भंवर माता मंदिर प्रतापगढ़ | Bhanwar Mata Temple Pratapgarh

राजस्थान का प्रतापगढ़ जिला में कई प्राचीन मंदिर भक्तों और पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। इनमें से एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है भंवर माता मंदिर, जो प्रतापगढ़ जिले की छोटी सादड़ी तहसील में निम्बाहेड़ा-प्रतापगढ़ मार्ग पर स्थित है। यह मंदिर माँ दुर्गा के एक रूप, भंवर माता, को समर्पित है और इसे क्षेत्र का एक प्रमुख शक्तिपीठ माना जाता है। अरावली पहाड़ियों की तलहटी में बसा यह मंदिर 1500 वर्षों से भी अधिक पुराना है।

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भंवर माता मंदिर प्रतापगढ़ (Bhanwar Mata Temple Pratapgarh)

मंदिर का नाम:-भंवर माता मंदिर (Bhanwar Mata Temple)
स्थान:-छोटी सादड़ी ,प्रतापगढ़, राजस्थान
समर्पित देवता:-भंवर माता (देवी दुर्गा का स्वरूप)
निर्माण वर्ष:-491 ई (यहा मिले शिलालेख के अनुसार)
प्रसिद्ध त्यौहार:-नवरात्री

भंवर माता मंदिर प्रतापगढ़ का इतिहास

भंवर माता मंदिर की स्थापना 491 ईस्वी में हुई थी, जिसे मनवैयानी वंश के राजा गोरी ने बनवाया था। यह मंदिर 1500 वर्षों से अधिक पुराना है, जो इसे प्रतापगढ़ जिले के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक बनाता है। मानसून के दौरान, एक छोटा सा झरना बड़ी संख्या में भक्तों और पर्यटकों को इस स्थान पर आकर्षित करता है। यह स्थान एक सुंदर वन क्षेत्र से घिरा हुआ है। मंदिर को “भंवर माता शक्ति पीठ” के नाम से भी जाना जाता है।

यहां मिले एक 5वी शताब्दी का शिलालेख इसकी प्राचीनता का प्रमाण देता है। यह संभव है कि मंदिर की स्थापना गौर वंश या ओलिकार वंश के शासकों द्वारा की गई हो सकती है। इस शिलालेख में असुरो का संहार करने वाली माता दुर्गा का वर्णन मिलता है। विशेष रूप से, इनमें महिषासुर का मर्दन करते हुए उग्र सिंहों के रथ पर सवार देवी दुर्गा का चित्रण है, जो उस समय देवी की आराधना की प्रधानता को बताता है। ये शिलालेख न केवल मंदिर की प्राचीनता की पुष्टि करते हैं बल्कि उस समय की धार्मिक मान्यताओं और आराधना पद्धतियों के बारे में बताते है।

भंवर माता मंदिर प्रतापगढ़ की वास्तुकला और संरचना

भंवर माता मंदिर की वास्तुकला राजस्थानी शैली तथा ग्रामीण पद्धति को दर्शाता है। मंदिर का मुख्य प्रवेश द्वार दो बड़े हाथी की मूर्तियों (गज-प्रतिमाएँ) से सुसज्जित है। मंदिर के गर्भगृह में माता दुर्गा के साथ साथ माँ काली तथा ज्ञान की देवी सरस्वती माता की की भी पूजा होती है। मंदिर के बाहर काल भैरव का छोटा सा मंदिर है काल भैरव को रक्षक देवता के रूप में पूजा जाता है तथा पास में ही माता दुर्गा के वाहन सिंह की मूर्ति मौजूद है।

मंदिर के पश्चिम दिशा में हनुमान जी तथा दक्षिण दिशा की ओर शिवजी की मूर्तियाँ स्थापित हैं। अरावली की गोद में स्थित इस मंदिर के पास में ही लगभग 70 फिट ऊंचा झरना तथा आस पास की हरियाली इसके प्राक्रतिक परिवेश को एक अलग ही सौन्दर्य और शांत वातावरण प्रदान करता है।

भंवर माता मंदिर प्रतापगढ़ के पास में स्थित झरना
भंवर माता मंदिर प्रतापगढ़ के पास में स्थित झरना

भंवर माता मंदिर प्रतापगढ़ तक कैसे पहुँचें?

मंदिर का स्थान: भंवर माता मंदिर, राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले में छोटी सादड़ी तहसील के पास, नीमच-प्रतापगढ़ मार्ग पर स्थित है।

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मंदिर तक पहुँचने के लिए सड़क, रेल, और वायु मार्ग उपलब्ध हैं, जो इस प्रकार है:

  • सड़क मार्ग: सड़क मार्ग भंवर माता मंदिर तक पहुँचने का सबसे सुविधाजनक और लोकप्रिय तरीका है। प्रतापगढ़ जिला राजस्थान के प्रमुख शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। मंदिर प्रतापगढ़ शहर से लगभग 20 किलोमीटर दूर है। आप बस, टैक्सी या स्थानीय परिवहन का उपयोग करके छोटी सादड़ी तक पहुँच सकते हैं। छोटी सादड़ी से मंदिर लगभग 3 किलोमीटर दूर है, जिसे स्थानीय टैक्सी, ऑटो-रिक्शा, या पैदल तय किया जा सकता है।
  • रेल मार्ग: प्रतापगढ़ जिले में कोई प्रमुख रेलवे स्टेशन नहीं है। निकटतम रेलवे स्टेशन निम्नलिखित हैं:
    • नीमच जंक्शन: मध्य प्रदेश में नीमच जंक्शन छोटी सादड़ी से लगभग 24 किलोमीटर दूर है। यह मध्य प्रदेश और अन्य राज्यों से आने वाले यात्रियों के लिए सुविधाजनक है। नीमच से टैक्सी, बस या स्थानीय परिवहन द्वारा मंदिर तक आसानी से पहुँचा जा सकता है।
    • चित्तौड़गढ़ जंक्शन: यह छोटी सादड़ी से लगभग 64 किलोमीटर दूर है। स्टेशन से आप टैक्सी, बस या स्थानीय परिवहन लेकर प्रतापगढ़ (लगभग 44 किलोमीटर) और फिर छोटी सादड़ी तक पहुँच सकते हैं।
    • उदयपुर रेलवे स्टेशन: यह छोटी सादड़ी से लगभग 109 किलोमीटर दूर है। उदयपुर से टैक्सी, बस या स्थानीय परिवहन द्वारा प्रतापगढ़ और फिर छोटी सादड़ी तक पहुँचा जा सकता है।
  • हवाई मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा महाराणा प्रताप हवाई अड्डा, डबोक, उदयपुर है, जो छोटी सादड़ी से लगभग 109 किलोमीटर दूर है। हवाई अड्डे से आप टैक्सी, बस या स्थानीय परिवहन द्वारा प्रतापगढ़ और फिर छोटी सादड़ी तक पहुँच सकते हैं।

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