राजस्थान की पवित्र भूमि अपने प्राचीन मंदिरों और सांस्कृतिक विरासत के लिए विश्व भर में विख्यात है। पाली शहर में स्थित सोमनाथ महादेव मंदिर शिव भक्ति का एक ऐसा ऐतिहासिक केंद्र है, जो 1121 वर्षों से आध्यात्मिकता और श्रद्धा का प्रतीक बना हुआ है।
भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर न केवल अपनी प्राचीनता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि 221 वर्षों से निर्बाध रूप से जल रही अखंड ज्योत के चमत्कार के लिए भी जाना जाता है। मंदिर का संबंध गुजरात के प्रसिद्ध सोमनाथ ज्योतिर्लिंग से माना जाता है, जिससे इसका धार्मिक महत्व और बढ़ जाता है। पाली के मध्य में स्थित यह मंदिर स्थानीय भक्तों और पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है।
सोमनाथ मंदिर पाली (Somnath Temple Pali)
मंदिर का नाम:- | सोमनाथ मंदिर (Somnath Temple) |
स्थान:- | पाली शहर, राजस्थान (शहर के मध्य में) |
समर्पित देवता:- | भगवान शिव |
निर्माण वर्ष:- | 9वीं सदी |
ऐतिहासिक महत्व:- | 1121 वर्ष पुराना, 221 वर्षों से जल रही अखंड ज्योत |
प्रसिद्ध त्यौहार:- | महाशिवरात्रि, सावन मास |
सोमनाथ महादेव मंदिर पाली का इतिहास
सोमनाथ महादेव मंदिर, पाली, राजस्थान का एक प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिर है, जो लगभग 1121 वर्ष पुराना है। इसकी स्थापना 9वीं सदी में हुई थी, और यह राजस्थान के सबसे पुराने शिव मंदिरों में से एक है। मंदिर का निर्माण स्थानीय राजपूत शासकों के संरक्षण में हुआ था। पहले मंदिर का नाम सोमेश्वर के नाम से था।
वर्ष 1125 की बात हैं गुजरात जा रहे महमूद गजनवी ने वैभव सम्पन्न पाली को लूटते हुए सोमेश्वर (सोमनाथ) मंदिर में तोड़-फोड़ की, मूर्तियां व शिवलिंग को भी खंडित कर दिया तथा आगे गुजरात तरफ बढ़ गया था। सौराष्ट्र सोमनाथ मंदिर पर महमूद गजनवी के हमले की आशंका को देखते हुए गुजरात के राजा कुमारपाल रथ में बैठकर शिवलिंग ले कर पाली पहुंचे तथा यहां के पल्लीवाल ब्राह्मणों को सौंपा था।
पाली के ध्वस्त सोमेश्वर महादेव मंदिर का जीणोद्वार कुमारपाल ने वर्ष 1140 में शुरू करवाया था। कहते हैं कि रात-दिन निर्माण कार्य चला था। वर्ष 1152 में सौराष्ट्र से लाया गया शिवलिंग इस मंदिर में स्थापित किया गया। तथा वैशाख शुक्ल 4, संवत 1209 को प्रतिष्ठित किया तथा सोमनाथ महादेव नामकरण किया था।
सन 1298 में गुजरात जाते समय अलाउद्दीन खिलजी ने सोमनाथ महादेव मंदिर के शिखर पर तोप का गोला दाग क्षतिग्रस्त कर दिया था। वर्ष 1315 में रावसिंहा के कार्यकाल में पल्लीवाल ब्राह्मणों ने मंदिर का जीर्णोद्वार करवाया तथा मंदिर को शिखर को ईटों से फिर से निर्माण करवाया था।
वर्ष 1330 में नसीरूद्दीन ने पाली पर हमला कर दिया था। मंदिर को बचाने के लिए पल्लीवाल ब्राह्मणों को उसे धन देना पड़ा था। वर्ष 1349 में फिरोजशाह जलालुद्दीन ने पाली को लूटा था। सोमनाथ मंदिर में दो छोटी मिनारों का निर्माण करवाया था। जिसके अवशेष 1947 के बाद नष्ट कर दिए गए थे। कहते हैं कि वर्ष 1350 में पल्लीवाल ब्राह्मणों के पलायन के बाद नाथ सम्प्रदाय ने मंदिर की व्यवस्था संभाली।
