प्रतापगढ़ राजस्थान के प्रसिद्ध मंदिर कौन कौन से है? | Famous Temple in Pratapgarh Rajasthan

प्रतापगढ़, राजस्थान का 33वां जिला, 26 जनवरी 2008 को स्थापित हुआ, जो मेवाड़ के सिसोदिया वंश से ऐतिहासिक रूप से जुड़ा है। अरावली पर्वतमाला और जाखम नदी के किनारे बसा यह क्षेत्र अपनी प्राकृतिक सुंदरता और थेवा कला के लिए प्रसिद्ध है। प्रतापगढ़ के मंदिर स्थानीय भक्तों और पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। ये मंदिर न केवल धार्मिक आस्था के केंद्र हैं, बल्कि अपनी प्राचीन वास्तुकला, ऐतिहासिक महत्व और सांस्कृतिक धरोहर के लिए भी जाने जाते हैं।

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प्रतापगढ़ राजस्थान के प्रसिद्ध मंदिर कौन कौन से है? (Famous Temple in Pratapgarh Rajasthan)

यहाँ पर प्रतापगढ़ राजस्थान के प्रसिद्ध और लोकप्रिय मंदिरो की लिस्ट (Pratapgarh rajasthan temple list) दी गई है:

गौतमेश्वर महादेव मंदिर (Gautameshwar Mahadev Temple)

गौतमेश्वर महादेव मंदिर प्रतापगढ़ (Gautameshwar Mahadev Temple Pratapgarh)
मंदिर का नाम:-गौतमेश्वर महादेव मंदिर (Gautameshwar Mahadev Temple)
स्थान:-अरनोद तहसील, प्रतापगढ़ जिला, राजस्थान
समर्पित देवता:-भगवान शिव (खंडित शिवलिंग)
निर्माण वर्ष:-प्राचीन मंदिर (लोक मान्यताओं के अनुसार)
मुख्य आकर्षण:-स्वयंभू शिवलिंग, मंदाकिनी कुंड (मोक्षदायिनी कुंड)
प्रसिद्ध त्यौहार:-महाशिवरात्रि, श्रावण मास

राजस्थान का प्रतापगढ़ जिला अपनी प्राकृतिक सुंदरता, ऐतिहासिक विरासत और धार्मिक स्थलों के लिए प्रसिद्ध है। इनमें से एक प्रमुख आध्यात्मिक केंद्र गोतमेश्वर महादेव मंदिर है, जो भगवान शिव को समर्पित है। जहां आज भी खंडित शिवलिंग की पूजा की जाती है। गोतमेश्वर महादेव मंदिर को स्थानीय और आदिवासी समुदायों द्वारा एक पवित्र तीर्थ स्थल के रूप में पूजा जाता है, जहाँ गंगाकुंड में स्नान करने की परंपरा को पापमुक्ति का साधन माना जाता है। माना जाता है की इस मंदिर का संबंध महर्षि गौतम से जुड़ा हुआ है।

यह लेख पढ़े: गौतमेश्वर महादेव मंदिर प्रतापगढ़

भंवर माता मंदिर (Bhanwar Mata Temple)

भंवर माता मंदिर प्रतापगढ़ (Bhanwar Mata Temple Pratapgarh)
मंदिर का नाम:-भंवर माता मंदिर (Bhanwar Mata Temple)
स्थान:-छोटी सादड़ी ,प्रतापगढ़, राजस्थान
समर्पित देवता:-भंवर माता (देवी दुर्गा का स्वरूप)
निर्माण वर्ष:-491 ई (यहा मिले शिलालेख के अनुसार)
प्रसिद्ध त्यौहार:-नवरात्री

