हरिहर जी मंदिर राजस्थान के उदयपुर जिले की झाड़ोल तहसील के बदराना गाँव में स्थित एक प्राचीन धार्मिक स्थल है। यह मंदिर अपनी अद्वितीय मूर्ति के लिए जाना जाता है, जो एक ही काले पाषाण (पत्थर/शिला) में तीन प्रमुख हिंदू देवताओं विष्णु, शिव और कृष्ण को समाहित करती है। इस मंदिर को हरिहर धाम के नाम से भी जाना जाता है।
हरिहर जी मंदिर बदराणा झाड़ोल उदयपुर (Harihar Temple Badrana Jhadol Udaipur)
| मंदिर का नाम:- | हरिहर जी मंदिर (Harihar Ji Temple) |
| स्थान:- | बदराणा गांव, झाड़ोल तहसील, उदयपुर जिला, राजस्थान (उदयपुर से लगभग 55 किलोमीटर दूर) |
| समर्पित देवता:- | भगवान शिव, विष्णु और कृष्ण |
| निर्माण वर्ष:- | विक्रम संवत 1111 (लगभग 1054 ईस्वी) |
| प्रसिद्ध त्यौहार:- | निर्जला एकादशी, अन्नकूट, कृष्ण जन्माष्टमी, आषाढ़ी पूर्णिमा |
हरिहर जी मंदिर बदराणा (उदयपुर) का इतिहास
हरिहर जी मंदिर बदराणा का इतिहास 900 साल से अधिक पुराना है। विक्रम संवत 1111 में बदराणा के निकट मानसी और रोवली (एक छोटा नाला) नदियों के संगम पर मिट्टी खोदते समय एक आदिवासी परिवार को काली पत्थर की यह अनोखी मूर्ति मिली थी। शुरू में, त्रिशूल और निचली आकृतियों को देखकर इसे भैरव देवता मान लिया गया और सैकड़ों वर्षों (लगभग 500 वर्ष) तक चबूतरे पर भैरव रूप में पूजा की जाती रही थी।
मुख्य किंवदंती महाराणा प्रताप से जुड़ी है। जब प्रताप कमलनाथ महादेव मंदिर जा रहे थे, तो उन्हें इस मूर्ति के शंख-चक्र दिखे। उन्होंने तुरंत इसे विष्णु रूप में पहचाना था। उस समय के बाद से इस मूर्ति की पूजा विष्णु के रूप में होना शुरू हुई थी। मंदिर में पूजा अर्चना का कार्य पिछली आठ पीढ़ियों से सांचीहर परिवार करता आ रहा है। मंदिर में वैष्णव संप्रदाय की पद्धति के अनुसार सेवा पूजा की जाती है।
मन्दिर में मुख्य प्रतिमा के ठीक सामने एक बड़ी व एक छोटी गरुड जी की मुर्तिया है, बड़ी मुर्ति के नीचे संवत 1111 अंकित है, किसी भी मन्दिर में भगवान के वाहन की प्रतिष्ठा बिना उनके स्वामी के नहीं होती है अतः यह मुर्ति एक हजार वर्ष पुरानी तो है ही तथा उससे भी अधिक प्राचीन हो सकती है।
हरिहर जी मंदिर बदराणा (झाड़ोल) की वास्तुकला और संरचना
यह मंदिर सामान्य राजस्थानी शैली में बना हुआ है। इस मंदिर के मुख्य गर्भगृह में हरिहर जी की प्रतिमा स्थापित है। मुख्य गर्भगृह के सामने भगवान विष्णु के वाहन गरुड़ जी की दो प्रतिमाएं स्थापित है। इस मंदिर की मुख्य आकर्षण मंदिर में स्थापित हरिहर जी की प्रतिमा है।

भगवान हरिहर जी की प्रतिमा एक काले पत्थर से बनी है, जिसमे भगवान शिव, विष्णु और कृष्ण का स्वरूप समाहित है। इस मूर्ति के मध्य भाग में भगवान विष्णु का स्वरूप है तथा मूर्ति के दाई तरफ भगवान शिव (हर) व बाई तरफ भगवान कृष्ण की छोटी छोटी प्रतिमाएं बनी हुई है।

मंदिर परिसर में मंदिर के पास ही भगवान शिव का मंदिर बना हुआ है, जिसे नीलकंठ महादेव के रूप में जाना जाता है।
हरिहर जी मंदिर बदराणा तक कैसे पहुँचें?
मंदिर का स्थान: हरिहर जी मंदिर राजस्थान के उदयपुर जिले की झाड़ोल तहसील के बदराणा गांव में स्थित है, जो उदयपुर से लगभग 55 किलोमीटर दूर है।
मंदिर तक पहुंचने का विकल्प इस प्रकार है:
- सड़क मार्ग: यह मंदिर उदयपुर से लगभग 55 किलोमीटर दूर है। उदयपुर से आप टैक्सी, बस या अन्य स्थानीय परिवहन का उपयोग करके झाड़ोल कस्बे तक पहुँच सकते हैं, जो उदयपुर से लगभग 50 किलोमीटर दूर है। झाड़ोल से यह मंदिर लगभग 5 किलोमीटर दूर है, जहां से आप टैक्सी, बस या अन्य स्थानीय परिवहन का उपयोग करके मंदिर तक पहुंच सकते है।
- रेल मार्ग: मंदिर का नजदीकी रेलवे स्टेशन उदयपुर रेलवे स्टेशन मंदिर से लगभग 55 किलोमीटर दूर है। उदयपुर से आप टैक्सी, बस या अन्य स्थानीय परिवहन का उपयोग करके झाड़ोल कस्बे तक पहुँच सकते हैं, जो उदयपुर से लगभग 50 किलोमीटर दूर है। झाड़ोल से यह मंदिर लगभग 5 किलोमीटर दूर है, जहां से आप टैक्सी, बस या अन्य स्थानीय परिवहन का उपयोग करके मंदिर तक पहुंच सकते है।
- हवाई मार्ग: महाराणा प्रताप हवाई अड्डा मंदिर से लगभग 70 से 75 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। हवाई अड्डे से आप ऑटो, टैक्सी, बस या अन्य स्थानीय परिवहन का उपयोग करके उदयपुर तक पहुँच सकते हैं। उदयपुर पहुंचने के बाद आप टैक्सी, बस या अन्य स्थानीय परिवहन का उपयोग करके झाड़ोल कस्बे तक पहुँच सकते हैं, जो उदयपुर से लगभग 50 किलोमीटर दूर है। झाड़ोल से यह मंदिर लगभग 5 किलोमीटर दूर है, जहां से आप टैक्सी, बस या अन्य स्थानीय परिवहन का उपयोग करके मंदिर तक पहुंच सकते है।
