खेतपाल मंदिर, जैसलमेर का एक प्राचीन और पवित्र धार्मिक स्थल है, जो खेतपाल बाबा (क्षेत्रपाल) को समर्पित है। खेतपाल बाबा को क्षेत्र के रक्षक और खेती-पशुपालन के संरक्षक देवता के रूप में पूजा जाता है। यह मंदिर जैसलमेर शहर के निकट, बड़ा भाग के पास स्थित है और भाटी राजपूतों तथा स्थानीय समुदाय के लिए गहरी आस्था का केंद्र है।
खेतपाल मंदिर जैसलमेर (Khetpal Temple Jaisalmer)
मंदिर का नाम:- | खेतपाल मंदिर (क्षेत्रपाल मंदिर) |
स्थान:- | जैसलमेर शहर के निकट, बड़ा भाग के पास, जैसलमेर, राजस्थान |
समर्पित देवता:- | खेतपाल बाबा (क्षेत्रपाल), क्षेत्र के रक्षक और खेती के देवता |
निर्माण वर्ष:- | प्राचीन (संभावित 12वीं-15वीं शताब्दी), सटीक वर्ष अस्पष्ट |
प्रसिद्ध त्यौहार:- | नवरात्रि |
खेतपाल मंदिर जैसलमेर का इतिहास
जैसलमेर के खेतपाल महाराज के मंदिर को करीब एक हजार साल पुराना माना जाता है। मंदिर का निर्माण संभावित रूप से 12वीं से 15वीं शताब्दी के बीच हुआ होगा, जो भाटी शासकों के संरक्षण में था। सटीक निर्माण वर्ष और निर्माता की जानकारी अस्पष्ट है, क्योंकि लिखित अभिलेख सीमित हैं।
जैसलमेर का खेतपाल मंदिर जैसलमेर शहर से लगभग 6 किलोमीटर की दूरी पर बड़ाबाग नामक ऐतिहासिक स्थल में स्थित है। बड़ाबाग एक महत्वपूर्ण स्थान है, जिसमें भाटी राजाओं की शाही छतरियाँ और एक विशाल पार्क शामिल है, जो जैसलमेर के उत्तर में स्थित है। मंदिर की यह स्थिति इसे जैसलमेर के शाही और सांस्कृतिक इतिहास के साथ गहराई से जोड़ती है।
मंदिर से जुड़ी एक प्रमुख किवदंती है। पौराणिक कथा के अनुसार, माड़ प्रदेश (जैसलमेर राज्य) के निवासी मामड़िया चारण, एक चारण समुदाय के व्यक्ति थे, जिनकी कोई संतान नहीं थी। उन्होंने हिंगलाज माता की सात बार पैदल यात्रा की थी। एक रात, हिंगलाज माता ने उन्हें स्वप्न में दर्शन दिए और उनसे पूछा कि उन्हें पुत्र चाहिए या पुत्री, तो चारण ने कहा कि माता स्वयं उनके घर जन्म लें।इसके परिणामस्वरूप, उनके घर में सात पुत्रियों और एक पुत्र का जन्म हुआ था। जिनमें सबसे बड़ी और प्रमुख कन्या का नाम आवड़ रखा गया था। इन सातों बहनों ने अपने जन कल्याणकारी कार्यों और परोपकारी स्वभाव से आवड़ देवी के नाम से ख्याति प्राप्त की और उन्हें कल्याणी देवी के रूप में भी पूजा जाने लगा। खेतपाल महाराज को उन्हीं सात देवियों का भाई माना जाता है।
खेतपाल मंदिर जैसलमेर धार्मिक परंपराएँ और मान्यताएँ
जैसलमेर के खेतपाल मंदिर की सबसे विशिष्ट परंपरा नवविवाहित जोड़ों द्वारा विवाह सूत्र बंधन (कोंकण डोरा) खोलने की है। विवाह के तुरंत बाद दूल्हा-दुल्हन यहां दर्शन करने आते हैं। इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य विवाह का सूत्र बंधन (जिसे स्थानीय भाषा में ‘कोंकण डोरा’ कहा जाता है) खोलना है। यह अनुष्ठान बाबा के आशीर्वाद से नवदंपति के नए जीवन की शुरुआत का प्रतीक है। यह संभवतः दुनिया का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां शादी के तुरंत बाद बाबा के दर्शन के लिए आना पड़ता है। यदि नवदंपति किसी कारणवश मंदिर नहीं पहुंच पाते, तो वे एक नारियल अलग रख देते हैं जिसे बाद में भैरव को समर्पित किया जाता है। यह परंपरा जैसलमेर राज्य की स्थापना के साथ शुरू हुई थी और आज भी निर्विवाद रूप से प्रचलित है, लाखों जोड़ों द्वारा इसका पालन किया जा चुका है।
