कुंजल माता मंदिर राजस्थान के नागौर जिले की जायल तहसील में देह गांव में स्थित धार्मिक स्थल है। यह मंदिर कुंजल माता को समर्पित है, जिनकी कथा बलिदान और प्रेम की अनुपम मिसाल है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, चंपावत नगरी (वर्तमान डेह) में कुंजल माता की शादी के दिन दो बारातें आ गईं। युद्ध और हिंसा रोकने के लिए माता पृथ्वी में समा गईं, और उनके भाई ने उनका दुपट्टा पकड़ा, लेकिन केवल उसका किनारा बचा। यह दुपट्टे का किनारा आज भी मंदिर में पूजा जाता है, जो शांति और समर्पण का प्रतीक है। नवरात्रि में यहाँ हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं।
कुंजल माता मंदिर नागौर (Kunjal Mata Temple Nagaur)
मंदिर का नाम:- | कुंजल माता मंदिर (Kunjal Mata Temple) |
स्थान:- | डेह गांव, जायल तहसील, नागौर, राजस्थान |
समर्पित देवता:- | कुंजल माता |
निर्माण वर्ष:- | लगभग 1100 वर्ष पुराना |
प्रसिद्ध त्यौहार:- | नवरात्रि |
कुंजल माता मंदिर नागौर का इतिहास
कुंजल माता मंदिर की सबसे प्रचलित और मुख्य लोककथा के अनुसार, कुंजल देवी के बचपन में उनके माता-पिता ने दो अलग-अलग जगहों पर उनकी सगाई तय कर दी थी। जब दोनों बारातें एक ही समय पर उनके घर पहुँच गईं, तो स्थिति तनावपूर्ण हो गई और खून खराबे की आशंका उत्पन्न हो गई। इस संकट को टालने के लिए, कुंजल देवी ने भगवान शिव से प्रार्थना की। उनकी प्रार्थना के परिणामस्वरूप, धरती फट गई और माता स्वयं उसमें समा गईं थीं।
बताया जाता है कि उनका भाई उन्हें बचाने के लिए दौड़ा, लेकिन उसके हाथ केवल माता की चुनरी (पल्ला) ही लगी। कई वर्षों बाद, मातेश्वरी ने लांबिया के एक पुरोहित को सपने में दर्शन दिए, और उन्हें उसी स्थान पर जाने का निर्देश दिया। उस पुरोहित ने खोजबीन की और उसी स्थान पर पहुँचे जहाँ माता धरती में समाई थीं। इसी खोज के फलस्वरूप, माता की स्वयं प्रकट हुई (स्वयं-प्रकटित) मूर्ति की स्थापना की गई, जो आज मंदिर के गर्भगृह में विराजित है।
विक्रम संवत् 1089 से कुंजल माता की पूजा की जाने लगी थी। कुंजल माता का मंदिर कम से कम 1100 वर्ष पुराना है। माताजी की प्रतिमा वाली जगह पर केवल एक चबूतरा था। यहां चुना नाथ जी महाराज ने तपस्या की थी। कालान्तर में यहां लाम्बिया के भंवरलाल पुरोहित को आए दिव्य सपने के बाद उन्होंने मन्दिर का निर्माण करवाया था।
मंदिर में माघ सुदी तेरस (माघ महीने के शुक्ल पक्ष की तेरस) को एक विशाल मेले का आयोजन होता है, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु भाग लेते हैं। इसके अतिरिक्त, दोनों नवरात्रों के दौरान अखंड पूजा-पाठ, यज्ञ और मंत्रोच्चार का कार्यक्रम लगातार चलता रहता है। भक्तों द्वारा भव्य भक्ति संध्या और जागरण का भी आयोजन किया जाता है, जिसमें देवी के भजन और गुणगान किए जाते हैं।
कुंजल माता मंदिर नागौर की वास्तुकला और संरचना
मंदिर में कुंजल माता की एक सुंदर, दिव्य और अलौकिक प्रतिमा स्थापित है जो अपनी ओर ध्यान आकर्षित करती है। मंदिर के विशाल गुंबद और शिखर पर लहराती लाल ध्वजा गांव में प्रवेश करते ही दूर से दिखाई देती है। मंदिर परिसर के भीतर ही भगवान शिव का एक मंदिर भी है। भगवान शिव के मंदिर के सामने नंदीश्वर भगवान की मूर्ति भी विराजमान है।

अभी यहां 33 बीघा भूमि पर 50 कमरों की धर्मशाला ओर 2000 लोगों के जागरण का विशालकाय मंडप, शिव मंदिर, मनमोहक हरियाली, बड़े हॉल आदि शानदार निर्माण के अलावा अभी यज्ञ शाला का निर्माण हो रहा है।
कुंजल माता मंदिर नागौर तक कैसे पहुँचें?
मंदिर का स्थान: कुंजल माता मंदिर राजस्थान के नागौर जिले की जायल तहसील में देह गांव में स्थित है, जो नागौर-लाडनूं-सुजानगढ़ रोड पर नागौर शहर से 21 किलोमीटर दूर है।
मंदिर तक पहुंचने का विकल्प इस प्रकार है:
- हवाई मार्ग: जोधपुर हवाई अड्डा (Jodhpur Airport) मंदिर से लगभग 158 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। हवाई अड्डे से आप टैक्सी, बस या अन्य स्थानीय परिवहन का उपयोग करके मंदिर तक पहुँच सकते हैं।
- रेल मार्ग: मंदिर का नजदीकी रेलवे स्टेशन नागौर रेलवे स्टेशन मंदिर से लगभग 23 किलोमीटर दूर है। रेलवे स्टेशन से आप ऑटो, टैक्सी या अन्य स्थानीय परिवहन का उपयोग करके मंदिर तक पहुँच सकते हैं।
- सड़क मार्ग: मंदिर नागौर से लगभग 21 किलोमीटर दूर है। यात्री टैक्सी, बस या अन्य सड़क परिवहन सेवाएँ लेकर नागौर पहुँच सकते हैं। नागौर पहुँचने के बाद आप स्थानीय टैक्सी, ऑटो-रिक्शा या बस से मंदिर तक पहुँच सकते हैं।