बुटाटी धाम नागौर जिले की डिगाना तहसील में बुटाटी गांव में स्थित एक पवित्र और चमत्कारिक धार्मिक स्थल है। यह धाम संत श्री चतुर्दास जी महाराज को समर्पित है। लगभग 500 वर्ष पुराना यह धाम पक्षाघात (लकवा) के चमत्कारिक उपचार के लिए विश्व प्रसिद्ध है। कथाओं के अनुसार, चतुर्दास जी की भक्ति और माता की कृपा से असंख्य रोगियों को स्वास्थ्य लाभ हुआ है। बुटाटी धाम को अक्सर ‘चतुरदास जी महाराज के मंदिर’ के बजाय ‘बुटाटी धाम’ के नाम से अधिक जाना जाता है।
बुटाटी धाम नागौर (Butati Dham Nagaur)
मंदिर का नाम:- | बुटाटी धाम (Butati Dham) |
अन्य नाम: | श्री चतुर्दास जी महाराज मंदिर |
स्थान:- | बुटाटी गांव, डिगाना तहसील, नागौर, राजस्थान |
समर्पित देवता:- | चतुर्दास जी महाराज |
निर्माण वर्ष:- | लगभग 500 से 600 वर्ष पुराना |
बुटाटी धाम नागौर का इतिहास
स्थानीय मान्यता के अनुसार लगभग पांच सौ साल पहले संत चतुरदास जी का यहाँ पर निवास था। चारण कुल में जन्में वे एक महान सिद्ध योगी थे। वह अपनी सिद्धियों से लकवाग्रस्त रोगियों को रोगमुक्त कर देते थे। माना जाता है की यहां पर संत चतुरदास जी ने जीवित समाधि ली थी, उसी स्थान पर ही आज यह मंदिर है। यह स्थान लकवा निवारण की शक्ति के कारण धीरे-धीरे एक जन-आस्था का केंद्र बन गया था।
एक पौराणिक कथा के अनुसार, गांव की स्थापना लगभग 1600 ईस्वी में बुरा लाल शर्मा नामक एक ब्राह्मण ने की थी। बाद में इस पर भोम सिंह नामक एक राजपूत ठाकुर का आधिपत्य हो गया और इसे ‘भोम सिंह की बुटाटी’ के नाम से जाना जाने लगा था। बुटाटी धाम को अक्सर ‘चतुरदास जी महाराज के मंदिर’ के बजाय ‘बुटाटी धाम’ के नाम से अधिक जाना जाता है।
बुटाटी धाम नागौर की वास्तुकला और संरचना
बुटाटी धाम पारंपरिक राजस्थानी शैली में बना है। बुटाटी धाम, जिसे श्री चतुरदास जी महाराज के मंदिर के रूप में भी जाना जाता है, राजस्थान के नागौर जिले में स्थित एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है। इसकी वास्तुकला पारंपरिक राजस्थानी शैली का एक सुंदर उदाहरण है, जिसमें आधुनिक स्पर्श भी शामिल हैं। मंदिर स्थानीय पत्थरों से निर्मित है, जो मजबूती और सादगी दर्शाता है। मंदिर परिसर 2-3 एकड़ क्षेत्र में फैला है।
मंदिर के गर्भगृह में संत चतुरदास जी की समाधि है, जिसके चारों ओर मंदिर का निर्माण हुआ है। मंदिर के गर्भगृह में संत चतुरदास जी की कोई मूर्ति स्थापित नहीं है, क्योंकि उनके समय की कोई तस्वीर या मूर्ति उपलब्ध नहीं थी। मंदिर परिसर में एक धूनी (पवित्र अग्नि कुंड) भी है, जो निरंतर जलती रहती है। लकवे से पीड़ित रोगी इस अग्नि कुंड से प्राप्त भस्म (पवित्र राख) और सरसों के तेल से मालिश करते हैं, जिसे इस इलाज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है।