खेतपाल मंदिर की एक और असाधारण विशेषता यह है कि यहां पुजारी पुरुष नहीं बल्कि माली जाति की महिलाएं होती हैं। ये महिलाएं ही दूल्हा-दुल्हन से विधिवत पूजा-पाठ करवाती हैं और सभी धार्मिक रस्में पूरी करती हैं। मंदिर के पूजा-पाठ का जिम्मा बड़ाबाग के स्थानीय माली परिवार की महिलाएं ही करती हैं, जिसके लिए एक निविदा प्रक्रिया (बोली) भी जारी होती है, और जो अधिक विकास के लिए बोली लगाता है, उसे ही मंदिर का जिम्मा सौंपा जाता है। यह एक अनूठी सामुदायिक प्रबंधन प्रणाली को दर्शाता है।
यह मंदिर सांप्रदायिक सद्भाव की एक उत्कृष्ट मिसाल है। यहां न केवल हिंदू बल्कि सिंधी मुस्लिम भी नियमित रूप से पूजा करने आते हैं। स्थानीय मुस्लिम समुदाय के लोग भी निकाह के बाद की कुछ परंपराएं इसी मंदिर में पूरी करते हैं। जैसलमेर के निवासी, चाहे वे दुनिया के किसी भी कोने में रहते हों, ‘कोंकण डोरा’ खोलने के लिए इस मंदिर में आने का प्रयास करते हैं। सिंधी मुस्लिमों की मंदिर के अनुष्ठानों में सक्रिय भागीदारी, जिसमें विवाह के बाद की परंपराएं भी शामिल हैं।
खेतपाल मंदिर जैसलमेर की वास्तुकला और संरचना
खेतपाल मंदिर, जिसे क्षेत्रपाल मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, एक प्राचीन धार्मिक स्थल है, जो खेतपाल बाबा (क्षेत्रपाल) को समर्पित है। खेतपाल बाबा को क्षेत्र के रक्षक और कृषि व पशुपालन के संरक्षक देवता के रूप में पूजा जाता है। खेतपाल मंदिर जैसलमेर की वास्तुकला और संरचना साधारण है। मंदिर के गर्भगृह में खेतपाल बाबा की मूर्ति स्थापित है।
खेतपाल मंदिर जैसलमेर तक कैसे पहुँचें?
मंदिर का स्थान: खेतपाल मंदिर, जिसे क्षेत्रपाल मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, यह राजस्थान के जैसलमेर से लगभग 7 किलोमीटर दूर बड़ा बाग के निकट स्थित है।
खेतपाल मंदिर जैसलमेर तक पहुंचने के विकल्प
- हवाई मार्ग: हवाई यात्रा के लिए निकटतम हवाई अड्डा जोधपुर हवाई अड्डा है, जो जैसलमेर से 285 किलोमीटर दूर है। इसके बाद सड़क मार्ग से मंदिर तक पहुँचना होगा। हवाई अड्डे से आप टैक्सी, बस या अन्य स्थानीय परिवहन से जैसलमेर पहूंच सकते हैं और उसके बाद मंदिर तक।
- रेल मार्ग: रेल यात्रा के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन जैसलमेर रेलवे स्टेशन है, जो मंदिर से लगभग 7 किलोमीटर दूर है। रेलवे स्टेशन से आप टैक्सी, बस या अन्य स्थानीय परिवहन से मंदिर तक पहुंच सकते हैं।
- सड़क मार्ग: सड़क मार्ग मंदिर तक पहुँचने का सबसे सुविधाजनक और लोकप्रिय तरीका है। मंदिर जैसलमेर शहर से लगभग 7 किलोमीटर दूर है।