राजस्थान का प्रतापगढ़ जिला में कई प्राचीन मंदिर भक्तों और पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। इनमें से एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है भंवर माता मंदिर, जो प्रतापगढ़ जिले की छोटी सादड़ी तहसील में निम्बाहेड़ा-प्रतापगढ़ मार्ग पर स्थित है। यह मंदिर माँ दुर्गा के एक रूप, भंवर माता, को समर्पित है और इसे क्षेत्र का एक प्रमुख शक्तिपीठ माना जाता है। अरावली पहाड़ियों की तलहटी में बसा यह मंदिर 1500 वर्षों से भी अधिक पुराना है।

यह लेख पढ़े: भंवर माता मंदिर प्रतापगढ़

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रोकड़िया हनुमान मंदिर (Rokdiya Hanumanji Temple)

रोकड़िया हनुमान मंदिर प्रतापगढ़ (Rokdiya Hanumanji mandir Pratapgarh)
मंदिर का नाम:-रोकड़िया हनुमान मंदिर (Rokdiya Hanumanji Temple)
स्थान:-झांसड़ी गाँव, छोटी सादड़ी तहसील, प्रतापगढ़ जिला, राजस्थान
समर्पित देवता:-भगवान हनुमान जी
निर्माण वर्ष:-प्राचीन मंदिर (लोक मान्यताओ के अनुसार )
मुख्य आकर्षण:-हनुमान जी की विशाल प्रतिमा
प्रसिद्ध त्यौहार:-हनुमान जयंती

राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले के झांकड़ी गाँव में स्थित रोकड़िया हनुमान मंदिर एक प्राचीन और चमत्कारिक तीर्थस्थल है। यह मंदिर भगवान हनुमान को समर्पित है और अपनी स्वयंभू प्रतिमा और “रिजर्व बैंक ऑफ रोकड़िया हनुमानजी” के रूप में अद्वितीय पहचान के लिए प्रसिद्ध है। मंदिर की यह उपाधि इस विश्वास से जुड़ी है कि यहाँ प्रार्थना करने वाले भक्तों की आर्थिक समस्याएँ हल हो जाती हैं, और वे अपनी मनोकामनाएँ पूरी होने पर इमानदारी से भेंट चढ़ाते हैं। मंदिर का प्राकृतिक परिवेश, जिसमें जंगल, पहाडियाँ, और एक झरना शामिल है, इसे एक आध्यात्मिक और पर्यटक स्थल बनाता है।

यह लेख पढ़े: रोकड़िया हनुमान मंदिर प्रतापगढ़

सीता माता मंदिर (Sita Mata Temple)

सीतामाता मंदिर प्रतापगढ़ (Sita Mata Temple Pratapgarh Rajasthan)
मंदिर का नाम:-सीता माता मंदिर (Sita Mata Temple)
स्थान:-सीता माता वन्यजीव अभ्यारण, प्रतापगढ़, राजस्थान
समर्पित देवता:-माता सीता (एकल प्रतिमा)
निर्माण वर्ष:-प्राचीन (रामायण काल से संबंधित, सटीक तारीख अज्ञात)
मुख्य आकर्षण:-सीतामाता वन्यजीव अभयारण्य
प्रसिद्ध त्यौहार:-ज्येष्ठ माह की अमावस्या पर मेला, हनुमान जयंती

सीतामाता मंदिर, राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले में सीतामाता वन्यजीव अभयारण्य के घने जंगलों में स्थित एक पवित्र धार्मिक स्थल है। यह मंदिर माता सीता को समर्पित भारत का एकमात्र मंदिर है, जहाँ उनकी एकल प्रतिमा स्थापित है। रामायण काल से जुड़ा यह मंदिर धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व के साथ-साथ प्राकृतिक सौंदर्य का भी प्रतीक है।

स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, माता सीता ने अपने वनवास का समय यहीं महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में बिताया था, और उनके पुत्र लव और कुश का जन्म भी इसी क्षेत्र में हुआ था। मंदिर के पास जाखम नदी, सागवान के जंगल, और एक विशाल बरगद का पेड़ इसे और भी आकर्षक बनाते हैं।

यह लेख पढ़े: सीतामाता मंदिर प्रतापगढ़ राजस्थान


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