मंदिर की सबसे महत्वपूर्ण संरचना परिक्रमा पथ है। लकवे के इलाज के लिए आने वाले भक्तों को लगातार सात दिनों तक सुबह और शाम की आरती के बाद परिक्रमा करनी होती है। यह परिक्रमा मंदिर के भीतरी और बाहरी दोनों हिस्सों में की जाती है। चूंकि हर दिन हजारों भक्त यहाँ आते हैं, मंदिर प्रबंधन ने उनकी सुविधा के लिए आधुनिक संरचनाओं का निर्माण किया है।
यहाँ आने वाले यात्रियों को ठहरने के लिए बिस्तर, भोजन, पीने का ठंडा पानी, और खाना बनाने के लिए राशन, बर्तन तथा जलाने के लिए लकड़ी जैसी सभी आवश्यक वस्तुएँ निःशुल्क प्रदान की जाती हैं। परिसर में स्नान और स्वच्छता के लिए सुलभ शौचालय और उचित व्यवस्थाएं भी हैं।
बुटाटी धाम नागौर लकवा रोग के निवारण का चमत्कार
बुटाटी धाम लकवा (पैरालिसिस) के रोगियों के लिए एक प्रसिद्ध आस्था का केंद्र है। यहाँ लकवाग्रस्त व्यक्ति को ठीक होने के लिए सात दिन और सात रात तक परिसर में प्रवास करना होता है। इस दौरान एक सख्त दिनचर्या का पालन करना होता है, जिसमें प्रतिदिन सुबह 5:30 बजे और शाम को 6:30 बजे की आरती में शामिल होना अनिवार्य है। आरती के बाद परिक्रमा की जाती है: सुबह की आरती के बाद मंदिर के बाहर एक परिक्रमा और शाम की आरती के बाद मंदिर के अंदर दूसरी परिक्रमा। ये दोनों परिक्रमा मिलकर एक पूर्ण परिक्रमा मानी जाती है, और यह प्रक्रिया सात दिनों तक दोहराई जाती है।
मंदिर परिसर में एक हवन कुंड है, जिसमें 24 घंटे अखंड अग्नि जलती रहती है। इस धुनी की विभूति (भभूत) को प्रसाद के रूप में लिया जाता है और इसे सरसों के तेल में मिलाकर लकवाग्रस्त अंगों पर दिन में पांच बार मालिश की जाती है।
बुटाटी धाम की प्रतिष्ठा केवल लकवा निवारण तक सीमित नहीं है, बल्कि यह अपनी निःशुल्क सुविधाओं और समाज सेवा के लिए भी प्रसिद्ध है। यहाँ आने वाले यात्रियों को ठहरने के लिए बिस्तर, भोजन, पीने का ठंडा पानी, और खाना बनाने के लिए राशन, बर्तन तथा जलाने के लिए लकड़ी जैसी सभी आवश्यक वस्तुएँ निःशुल्क प्रदान की जाती हैं। परिसर में स्नान और स्वच्छता के लिए सुलभ शौचालय और उचित व्यवस्थाएं भी हैं।
बुटाटी धाम नागौर तक कैसे पहुँचें?
मंदिर का स्थान: बुटाटी धाम राजस्थान के नागौर जिले की डिगाना तहसील में बुटाटी गांव में स्थित है।
मंदिर तक पहुंचने का विकल्प इस प्रकार है:
- हवाई मार्ग: जोधपुर हवाई अड्डा (Jodhpur Airport) मंदिर से लगभग 156 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। हवाई अड्डे से आप टैक्सी, बस या अन्य स्थानीय परिवहन का उपयोग करके मंदिर तक पहुँच सकते हैं।
- रेल मार्ग: मंदिर का नजदीकी रेलवे स्टेशन रेन रेलवे स्टेशन मंदिर से लगभग 18 किलोमीटर दूर है। रेलवे स्टेशन से आप ऑटो, टैक्सी या अन्य स्थानीय परिवहन का उपयोग करके मंदिर तक पहुँच सकते हैं।
- सड़क मार्ग: मंदिर नागौर बस स्टैंड से लगभग 49 किलोमीटर दूर है। यात्री टैक्सी, बस या अन्य सड़क परिवहन सेवाएँ लेकर नागौर पहुँच सकते हैं। नागौर पहुँचने के बाद आप स्थानीय टैक्सी, ऑटो-रिक्शा या बस से मंदिर तक पहुँच सकते हैं।