घोड़ीवारा बालाजी मंदिर झुंझुनू: इतिहास, वास्तुकला, संरचना और मंदिर तक कैसे पहुंचे

घोड़ीवारा बालाजी मंदिर राजस्थान के झुंझुनू जिले के नवलगढ़ तहसील में घोड़ीवारा खुर्द गांव में स्थित प्रसिद्ध हिन्दू मंदिर है। यह मंदिर भगवान हनुमानजी को समर्पित है। इस मंदिर को रोड़ का बालाजी तथा रोड वाला बालाजी मंदिर के नाम से भी जाना है। मंदिर की स्थापना 1972 में पोकर जी जंगिड द्वारा की गई, जो घोड़ीवारा गांव के दामाद थे।

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घोड़ीवारा बालाजी मंदिर झुंझुनू (Ghoriwara Balaji Temple Jhunjhunu)

मंदिर का नाम:-घोड़ीवारा बालाजी मंदिर (Ghoriwara Balaji Temple)
मंदिर के अन्य नाम:-रोड़ का बालाजी तथा रोड वाला बालाजी
स्थान:-घोड़ीवारा गांव, नवलगढ़ तहसील, झुंझुनू जिला, राजस्थान
समर्पित देवता:-भगवान हनुमानजी
निर्माण वर्ष:-1972
प्रसिद्ध त्यौहार:-हनुमान जयंती

घोड़ीवारा बालाजी मंदिर झुंझुनू का इतिहास

घोड़ीवारा बालाजी मंदिर का इतिहास अपेक्षाकृत हाल का है, लेकिन इसमें स्थानीय कथाओं और चमत्कारों की गहराई है। 1972 में मंदिर की स्थापना पोकर जी जंगिड द्वारा की गई थी, जो घोड़ीवारा गांव के दामाद थे। शुरू में, मंदिर एक साधारण पट्टी स्थापित किया गया था, जहां एक छोटी सी हनुमान मूर्ति रखी गई थी। उस समय गांव में शाम के बाद भय का माहौल रहता था लोग बस से उतरने से डरते थे, और सड़क पर (विशेषकर अमावस्या की रातों में) दुर्घटनाएं आम थीं। जंगिड जी ने इस भय को दूर करने के लिए मूर्ति स्थापित की, और शुरुआत में एक छोटी दान पेटी राखी गई थी।

धीरे-धीरे, गांव के लोगों ने 11 सदस्यों की समिति बनाई, और विकास कार्य शुरू हुए। पहले बस स्टैंड, पानी की टंकी और प्याऊ जैसी सुविधाएं जोड़ी गईं। पुजारी दूर से पानी लाकर पूजा करते थे। 1985 में मंदिर का बैंक खाता खोला गया, जहां दान जमा होने लगे। पहली खड़ी मूर्ति एक मानसिक रूप से अस्थिर महिला द्वारा क्षतिग्रस्त हो गई, जिसके बाद जयपुर से नई मूर्ति लाई गई थी। लक्ष्मणगढ़ आश्रम के वेदनाथ जी महाराज के मार्गदर्शन में प्राण प्रतिष्ठा हुई, और वर्तमान भव्य संरचना बनी। मंदिर का विकास ईंटों, पत्थरों और स्थानीय प्रयासों से हुआ, जो आज एक ट्रस्ट द्वारा प्रबंधित है।

मंदिर के निर्माण के बाद, स्थानीय लोगों ने सड़क दुर्घटनाओं की संख्या में कमी महसूस की, जिससे बालाजी की शक्ति और आस्था की पुष्टि हुई थी।

घोड़ीवारा बालाजी मंदिर झुंझुनू की वास्तुकला और संरचना

मंदिर की वास्तुकला राजस्थानी शैली की है, जो सरल शुरुआत से भव्य रूप में विकसित हुई है। शुरू में दो सीरस पेड़ों के नीचे एक छोटी पट्टी पर मूर्ति थी, लेकिन अब यह एक विशाल परिसर है। मंदिर के मुख्य गर्भगृह में हनुमान जी की प्रतिमा स्थापित है। मंदिर के अंदर सुन्दर कांच की नक्काशी की गई है।

यह मंदिर इस अनूठी वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है, जहाँ हनुमान चालीसा की प्रत्येक पंक्ति या छंद को उसकी कथा के अनुरूप मूर्ति या कलाकृति के रूप में चित्रित किया गया है। स्थानीय मान्यताएँ इस तथ्य पर जोर देती हैं कि यह संभवतः भारत का पहला ऐसा मंदिर है जहाँ हनुमान चालीसा को इस तरह से पूरी तरह से चित्रित किया गया है।

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मंदिर में राम दरबार (राम, सीता, लक्ष्मण और हनुमान) शामिल है, साथ ही अखंड ज्योति जो निरंतर जलती रहती है। मंदिर परिसर में बालाजी की 51 फ़ीट ऊंची प्रतिमा भी स्थापित है, जो दर्शन के लिए आकर्षण का केंद्र है।

घोड़ीवारा बालाजी मंदिर झुंझुनू तक कैसे पहुँचें?

मंदिर का स्थान: घोड़ीवारा बालाजी मंदिर राजस्थान के झुंझुनू जिले के नवलगढ़ तहसील में घोड़ीवारा (या घोड़ीवारा खुर्द/कलां) गांव में स्थित है। यह राजस्थान राज्य राजमार्ग 8 (SH8) पर स्थित है।

मंदिर तक पहुंचने का विकल्प इस प्रकार है:

  • हवाई मार्ग: जयपुर इंटरनेशनल एयरपोर्ट मंदिर से लगभग 170 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। हवाई अड्डे से आप टैक्सी, बस या अन्य स्थानीय परिवहन का उपयोग करके झुंझुनू शहर तक पहुँच सकते हैं। झुंझुनू पहुंचने के बाद आप मंदिर तक पहुंच सकते हो।
  • रेल मार्ग: मंदिर का नजदीकी रेलवे स्टेशन डूंडलोद मुकुंदगढ़ रेलवे स्टेशन मंदिर से लगभग 5 किलोमीटर दूर है। रेलवे स्टेशन से आप ऑटो, टैक्सी या अन्य स्थानीय परिवहन का उपयोग करके मंदिर तक पहुँच सकते हैं।
  • सड़क मार्ग: मंदिर झुंझुनू बस स्टैंड से लगभग 24 किलोमीटर दूर है। आप टैक्सी, बस, या अन्य सड़क परिवहन सेवाएँ लेकर झुंझुनू पहुँच सकते हैं। झुंझुनू पहुँचने के बाद, आप स्थानीय बस, टैक्सी, या ऑटो-रिक्शा से मंदिर तक पहुँच सकते हैं।

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