अलवर, राजस्थान का उत्तरी जिला, अरावली पर्वतमाला और सरिस्का अभयारण्य के लिए प्रसिद्ध है। 1770 में प्रताप सिंह द्वारा स्थापित यह शहर अपनी प्राकृतिक सुंदरता, किलों और धार्मिक स्थलों के लिए जाना जाता है। अलवर के मंदिर हिंदू, जैन और शक्ति परंपराओं का अनूठा संगम प्रस्तुत करते हैं, जो स्थानीय आस्था, वास्तुकला और इतिहास को दर्शाते हैं। ये मंदिर न केवल धार्मिक केंद्र हैं, बल्कि पर्यटकों को अपनी प्राचीन कला और सांस्कृतिक धरोहर के लिए भी आकर्षित करते हैं।
अलवर के प्रसिद्ध मंदिर कौन कौन से है? (Famous Temple in Alwar)
यहाँ पर अलवर के प्रसिद्ध और लोकप्रिय मंदिरो की लिस्ट (Alwar temple list) दी गई है:
पांडुपोल हनुमान मंदिर (Pandupol Hanuman Temple)

मंदिर का नाम:- | पांडुपोल हनुमान मंदिर (Pandupol Hanuman Temple) |
स्थान:- | सरिस्का बाघ अभयारण्य, अलवर जिला, राजस्थान |
समर्पित देवता:- | भगवान हनुमान (स्वयंभू लेटी हुई प्रतिमा) |
निर्माण वर्ष:- | लगभग 5000 वर्ष पुराना (महाभारत काल से जुड़ा) |
प्रसिद्ध त्यौहार:- | हनुमान जयंती: भव्य पूजा और भजन लक्खी मेला: भादो शुक्ल अष्टमी (सितंबर) को, 50,000+ भक्त राम नवमी और नवरात्रि: विशेष आरतियां मंगलवार/शनिवार: विशेष दर्शन दिवस |
पांडुपोल हनुमान जी मंदिर राजस्थान के अलवर जिले की अरावली पर्वतमाला की तलहटी में सरिस्का बाघ अभयारण्य के घने जंगलों के बीच स्थित एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। यह मंदिर भगवान हनुमान को समर्पित है, जिनकी स्वयंभू मूर्ति लेटे हुए रूप में है। “पांडुपोल” नाम पांडवों से जुड़ा है, जो महाभारत काल में वनवास के दौरान यहां आए थे। यह माना जाता है कि इस मंदिर की स्थापना लगभग 5000 वर्ष पूर्व हुई थी।
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नारायणी माता मंदिर (Narayani Mata Temple)

मंदिर का नाम:- | नारायणी माता मंदिर (Narayani Mata Temple) |
स्थान:- | बरवा डूंगरी की तलहटी, राजगढ़ तहसील, अलवर, राजस्थान |
समर्पित देवता:- | देवी नारायणी माता |
निर्माण वर्ष:- | 11वीं शताब्दी |
प्रसिद्ध त्यौहार:- | 1993 तक वार्षिक मेला आयोजित होता था, जो अब प्रतिबंधित है; नवरात्रि जैसे सामान्य हिंदू त्योहार मनाए जा सकते हैं। |
नारायणी माता मंदिर राजस्थान के अलवर जिले की राजगढ़ तहसील में बरवा डूंगरी की तलहटी में स्थित एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। यह मंदिर भगवान देवी नारायणी माता को समर्पित है। यह अलवर शहर से लगभग 80 किलोमीटर दूर, सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान के पास स्थित यह मंदिर श्रद्धालुओं और पर्यटकों को शांति और भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की झलक प्रदान करता है। और यह विश्व प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थल भानगढ़ किले से मात्र लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
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नीलकंठ महादेव मंदिर (Neelkanth Mahadev Temple)

मंदिर का नाम:- | नीलकंठ महादेव मंदिर (Neelkanth Mahadev Temple) |
स्थान:- | सरिस्का बाघ अभयारण्य के भीतर, राजगढ़, अलवर जिला, राजस्थान |
समर्पित देवता:- | भगवान शिव |
निर्माण वर्ष:- | 6वीं से 9वीं शताब्दी ईस्वी (961 ईस्वी का शिलालेख) |
निर्माणकर्ता:- | महाराजाधिराज मथनदेव |
प्रसिद्ध त्यौहार:- | श्रावण मास, महाशिवरात्रि |
नीलकंठ महादेव मंदिर राजस्थान के अलवर जिले के राजगढ़ तहसील के टहला गाँव में अरावली पहाड़ियों के बीच स्थित एक प्राचीन धार्मिक स्थल है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। यह स्थल सरिस्का बाघ अभयारण्य के बफर ज़ोन में आता है और राजोरगढ़ किले की खंडित दीवारों से घिरा हुआ है। आसपास का घना जंगल और अरावली पर्वतमाला का दृश्य इसे पर्यटकों के लिए भी आकर्षक बनाते हैं, हालांकि सुरक्षा के लिए सरिस्का के नियमों का पालन आवश्यक है।
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भर्तृहरि मंदिर (Bhartrihari Temple)

