पंचदेव मंदिर (बाबा गंगाराम धाम) राजस्थान के झुंझुनू में स्थित एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। यह मंदिर मुख्य रूप से बाबा गंगाराम (कुल पांच देव – बाबा गंगाराम, भगवान शिव, हनुमान जी, माता दुर्गा और लक्ष्मी माता) को समर्पित है। यह कलयुग के महान संत और भक्त शिरोमणि बाबा गंगाराम जी की तपस्या और त्याग की भूमि है।
पंचदेव मंदिर (बाबा गंगाराम धाम) झुंझुनू (Panchdev Temple Jhunjhunu)
मंदिर का नाम:- | पंचदेव मंदिर (Panchdev Temple) |
मंदिर का अन्य नाम:- | बाबा गंगाराम धाम (Baba Gangaram Dham) |
स्थान:- | झुंझुनू, राजस्थान |
समर्पित देवता:- | मुख्य रूप से विष्णु अवतारी बाबा गंगाराम को समर्पित; (कुल पांच देव – बाबा गंगाराम सहित भगवान शिव, हनुमान जी, भगवती दुर्गा और महालक्ष्मी) |
निर्माण वर्ष:- | गंगादशहरा सन् 1975 |
निर्माणकर्ता:- | भक्त शिरोमणि देवकीनंदन और उनकी पत्नी गायत्री देवी |
प्रसिद्ध त्यौहार:- | श्रावण शुक्ल दशमी पर बाबा का जन्मोत्सव और मेला ज्येष्ठ शुक्ल दशमी पर पाटोत्सव बैशाख कृष्ण चतुर्थी पर आशीर्वाद दिवस |
पंचदेव मंदिर (बाबा गंगाराम धाम) झुंझुनू का इतिहास
बाबा गंगाराम जी के आध्यात्मिक स्वरूप और उनके अनुयायियों द्वारा निभाई गई केंद्रीय भूमिका का वर्णन करता है। बाबा गंगाराम जी इस धाम के केंद्र में हैं।
बाबा गंगाराम जी का जीवन परिचय, स्वरूप और चरित्र
मंदिर का इतिहास बाबा गंगाराम के जीवन से जुड़ा है, जिनका जन्म श्रावण शुक्ल दशमी सन् 1895 को झुंझुनू में वैश्य परिवार में हुआ। उनके पिता झूथारामजी और माता लक्ष्मीदेवी थे। बाबा के जन्म के समय नक्षत्रों को देखने के बाद, विद्वान कुलपुरोहित ने भविष्यवाणी की कि यह बालक ‘गंगा’ के समान पापों का नाश करेगा और ‘राम’ के समान आत्मा को पवित्र करेगा, इसलिए इसका नाम ‘गंगाराम’ होगा।
युवा होते-होते उन्होंने अपने ज्ञान, दर्शन और आचरण से सबको चमत्कृत कर दिया था। तत्पश्चात वे उत्तर-प्रदेश के बाराबंकी जिले के सफदरगंज नामक स्थान में पावन कल्याणी नदी के तट पर आये। उनके यहाँ आने से बरसाती कल्याणी नदी एक बारहमासी नदी के रूप में बहने लगी थी। इसी नदी के जल में बाबा ने अपने विष्णुरूप का आभास भक्तों को कराया था। अंततः मात्र 43 वर्ष (लगभग 1938 ईस्वी में) की अल्पायु में ही कल्याणी नदी के तट पर वट-वृक्ष के नीचे अपना मानव शरीर त्याग दिया और विष्णुलोक में अपने धाम को चले गए थे।
भक्त देवकी नंदन और उनकी अर्धांगिनी गायत्री देवी को स्वप्नादेश एवं श्री पंचदेव मंदिर का निर्माण
विष्णु अवतारी बाबा गंगाराम की लीला में भक्त देवकीनंदन एवं देवी गायत्री का वही स्थान है, जो भगवान राम की लीला में भक्त हनुमान का है। अपने विष्णुलोक गमन के करीब 30 वर्ष बाबा ने भक्त देवकीनन्दन को दिव्य स्वप्न में आकाशवाणी के द्वारा श्री पंचदेव मंदिर की स्थापना का आदेश दिया था।
आदेश का पालन करते हुये भक्त देवकीनन्दन अपनी धर्मपत्नी गायत्रीदेवी के साथ झुंझनूं में गंगादशहरा सन् 1975 में भव्य और विशाल श्री पंचदेव मंदिर की स्थापना करवाई थी। मंदिर में बाबा गंगाराम सहित भगवान शिव, हनुमानजी, भगवती दुर्गा और महालक्ष्मी के मंदिर मिलाकर कुल पांच मंदिर है, अतएव इस मंदिर का नाम ‘‘श्री पंचदेव मंदिर’’ विख्यात हुआ था।
