इच्छापूर्ण बालाजी मंदिर, सरदारशहर, चुरू, राजस्थान में स्थित एक प्रमुख धार्मिक स्थल है, जो भगवान हनुमान को इच्छापूर्ण बालाजी के रूप में समर्पित है। यह मंदिर विश्व में अद्वितीय है, क्योंकि यहाँ हनुमान जी की मूर्ति बैठे हुए रूप में स्थापित है, जो अन्य मंदिरों से भिन्न है। अपनी चमत्कारी शक्तियों और मनोकामना पूर्ति के लिए प्रसिद्ध, यह मंदिर भक्तों के लिए आस्था और शांति का केंद्र है।
इच्छापूर्ण बालाजी मंदिर सरदारशहर चुरू (Ichchhapuran Balaji Mandir Sardarshahar Churu)
मंदिर का नाम:- | इच्छापूर्ण बालाजी मंदिर (Ichchhapuran Balaji Mandir) |
स्थान:- | सरदारशहर, चुरू, राजस्थान |
समर्पित देवता:- | भगवान हनुमान (बालाजी) |
निर्माण वर्ष:- | 13 फरवरी 2005 (प्राण प्रतिष्ठा) |
प्रसिद्ध त्यौहार:- | हनुमान जयंती |
इच्छापूर्ण बालाजी मंदिर सरदारशहर चुरू का इतिहास
इच्छापूर्ण बालाजी मंदिर के निर्माण के पीछे की कहानी सीधे तौर पर सरदारशहर के निवासी स्वर्गीय सेठ श्री मूलचंद मालू और उनके पुत्र विकास कुमार मालू के संरक्षण से जुड़ी है। मालू परिवार एक प्रमुख व्यावसायिक घराना है, जिसकी नींव मूलचंद मालू ने 1985 में कुबेर खैनी के व्यवसाय के साथ रखी थी। बाद में, विकास मालू के नेतृत्व में यह ‘कुबेर ग्रुप’ 50 से अधिक देशों में अपने कारोबार का विस्तार कर चुका है। मालू परिवार की धार्मिक आस्था का आधार सालासर बालाजी महाराज में उनकी गहन और अटूट श्रद्धा है।
इच्छापूर्ण बालाजी मंदिर की स्थापना एक आधुनिक किंवदंती पर आधारित है, जो इसे कई सदियों पुराने मंदिरों से अलग करती है। इस कहानी के अनुसार, स्वर्गीय सेठ मूलचंद मालू, जो सालासर बालाजी के परम भक्त थे और नियमित रूप से उनके दर्शन के लिए जाते थे, उन्हें एक दिन गहरी नींद में एक स्वप्न आया था। इस स्वप्न में, स्वयं हनुमान जी ने उन्हें सरदारशहर में एक भव्य मंदिर का निर्माण करने का आदेश दिया। इस दैवीय आदेश ने मालू जी के जीवन को एक नई दिशा दी और उन्होंने तुरंत इस कार्य को पूरा करने के लिए अपनी पूरी शक्ति लगा दी थी।
मंदिर का निर्माण कार्य पूरा होने के बाद इसका प्राण प्रतिष्ठा समारोह 13 फरवरी 2005 को बसंत पंचमी के पावन दिन संपन्न हुआ था। इसी दिन मंदिर को भक्तों के लिए दर्शनार्थ खोला गया था। इस दिन मंदिर की पहली आरती ठीक 12:21 बजे की गई थी।
मंदिर के निर्माण से जुड़ी एक और अनोखी और महत्वपूर्ण किंवदंती है। ऐसा माना जाता है कि जब मंदिर का निर्माण कार्य चल रहा था, तब एक बंदर (वानर) पूरे समय वहाँ मौजूद रहता था। जब तक मंदिर का निर्माण कार्य चला, वह बंदर वहाँ से कहीं नहीं गया। भक्तों और स्थानीय लोगों का मानना है कि वह बंदर कोई और नहीं, बल्कि स्वयं हनुमान जी थे, जो अपने भव्य मंदिर के निर्माण की निगरानी कर रहे थे। यह लोककथा इस बात को सिद्ध करती है कि कैसे एक आधुनिक परियोजना भी पारंपरिक आस्था और दैवीय हस्तक्षेप की किंवदंतियों से जुड़कर भक्तों की श्रद्धा को और भी गहरा कर सकती है। यह घटना इस मंदिर के इतिहास में एक विशेष स्थान रखती है और इसे एक समकालीन चमत्कारी स्थल के रूप में स्थापित करती है।
