बंशीवाला मंदिर नागौर: इतिहास, वास्तुकला, संरचना और प्रमुख उत्सव

बंशीवाला मंदिर राजस्थान के नागौर शहर में स्थित एक प्राचीन और पवित्र धार्मिक स्थल है। यह मंदिर भगवान कृष्ण को समर्पित है, जिनकी पूजा राधा और रुक्मिणी के साथ की जाती है, और इसके साथ ही पातालेश्वर महादेव के रूप में स्वयंभू शिवलिंग की भी पूजा होती है, जो 30-35 फीट भूमिगत है। लगभग 1,000 वर्ष पुराना यह मंदिर अपनी रंगीन कांच की मोज़ेक दीवारों और अनोखे आध्यात्मिक संगम के लिए प्रसिद्ध है। मंदिर की कथा रहस्य और भक्ति से भरी है, विशेष रूप से भूमिगत शिवलिंग के स्वयंभू प्रकट होने की कहानी, जो भक्तों को आकर्षित करती है। सावन के महीने में यहाँ जलाभिषेक और जलझूलनी एकादशी पर रेवाड़ी जुलूस के आयोजन इसे और जीवंत बनाते हैं। यह मंदिर सभी संप्रदायों के लिए खुला है और नागौर की सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा है।

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बंशीवाला मंदिर नागौर (Bansiwala Temple Nagaur)

मंदिर का नाम:-बंशीवाला मंदिर (Bansiwala Temple)
स्थान:-नागौर, राजस्थान
समर्पित देवता:-भगवान कृष्ण (राधा-रुक्मिणी के साथ), पातालेश्वर महादेव (शिवलिंग)
निर्माण वर्ष:-लगभग 1000 वर्ष पुराना
प्रसिद्ध त्यौहार:-सावन में जलाभिषेक, जलझूलनी एकादशी पर रेवाड़ी जुलूस

बंशीवाला मंदिर नागौर का इतिहास

नागौर के बंशीवाला मंदिर की प्राचीनता के विषय में कई प्रचलित मान्यताएँ और लोक कथाएँ विद्यमान हैं। मंदिर के पुजारी और स्थानीय लोग इसे “करीब 1000 वर्ष पुराना” बताते हैं। मंदिर के उद्गम से जुड़ी एक प्रमुख किंवदंती है कि किसी समय एक गाय एक विशेष स्थान पर दूध देती थी, और वह दूध धरती के अंदर समा जाता था।

इस रहस्य को जानने के लिए जब राजा-महाराजाओं ने उस स्थान की खुदाई करवाई, जमीन से लगभग 30 से 50 फीट नीचे एक शिवलिंग मिला था, जिसे पातालेश्वर महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर एक स्वयंभू शिवलिंग के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर के इतिहास पर प्रकाश डालने वाला एक महत्वपूर्ण पुरातात्विक साक्ष्य मौजूद है: एक फारसी भाषा में अंकित शिलालेख, जिसका कालखंड 1262 ईस्वी का है।

पातालश्वेर महादेव का शिवलिंग आज भी जमीन के अंदर ही स्थित है। वहीं यहां पर पातालश्वेर महादेव मंदिर के बाद भगवान श्री कृष्ण, राधा जी और रुक्मिणी जी तीनों की प्रतिमा एक साथ मंदिर में स्थापित की गई थी। इस प्रतिमा के एक तरफ श्री चारभुजा नाथ जी और गोविंद देव जी की तथा दूसरी तरफ श्री लक्ष्मी नारायण जी और श्री कल्याण जी की प्रतिमा स्थापित है।

बंशीवाला मंदिर नागौर की वास्तुकला और संरचना

बंशीवाला मंदिर की वास्तुकला किसी विशिष्ट ऐतिहासिक शैली का उदाहरण नहीं है, बल्कि यह समय के साथ हुए विकास और स्थानीय कलात्मकता का मिश्रण है। उपलब्ध जानकारियों के अनुसार, मंदिर का सबसे बड़ा आकर्षण इसकी आंतरिक और बाहरी सजावट है।