भक्त देवकीनन्दन का महाप्रयाण व चिता पर चमत्कार
संसार को सत्य, त्याग एंव भक्ति का मार्ग दिखाने वाले भक्त देवकीनन्दन ने 21 अप्रेल 1992 को प्रभु बाबा गंगाराम का नाम लेते-लेते अपना शरीर त्याग दिया था। जब उनके पार्थिव शरीर को पंचतत्व में विलीन किया जा रहा था, तो उनकी सती साध्वी धर्मपत्नी गायत्री देवी ने बाबा से भक्ति का प्रमाण संसार को दिखाने के लिये अपने दोनों हाथ ऊपर उठाकर भगवान सूर्य की साक्षी में बाबा से सत्य की साक्षी देने की प्रार्थना की थी।
उसी समय चिता पर अलौकिक चमत्कार दिखने लगे। भक्त देवकीनन्दन का दाहिना हाथ जलती चिता में उपर उठकर आर्शीवाद देता हुआ हिलने लगा, मस्तक से जल की धारा बहने लगी और चेहरा बालरूप में परिवर्तित हो गया था। जिस प्रकार रामभक्त हनुमान ने अपना सीना चीरकर सियाराम के दर्शन कराकर भक्ति का प्रमाण दिया था, उसी प्रकार भक्त देवकीनन्दन ने जलती चिता से अपने त्याग, तपस्या व निष्काम भक्ति का सशक्त प्रमाण जगत को दिया था।
देवकीनन्दन जी की धर्मपत्नी गायत्री देवी का देव लोक गमन
अंततः माता गायत्री देवी ने 29 नवंबर 2017 (मार्गशीर्ष शुक्ल दशमी) को अपने लाखों-करोड़ों भक्तों से विदा ली थी। भगवान बाबा गंगाराम का पावन नाम जपते हुए, वे बाबा के दिव्य लोक में महाप्रयाण के लिए प्रस्थान कर गईं थी। उनकी कही हर बात अकाट्य होती थी। इसी प्रकार उन्होंने अपने महाप्रयाण के लिए बाबा की पावन दशमी का दिन चुना और कुछ दिन पहले ही सबको बता भी दिया था। माता गायत्री के लिए धरती और स्वर्ग एक समान थे।
भक्ति और शक्ति का प्रतीक: आशीर्वाद मंदिर
श्री पंचदेव मंदिर के परिसर में 30 अप्रैल 2021 को ‘आशीर्वाद मंदिर’ की स्थापना की गई थी। आशीर्वाद मंदिर में शिव स्वरूप श्री देवकीनंदन और शक्ति स्वरूपा देवी गायत्री की युगल प्रतिमा स्थापित है। यह मंदिर अद्भुत वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण है। आज के लोभी संसार में माता गायत्री देवी और भक्त श्री देवकीनंदन ने जो त्याग किया है, उसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता है।
पंचदेव मंदिर (बाबा गंगाराम धाम) झुंझुनू की वास्तुकला और संरचना
पंचदेव मंदिर (बाबा गंगाराम धाम) की वास्तुकला भव्य और कलात्मक रूप से समृद्ध है। यह मंदिर ऊँची चारदीवारी वाले एक विशाल परिसर में स्थित है। इस विशाल परिसर में दो मुख्य मंदिर पंचदेव मंदिर (बाबा गंगाराम धाम) और आशीर्वाद मंदिर स्थित है। यह मंदिर पारंपरिक राजस्थानी और उत्तर भारतीय हिंदू शैली का मिश्रण है, जो अपनी भव्यता और शांति के लिए जाना जाता है। मंदिर का निर्माण मुख्य रूप से सफेद संगमरमर से किया गया है। मंदिर की दीवारों, स्तंभों और गुंबदों पर जटिल नक्काशी की गई है।
पंचदेव मंदिर के गर्भगृह में भगवान बाबा गंगाराम की योगमुद्रा में प्रतिमा स्थापित है, जो इस मंदिर के मुख्य देवता है। बाईं ओर देवी दुर्गा और दाईं ओर देवी लक्ष्मी की प्रतिमाएँ हैं। इन प्रतिमाओं के अलावा, भगवान शिव की प्रतिमा भी उनके परिवार (उनकी पत्नी पार्वती और पुत्रों – गणेश और कार्तिकेय) के साथ स्थापित है। भगवान शिव की प्रतिमा शिवलिंग के रूप में है। मुख्य मंदिर के बाईं ओर भगवान हनुमान की एक संगमरमर की प्रतिमा स्थापित है, जिसमें वे आशीर्वाद मुद्रा में खड़ी हैं। यहाँ देवताओं की पाँच प्रतिमाएँ हैं, इसलिए इस मंदिर का नाम “पंचदेव मंदिर” रखा गया है।