मंदिर का निर्माण और इसका निरंतर संचालन आज भी मालू परिवार के संरक्षण में है। स्वर्गीय मूलचंद मालू के बाद, उनके पुत्र श्री विकास कुमार मालू इस मंदिर का प्रबंधन और संचालन करते हैं। संपूर्ण व्यवस्था और रखरखाव मालू परिवार के सौजन्य से ही चलती है। यह मंदिर सिर्फ़ एक पूजा स्थल नहीं है, बल्कि एक ऐसे समूह की विरासत है जो अपनी व्यावसायिक सफलता को सामाजिक कल्याण और धार्मिक गतिविधियों में निवेश करता है।
इच्छापूर्ण बालाजी मंदिर सरदारशहर चुरू की वास्तुकला और संरचना
इच्छापूर्ण बालाजी मंदिर का स्थापत्य अपनी विशिष्टता के लिए प्रसिद्ध है, क्योंकि यह भारत की विभिन्न स्थापत्य शैलियों का एक अनूठा संगम है। मंदिर के निर्माण में मुख्य रूप से दक्षिण भारत और पश्चिम बंगाल के कारीगरों का योगदान रहा, जिन्होंने इसे द्रविड़ शैली में निर्मित किया था। हालाँकि, इसकी समग्र डिज़ाइन को जयपुर के प्रसिद्ध बिरला मंदिर और गुजरात के ऐतिहासिक सोमनाथ मंदिर की वास्तुकला से प्रेरित है।
मंदिर का निर्माण जोधपुर के लाल पत्थरों से किया गया है, जिसकी नक्काशी और मूर्तिकला देखते ही बनती है। प्रवेश द्वार पर रामायण के सुंदर चित्र और हनुमान जी की लीलाओं की नक्काशी की गई है, जो मंदिर को न केवल एक धार्मिक केंद्र, बल्कि एक कलात्मक उत्कृष्ट कृति भी बनाती है। मंदिर का परिसर लगभग 7 एकड़ (लगभग 11 बीघा) क्षेत्र में फैला हुआ है, जिसमें एक विशाल और आकर्षक परिसर, एक सुंदर बगीचा और एक सिद्ध धूना शामिल है।
मंदिर के गर्भगृह में भगवान हनुमान जी की मूर्ति स्थापित है, मंदिर की प्रतिमा का सबसे असाधारण पहलू हनुमान जी का ‘राजा रूप’ है, जो एक सिंहासन पर विराजमान हैं। इच्छापूर्ण बालाजी की भव्य प्रतिमा को जयपुर के प्रजापति आर्ट द्वारा डिज़ाइन किया गया था।

मंदिर परिसर में भक्तों की सुविधा और सुरक्षा के लिए कई आधुनिक सेवाएँ प्रदान की जाती हैं। मंदिर परिसर में एक खूबसूरत विश्राम गृह (रेस्टोरेंट) भी है जहाँ भक्त आराम कर सकते हैं, जलपान और भोजन कर सकते हैं। धार्मिक मेलों और त्योहारों के दौरान, विशेषकर हनुमान जन्मोत्सव और शरद पूर्णिमा के अवसर पर, पैदल यात्रियों और भक्तों के लिए बड़े पैमाने पर भंडारे आयोजित किए जाते हैं, जहाँ उनकी सेवा और भोजन की व्यवस्था की जाती है।
इच्छापूर्ण बालाजी मंदिर सरदारशहर चुरू तक कैसे पहुँचें?
मंदिर का स्थान: इच्छापूर्ण बालाजी मंदिर राजस्थान के चुरू जिले के रतनगढ़-गंगानगर राजमार्ग पर सरदारशहर से लगभग 8 किलोमीटर पहले स्थित है।
मंदिर तक पहुंचने का विकल्प इस प्रकार है:
- हवाई मार्ग: जयपुर हवाई अड्डा (Jaipur Airport) मंदिर से लगभग 290 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। हवाई अड्डे से आप टैक्सी, बस या अन्य स्थानीय परिवहन का उपयोग करके मंदिर तक पहुँच सकते हैं।
- रेल मार्ग: इच्छापूर्ण बालाजी मंदिर का नजदीकी रेलवे स्टेशन सरदारशहर रेलवे स्टेशन मंदिर से लगभग 8 से 10 किलोमीटर दूर है। रेलवे स्टेशन से आप ऑटो, टैक्सी या अन्य स्थानीय परिवहन का उपयोग करके मंदिर तक पहुँच सकते हैं।
- सड़क मार्ग: मंदिर चुरू से लगभग 57 किलोमीटर दूर है। यात्री टैक्सी, बस या अन्य सड़क परिवहन सेवाएँ लेकर चुरू पहुँच सकते हैं। चुरू पहुँचने के बाद आप स्थानीय टैक्सी, ऑटो-रिक्शा या बस से मंदिर तक पहुँच सकते हैं।