वर्ष 1600 में नाथ सम्प्रदाय के महंत भोलानाथ ने पूजा व्यवस्था रावल ब्राह्मण परिवार को सौंपी और समाधि ले ली थी। सोमनाथ महादेव मंदिर में सन 1800 में घी की अखंड ज्योत शुरू की गई जो आज भी प्रज्जवलित हैं। वर्ष 1970 में राजस्थान के देवस्थान विभाग ने मंदिर की व्यवस्था का जिम्मा लिया है।
मंदिर के शिलालेख और नक्काशी मध्यकालीन राजस्थानी कला और इतिहास को दर्शाते हैं, जो इसे पुरातत्वविदों के लिए भी महत्वपूर्ण बनाता है। यह मंदिर पाली की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान का अभिन्न अंग है।
सोमनाथ महादेव मंदिर पाली की वास्तुकला और संरचना
सोमनाथ महादेव मंदिर नागर शैली में निर्मित है, जो राजस्थान के मध्यकालीन मंदिरों की विशेषता है। मंदिर का निर्माण बलुआ पत्थर और संगमरमर से किया गया है, जो इसकी प्राचीनता और भव्यता को उजागर करता है। मंदिर की मुख्य संरचना में गर्भगृह, मंडप, और नक्काशीदार स्तंभ शामिल हैं। गर्भगृह में स्वयंभू शिवलिंग स्थापित है, जो भक्तों के लिए आकर्षण का केंद्र है। मंडप में जटिल नक्काशी देखी जा सकती है, जिसमें योद्धाओं, खगोलीय प्रतीकों, और वैदिक कहानियों के दृश्य उकेरे गए हैं। ये नक्काशियाँ मध्यकालीन कला की उत्कृष्टता को दर्शाती हैं।
मंदिर की सबसे अनूठी विशेषता है 221 वर्षों से जल रही अखंड ज्योत, जो देशी घी से प्रज्वलित है। यह ज्योत मंदिर की चमत्कारी शक्ति और भक्तों की अटूट श्रद्धा का प्रतीक है। मंदिर की वर्तमान संरचना में आधे हिस्से को प्राचीन और आधे हिस्से को आधुनिक बताया गया है। प्राचीन हिस्सा 9वीं सदी का है, जबकि आधुनिक हिस्सा बाद के समय में जोड़ा गया है ताकि मंदिर को क्षति से बचाया जा सके। इसके बावजूद, मंदिर की मूल वास्तुकला और ऐतिहासिक महत्व बरकरार है। मंदिर के कई हिस्सों को 1140, 1315, और 1947 में पुनर्निर्मित किया गया, जिसमें मूल नागर शैली को बनाए रखा गया।

सोमनाथ महादेव मंदिर पाली तक कैसे पहुँचें?
मंदिर का स्थान: सोमनाथ महादेव मंदिर, पाली, राजस्थान का एक प्राचीन और धार्मिक स्थल है, जो पाली शहर के सूरज पोल इलाके में स्थित है।
मंदिर तक पहुँचने के लिए सड़क, रेल, और वायु मार्ग उपलब्ध हैं, जो इस प्रकार है:
- सड़क मार्ग: सड़क मार्ग मंदिर तक पहुँचने का सबसे सुविधाजनक तरीका है, जो सड़क मार्ग से जोधपुर, जयपुर, और उदयपुर से जुड़ा है। मंदिर पाली बस स्टैंड से लगभग 2.6 किलोमीटर दूर है, मंदिर तक पैदल, ऑटो-रिक्शा, या टैक्सी से पहुँचा जा सकता है।
- रेल मार्ग: पाली मारवाड़ रेलवे स्टेशन मंदिर से लगभग 3 किलोमीटर दूर है। रेलवे स्टेशन से मंदिर तक ऑटो-रिक्शा या टैक्सी का उपयोग करके आसानी से पहुँचा जा सकता है।
- वायु मार्ग: पाली का निकटतम हवाई अड्डा जोधपुर हवाई अड्डा है, जो लगभग 70 किलोमीटर दूर है। जोधपुर हवाई अड्डे से पाली तक टैक्सी या बस का उपयोग करके पहुँचा जा सकता है।