श्री पंचदेव मंदिर परिसर में 2021 में आशीर्वाद मंदिर का निर्माण कराया गया था। इस मंदिर के गर्भगृह में भक्त शिरोमणि देवकीनंदन और शक्ति स्वरूपा माता देवी गायत्री की मूर्तियाँ स्थापित हैं। यह मंदिर नागर शैली में निर्मित है।

परिसर के भीतर रज कुंड नामक एक महत्वपूर्ण स्थल बनाया गया है। इस कुंड की मिट्टी (रज) को अति कल्याणकारी, चमत्कारी और आशीर्वाद से भरपूर माना जाता है। इस पावन रज को माथे पर लगाने या घर में छिड़कने से समस्त कष्टों का निवारण होता है, इसलिए भक्तजन इस मिट्टी को अपने साथ ले जाते हैं। रज की तरह मंदिर के कुएं का जल भी अत्यंत शुद्ध और पवित्र है। गंगाजल की तरह यह पवित्र जल कभी खराब नहीं होता है।
पंचदेव मंदिर (बाबा गंगाराम धाम) झुंझुनू के उत्सव और मेले
बाबा गंगाराम धाम में बड़े उत्साह और उल्लास के साथ मनाए जाने वाले प्रमुख त्यौहार और मेले नीचे दिए गए हैं:
- आशीर्वाद दिवस: जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, यह पर्व उस दिन मनाया जाता है जब परम भक्त शिरोमणि श्री देवकीनंदन ने हाथ उठाकर आशीर्वाद दिया था। इसलिए भक्तजन इस दिन आशीर्वाद पाने के लिए उनकी पूजा करते हैं। यह पर्व बैसाख (अप्रैल माह) के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को पड़ता है।
- गंगा दशहरा: यह शुभ दिन श्री पंचदेव मंदिर के लिए स्थापना दिवस (उद्घाटन दिवस) के रूप में महत्वपूर्ण है। इस दिन मेले, रंगारंग उत्सव और विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन किया जाता है। यह दिन आमतौर पर मई और जून के बीच (भारतीय पंचांग के अनुसार जेष्ठ शुक्ल दशमी) पड़ता है।
- जयंती महोत्सव: श्रावण शुक्ल 10 (जो जुलाई या अगस्त माह में पड़ता है) भगवान बाबा गंगाराम के प्राकट्य का पावन दिन है। शोभायात्राओं और अन्य उत्सवों के अलावा, बाबा की स्तुति में भजन-कीर्तन का भी आयोजन किया जाता है। भक्त इस दिन उपवास रखते हैं और बाबा की प्रतिमा को फूलों आदि से सजाते हैं।
पंचदेव मंदिर (बाबा गंगाराम धाम) झुंझुनू तक कैसे पहुँचें?
मंदिर का स्थान: पंचदेव मंदिर (बाबा गंगाराम धाम) राजस्थान के झुंझुनू शहर में स्थित है।
मंदिर तक पहुंचने का विकल्प इस प्रकार है:
- हवाई मार्ग: जयपुर इंटरनेशनल एयरपोर्ट मंदिर से लगभग 190 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। हवाई अड्डे से आप टैक्सी, बस या अन्य स्थानीय परिवहन का उपयोग करके झुंझुनू शहर तक पहुँच सकते हैं। झुंझुनू पहुंचने के बाद आप मंदिर तक पहुंच सकते हो।
- रेल मार्ग: मंदिर का नजदीकी रेलवे स्टेशन झुंझुनू रेलवे स्टेशन मंदिर से लगभग 3 से 4 किलोमीटर दूर है। रेलवे स्टेशन से आप ऑटो, टैक्सी या अन्य स्थानीय परिवहन का उपयोग करके मंदिर तक पहुँच सकते हैं।
- सड़क मार्ग: मंदिर झुंझुनू बस स्टैंड से लगभग 3-4 किलोमीटर दूर है। आप टैक्सी, बस, या अन्य सड़क परिवहन सेवाएँ लेकर झुंझुनू पहुँच सकते हैं। झुंझुनू पहुँचने के बाद, आप स्थानीय बस, टैक्सी, या ऑटो-रिक्शा से मंदिर तक पहुँच सकते हैं।