मंदिर की सबसे विशिष्ट कलात्मक विशेषता शीशे और कांच से की गई चित्रकारी और कलाकारी है। मंदिर परिसर के भीतर और बाहर, बेहद सुंदर तरीके से शीशे और कांच का उपयोग करके कलाकृतियाँ बनाई गई हैं, जो इसे एक अनूठा और आकर्षक रूप देती हैं। बंशीवाला मंदिर के मुख्य गर्भगृह में भगवान श्रीकृष्ण, राधाजी और रुक्मिणी जी की प्रतिमा एक साथ स्थापित है, इसके एक तरफ श्री चारभुजा नाथ जी और गोविंद देव जी की तथा दूसरी तरफ श्री लक्ष्मी नारायण जी और श्री कल्याण जी की प्रतिमा भी स्थापित है।

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बंशीवाला मंदिर के मुख्य गर्भगृह में भगवान श्रीकृष्ण, राधाजी और रुक्मिणी जी की प्रतिमा
बंशीवाला मंदिर के मुख्य गर्भगृह में भगवान श्रीकृष्ण, राधाजी और रुक्मिणी जी की प्रतिमा

मंदिर का सबसे रहस्यमय और आकर्षक पहलू पातालेश्वर महादेव का शिवलिंग है। यह स्वयंभू शिवलिंग जमीन से 30 से 50 फीट नीचे एक मंदिर में स्थापित है। इस शिवलिंग की सबसे खास बात यह है कि इस पर “खुद-ब-खुद पानी चढ़ता है” , जो इसे एक अद्वितीय आध्यात्मिक महत्व प्रदान करता है। इस मंदिर में लगातार पानी आता रहता है, जिसे बाहर निकालने के लिए मोटरें लगाई गई हैं।

बंशीवाला मंदिर नागौर में 30 से 50 नीचे स्थित पातालेश्वर महादेव
बंशीवाला मंदिर नागौर में 30 से 50 नीचे स्थित पातालेश्वर महादेव

बंशीवाला मंदिर नागौर के प्रमुख उत्सव

बंशीवाला मंदिर नागौर के सबसे महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और सामाजिक केंद्रों में से एक है, और इसका सबसे बड़ा प्रमाण नृसिंह जयंती पर होने वाली ‘रम्मत’ परंपरा है। यह रम्मत, जिसमें भगवान नृसिंह के प्राकट्य की कहानी का मंचन किया जाता है। बंशीवाला मंदिर में भगवान विष्णु के तीसरे अवतार, वराह अवतार का उत्सव भी हर्षोल्लास से मनाया जाता है। इस उत्सव में, वराह लीला का प्रतीकात्मक मंचन होता है, जिसमें भगवान हिरण्याक्ष का वध करके पृथ्वी को सागर से बाहर लाते हैं।

मंदिर में एकादशी के अवसर पर एक विशेष मेले का आयोजन होता है, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु भाग लेते हैं। इन प्रमुख उत्सवों के अलावा, मंदिर परिसर में अन्य धार्मिक और सामुदायिक आयोजन भी होते हैं। यहाँ रामलीला का मंचन किया जाता है, जिसमें नारद मोह, रावण तपस्या जैसे पौराणिक प्रसंगों को दर्शाया जाता है।

बंशीवाला मंदिर नागौर तक कैसे पहुँचें?

मंदिर का स्थान: बंशीवाला मंदिर राजस्थान के नागौर शहर के केंद्र में स्थित है।

मंदिर तक पहुंचने का विकल्प इस प्रकार है:

  • हवाई मार्ग: जोधपुर हवाई अड्डा (Jodhpur Airport) मंदिर से लगभग 136 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। हवाई अड्डे से आप टैक्सी, बस या अन्य स्थानीय परिवहन का उपयोग करके मंदिर तक पहुँच सकते हैं।
  • रेल मार्ग: मंदिर का नजदीकी रेलवे स्टेशन नागौर रेलवे स्टेशन मंदिर से लगभग 2 से 3 किलोमीटर दूर है। रेलवे स्टेशन से आप ऑटो, टैक्सी या अन्य स्थानीय परिवहन का उपयोग करके मंदिर तक पहुँच सकते हैं।
  • सड़क मार्ग: मंदिर नागौर बस स्टैंड से लगभग 2 से 3 किलोमीटर दूर है। यात्री टैक्सी, बस या अन्य सड़क परिवहन सेवाएँ लेकर नागौर पहुँच सकते हैं। नागौर पहुँचने के बाद आप स्थानीय टैक्सी, ऑटो-रिक्शा या बस से मंदिर तक पहुँच सकते हैं।

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