मंदिर का नाम:- | भर्तृहरि मंदिर (Bhartrihari Temple) |
स्थान:- | अलवर, राजस्थान |
समर्पित देवता:- | बाबा योगी भर्तृहरि नाथ (उज्जैन के शासक राजा भर्तृहरि की समाधि; जीवन की निराशा से संन्यासी बने और यहां ध्यान कर समाधि ली थी) |
निर्माण वर्ष:- | प्राचीन मंदिर |
प्रसिद्ध त्यौहार:- | भाद्रपद मास में वार्षिक मेला, शिव से जुड़े सभी त्यौहार |
भर्तृहरि मंदिर राजस्थान के अलवर में सरिस्का नेशनल पार्क के निकट अलवर शहर से लगभग 30-36 किलोमीटर दूर स्थित एक प्रसिद्ध प्राचीन धार्मिक स्थल है। यह मंदिर भगवान बाबा योगी भर्तृहरि नाथ को समर्पित है। यहाँ उज्जैन के शासक राजा भर्तृहरि की समाधि है। इस मंदिर का इतिहास उज्जैन के राजा भर्तृहरि से जुड़ा है, जो जीवन की निराशा से संन्यासी बने और यहां ध्यान कर समाधि ली थी।
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नालदेश्वर महादेव मंदिर (Naldeshwar Mahadev Temple)

मंदिर का नाम:- | नालदेश्वर महादेव मंदिर (Naldeshwar Mahadev Temple) |
स्थान:- | अलवर, राजस्थान (अरावली पहाड़ियों में, सरिस्का-अलवर राजमार्ग पर) |
समर्पित देवता:- | भगवान शिव |
निर्माण वर्ष:- | ज्ञात नही (प्राचीन मंदिर) |
प्रसिद्ध त्यौहार:- | महाशिवरात्रि, सावन |
नालदेश्वर महादेव मंदिर राजस्थान के अलवर शहर से लगभग 24 किलोमीटर दक्षिण दिशा में स्थित है, जो भगवान शिव को समर्पित है। यह अरावली पर्वतमाला की सघन वादियों में, सरिस्का टाइगर रिजर्व और अलवर-जयपुर राजमार्ग के निकट स्थापित है। यह स्थल न केवल धार्मिक अनुष्ठानों का केंद्र है, बल्कि साहसिक पर्यटन (Trekking) के शौकीनों और प्रकृति प्रेमियों के लिए भी एक विशेष आकर्षण रखता है।
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त्रिपोलिया मंदिर (Tripolia Temple)

मंदिर का नाम:- | त्रिपोलिया मंदिर (Tripolia Temple) |
मंदिर के अन्य नाम:- | त्रिपोलिया महादेव मंदिर, त्रिपोलेश्वर महादेव मंदिर |
स्थान:- | त्रिपोलिया बाजार, अलवर, राजस्थान |
समर्पित देवता:- | भगवान शिव |
निर्माण वर्ष:- | लगभग 300 वर्ष पूर्व (18वीं शताब्दी के आसपास में अलवर के पूर्व शासक या रियासत काल के राजाओं द्वारा) |
त्रिपोलिया मंदिर राजस्थान के अलवर में त्रिपोलिया बाजार में स्थित एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। जिसे त्रिपोलेश्वर महादेव मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है, और यह मंदिर न केवल स्थानीय निवासियों बल्कि दूर-दराज से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए आस्था का प्रतीक है।
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तिजारा जैन मंदिर (Tijara Jain Temple)

मंदिर का नाम:- | तिजारा जैन मंदिर (Tijara Jain Temple) |
स्थान:- | तिजारा, अलवर, राजस्थान |
समर्पित देवता:- | भगवान चंद्रप्रभु (जैन धर्म के 8वें तीर्थंकर) |
निर्माण वर्ष:- | 1956 (मूर्ति की प्राप्ति के बाद निर्माण) |
प्रसिद्ध त्यौहार:- | महावीर जयंती, पर्युषण पर्व |
तिजारा जैन मंदिर राजस्थान के अलवर जिले के तिजारा में स्थित एक प्रसिद्ध जैन धार्मिक स्थल है। यह मंदिर भगवान चंद्रप्रभु को समर्पित है। यह मंदिर, जो ‘अतिशय क्षेत्र’ या ‘मुक्ति स्थल’ के रूप में विख्यात है। जैन परंपरा में, ‘अतिशय क्षेत्र’ उस स्थल को कहा जाता है जहाँ पूज्य प्रतिमाएँ या स्थान स्वयं ही चमत्कार (जिसे ‘परचम’ या ‘अतिशय’ कहा जाता है) प्रकट करते हैं।
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