लक्ष्मीनाथ मंदिर, जैसलमेर के ऐतिहासिक ‘सोनार किला’ के भीतर स्थित एक प्राचीन और महत्वपूर्ण हिंदू मंदिर है। यह मंदिर भगवान विष्णु और उनकी पत्नी देवी लक्ष्मी को समर्पित है, जो समृद्धि और संरक्षण की प्रतीक हैं। जैसलमेर के सबसे पुराने मंदिरों में से एक होने के कारण, यह स्थानीय लोगों और तीर्थयात्रियों के लिए आस्था का केंद्र है। अपनी साधारण लेकिन आकर्षक वास्तुकला और धार्मिक महत्व के साथ, मंदिर पर्यटकों को भी आकर्षित करता है। जैसलमेर किला, जो यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल का हिस्सा है, इस मंदिर को एक अनूठा ऐतिहासिक और सांस्कृतिक वातावरण प्रदान करता है।
लक्ष्मीनाथ मंदिर जैसलमेर (Laxminath Temple Jaisalmer)
मंदिर का नाम:- | लक्ष्मीनाथ मंदिर जैसलमेर (Laxminath Temple Jaisalmer) |
स्थान:- | जैसलमेर किला, जैसलमेर, राजस्थान |
समर्पित देवता:- | भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी |
निर्माण वर्ष:- | 1494 ई. (राव लूणकरन के शासनकाल में) |
प्रसिद्ध त्यौहार:- | जन्माष्टमी, रामनवमी, निर्जला एकादशी |
लक्ष्मीनाथ मंदिर जैसलमेर का इतिहास
लक्ष्मीनाथ मंदिर, जैसलमेर एक प्राचीन और ऐतिहासिक हिंदू मंदिर है, जो भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी को समर्पित है। इसका निर्माण 1494 ई. में राव लूणकरण (भट्टी राजवंश) के शासनकाल में हुआ था, और यह जैसलमेर किले (यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल) के भीतर स्थित है। माना जाता है कि मंदिर की मूर्तियों को विद्वान ब्राह्मण सेन पाल शाकद्वीपी ने स्थापित किया था, और इसके खंभे लोद्रवा गाँव से लाए गए थे, जो उस समय भट्टी राजवंश की पुरानी राजधानी थी।
14वीं शताब्दी में अलाउद्दीन खिलजी के आक्रमण के दौरान मंदिर का बड़ा हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया था। 15वीं शताब्दी में महारावल लक्ष्मण ने इसका जीर्णोद्धार कराया, जिसने मंदिर को उसका वर्तमान स्वरूप प्रदान किया था।
लक्ष्मीनाथ मंदिर जैसलमेर की वास्तुकला और संरचना
लक्ष्मीनाथ मंदिर अपने आप में बहुत सुंदर है और यद्यपि इसका बाहरी हिस्सा साधारण दिखता है, लेकिन अंदरूनी भाग में अद्भुत वास्तुकला और सुंदर नक्काशी है। मंदिर की वास्तुकला साधारण लेकिन सुंदर राजपूत शैली में है, जो पीले बलुआ पत्थर से निर्मित है। मंदिर के दरवाजों पर चाँदी की रूपरेखा और बारीक नक्काशी है, जो इसे एक शाही आकर्षण प्रदान करती है।
गर्भगृह में भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की मूर्तियाँ स्थापित हैं, जो काले और सफेद संगमरमर से बनी हैं। गूढ़मंडप में अन्य देवताओं की पेंटिंग्स और छोटी मूर्तियाँ हैं। मंदिर की दीवारों और छत पर अन्य देवताओं की सुंदर चित्रकारी और नक्काशी है, जिसमें फूलों के पैटर्न, पौराणिक आकृतियाँ, और ज्यामितीय डिज़ाइन शामिल हैं।

मंदिर परिसर में एक छोटे गणेश मंदिर की छत पर भगवान विष्णु की सर्पों पर विराजमान मूर्ति है, जो वास्तुकला की एक अनूठी विशेषता है। मंदिर के कुछ हिस्सों पर जैन तीर्थंकरों की छोटी प्रतिमाएँ उत्कीर्ण हैं, जो जैसलमेर में हिंदू-जैन सांस्कृतिक समन्वय का प्रतीक है।
लक्ष्मीनाथ मंदिर जैसलमेर तक कैसे पहुँचें?
मंदिर का स्थान: लक्ष्मीनाथ मंदिर राजस्थान के जैसलमेर शहर के जैसलमेर किले में स्थित है।
लक्ष्मीनाथ मंदिर जैसलमेर तक पहुँचने के तरीके
- हवाई मार्ग: हवाई मार्ग से लक्ष्मीनाथ मंदिर तक पहुँचने के लिए निकटतम हवाई अड्डा जोधपुर हवाई अड्डा है, जो मंदिर से लगभग 285 किलोमीटर दूर है। हवाई अड्डे से आप टैक्सी, बस या अन्य स्थानीय परिवहन से जैसलमेर तक पहुंच सकते हो और उसके बाद मंदिर तक।
- रेल मार्ग: रेल मार्ग से लक्ष्मीनाथ मंदिर तक पहुँचने के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन जैसलमेर रेलवे स्टेशन है, जो मंदिर से लगभग 2 किलोमीटर दूर है। स्टेशन से ऑटो-रिक्शा, टैक्सी या अन्य स्थानीय परिवहन से मंदिर तक पहुंच सकते हो।
- सड़क मार्ग: सड़क मार्ग लक्ष्मीनाथ मंदिर तक पहुँचने का सबसे सुविधाजनक और लोकप्रिय तरीका है। जैसलमेर जोधपुर (285 किमी), जयपुर (550 किमी), और बीकानेर (330 किमी) से सड़क मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा है। जैसलमेर शहर के केंद्र में स्थित किला पैदल या ऑटो-रिक्शा से आसानी से पहुँचा जा सकता है।
यात्रा का सबसे अच्छा समय और अन्य टिप्स:
- अक्टूबर से मार्च का समय लक्ष्मीनाथ मंदिर की यात्रा के लिए सबसे उपयुक्त है, क्योंकि इस दौरान मौसम सुहावना होता है और तापमान 40°C से नीचे रहता है। मई और जून के महीनों में राजस्थान की गर्मी बहुत तेज होती है, जो यात्रा को कठिन बना सकती है।
- जैसलमेर शहर में ऑटो-रिक्शा और टैक्सी आसानी से उपलब्ध हैं। किले के अंदर संकरी गलियाँ हैं, इसलिए मंदिर तक पैदल जाना पड़ता है।
- किले के पास और जैसलमेर शहर में कई होटल और गेस्ट हाउस उपलब्ध हैं, जो विभिन्न बजटों के लिए उपयुक्त हैं।