अंबिकेश्वर महादेव मंदिर राजस्थान के जयपुर के आमेर में स्थित एक प्रसिद्ध और प्राचीन धार्मिक स्थल है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। यह प्राचीन शिव मंदिर कछवाहा राजवंश का कुलदेवता माना जाता है। 10वीं शताब्दी से अस्तित्व में होने वाले इस मंदिर की मान्यता द्वापर युग तक जाती है, जहां भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं पूजा की थी।
अंबिकेश्वर महादेव मंदिर आमेर (Ambikeshwar Mahadev Temple Amer)
| मंदिर का नाम:- | अंबिकेश्वर महादेव मंदिर (Ambikeshwar Mahadev Temple) |
| स्थान:- | आमेर, जयपुर जिला, राजस्थान |
| समर्पित देवता:- | भगवान शिव |
| निर्माण वर्ष:- | 10वीं शताब्दी (लगभग 1000 वर्ष पुराना); मान्यता अनुसार 5000-7500 वर्ष पुराना। |
| प्रसिद्ध त्यौहार:- | महाशिवरात्रि, सावन मास |
अंबिकेश्वर महादेव मंदिर आमेर का इतिहास
अंबिकेश्वर महादेव मंदिर स्थानीय और पौराणिक मान्यताओं के अनुसार लगभग 5000 वर्ष पुराना है, जो द्वापर युग से संबंधित है। और माना जाता है, की भगवान श्रीकृष्ण और नंद बाबा ने इस स्थान पर भगवान शिव की पूजा की थी।
अंबिकेश्वर महादेव मंदिर का इतिहास आमेर क्षेत्र के उद्भव से गहराई से जुड़ा हुआ है। आमेर का प्रारंभिक क्षेत्र मीना सरदारों के अधीन था। मीना काल में यह ‘अंबिका वन’ के नाम से जाना जाता था, जहां राजा अमरीश ने तपस्या की थी। इतिहासकारों के अनुसार कछवाहा राजपूत वंश ने बल और छल का उपयोग करके मीनाओं से यह क्षेत्र हथिया लिया, जिसने बाद में आमेर और जयपुर पर शासन किया था।
कछवाहा शासन की स्थापना से जुड़ा मूल आख्यान गौ-दुग्ध की किंवदंती पर आधारित है। किंवदंती के अनुसार, कछावा राजपूत शासक काकिल देव ने चरवाहे या गुप्तचर द्वारा एक विचित्र घटना सुनी। गायों में से एक गाय जंगल में एक विशेष स्थान पर जाकर स्वतः ही दूध देती थी। राजा ने उस स्थान की खुदाई का आदेश दिया, खुदाई करने पर एक शिवलिंग प्राप्त हुआ। इसके बाद, राजा ने उसी स्थान पर एक मंदिर का निर्माण करवाया, जिसे अब अंबिकेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता है।
अंबिकेश्वर महादेव का मंदिर कछवाहा राजपूतों के लिए सिर्फ एक पूजनीय स्थल नहीं था; यह उनके कुल देवता के रूप में पूजित होता था। स्थानीय किंवदंतियों के अनुसार आमेर (या कुछ स्थानों पर अम्बर) शहर का नाम सीधे अंबिकेश्वर महादेव मंदिर से लिया गया है।
अंबिकेश्वर महादेव मंदिर आमेर की वास्तुकला और संरचना
अंबिकेश्वर महादेव मंदिर पारंपरिक राजस्थानी वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। इस मंदिर का गर्भगृह पृथ्वी की सतह लगभग 6 से 10 फीट नीचे स्थित है। और इस गर्भगृह में पारंपरिक रूप में न होकर, एक शिव शिला रूप हैं। यह शिला एक गोलाकार गड्ढे के भीतर स्थित है, जहाँ ऊपर से पानी की एक निरंतर बूँद टपकती रहती है। इस प्राकृतिक विन्यास के कारण ही मंदिर को उंडा महादेव (या गड्ढे में स्थित महादेव) कहा जाता है।

मंदिर परिसर में एक छोटा आंगन है जिसमें पुजारी परिवार का आवासीय क्वार्टर स्थित है। मंदिर के सामने एक विशाल खुला क्षेत्र है, जिसे अंबिकेश्वर चौंक कहा जाता है। आमेर जैसी संकरी गलियों वाली बस्ती में इतने बड़े चौंक का होना यह संकेत देता है कि यह स्थान केवल पूजा स्थल नहीं था, बल्कि इसे राजसी समारोहों, विजय यात्राओं या बड़े धार्मिक सभाओं के लिए नगर के केंद्रीय सामाजिक और प्रशासनिक केंद्र के रूप में योजनाबद्ध तरीके से विकसित किया गया था।
इस मंदिर के गर्भगृह में स्थित शिव शिला को लगभग 5000 साल पुराना माना जाता है। इसके अतिरिक्त, मंदिर में स्थापित नंदी जी की मूर्ति को लगभग 3000 साल से भी अधिक पुरानी होने का अनुमान है। विशेष रूप से मानसून के दौरान मंदिर का क्षेत्र जलमग्न हो जाता है। तब भक्त सीढ़ियों से खड़े होकर पूजा करते हैं।
अंबिकेश्वर महादेव मंदिर आमेर तक कैसे पहुँचें?
मंदिर का स्थान: अंबिकेश्वर महादेव मंदिर राजस्थान के जयपुर के आमेर में स्थित है।
मंदिर तक पहुंचने का विकल्प इस प्रकार है:
- हवाई मार्ग: सांगानेर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा मंदिर से लगभग 26 से 27 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। हवाई अड्डे से आप ऑटो, टैक्सी, बस या अन्य स्थानीय परिवहन का उपयोग करके मंदिर तक पहुँच सकते हैं।
- रेल मार्ग: रेल मार्ग: मंदिर का नजदीकी रेलवे स्टेशन जयपुर जंक्शन रेलवे स्टेशन मंदिर से लगभग 14 से 15 किलोमीटर दूर है। रेलवे स्टेशन से आप ऑटो, टैक्सी या अन्य स्थानीय परिवहन का उपयोग करके मंदिर तक पहुँच सकते हैं।
- सड़क मार्ग: सड़क मार्ग: मंदिर जयपुर बस स्टैंड से लगभग 13 किलोमीटर दूर है। बस स्टैंड से आप ऑटो, टैक्सी या अन्य स्थानीय परिवहन का उपयोग करके मंदिर तक पहुँच सकते हैं।
