस से मंदिर तक पहुँच सकते हैं।