राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले के झांकड़ी गाँव में स्थित रोकड़िया हनुमान मंदिर एक प्राचीन और चमत्कारिक तीर्थस्थल है। यह मंदिर भगवान हनुमान को समर्पित है और अपनी स्वयंभू प्रतिमा और “रिजर्व बैंक ऑफ रोकड़िया हनुमानजी” के रूप में अद्वितीय पहचान के लिए प्रसिद्ध है। मंदिर की यह उपाधि इस विश्वास से जुड़ी है कि यहाँ प्रार्थना करने वाले भक्तों की आर्थिक समस्याएँ हल हो जाती हैं, और वे अपनी मनोकामनाएँ पूरी होने पर इमानदारी से भेंट चढ़ाते हैं। मंदिर का प्राकृतिक परिवेश, जिसमें जंगल, पहाडियाँ, और एक झरना शामिल है, इसे एक आध्यात्मिक और पर्यटक स्थल बनाता है।
रोकड़िया हनुमान मंदिर प्रतापगढ़ (Rokdiya Hanumanji mandir Pratapgarh)
मंदिर का नाम:- | रोकड़िया हनुमान मंदिर (Rokdiya Hanumanji Temple) |
स्थान:- | झांसड़ी गाँव, छोटी सादड़ी तहसील, प्रतापगढ़ जिला, राजस्थान |
समर्पित देवता:- | भगवान हनुमान जी |
निर्माण वर्ष:- | प्राचीन मंदिर (लोक मान्यताओ के अनुसार ) |
मुख्य आकर्षण:- | हनुमान जी की विशाल प्रतिमा |
प्रसिद्ध त्यौहार:- | हनुमान जयंती |
रोकड़िया हनुमान मंदिर प्रतापगढ़ का इतिहास
रोकड़िया हनुमान झांसड़ी गाँव, छोटी सादड़ी तहसील, प्रतापगढ़ जिले, राजस्थान में स्थित है, एक सैकड़ों वर्ष पुराना प्राचीन मंदिर है। यह मंदिर भगवान हनुमान को समर्पित है और अपनी स्वयंभू प्रतिमा और “रिजर्व बैंक ऑफ रोकड़िया हनुमानजी” की उपाधि के लिए प्रसिद्ध है।
एक व्यापक रूप से प्रचलित किंवदंती के अनुसार, रोकड़िया हनुमानजी की प्रतिमा के पेट पर एक चमत्कारी “जेब” थी। गंभीर वित्तीय कठिनाई का सामना कर रहे भक्त कथित तौर पर इस जेब में हाथ डालकर नकद निकाल सकते थे। इसे एक दिव्य “ऋण” माना जाता था, जिसमें यह निहित समझ थी कि भक्त की वित्तीय स्थिति में सुधार होने पर पैसा मंदिर को वापस कर दिया जाएगा। इस अनूठी प्रथा ने देवता और उनके अनुयायियों की भौतिक भलाई के बीच एक सीधा, मूर्त संबंध स्थापित किया।
प्रतिमा की जेब से सीधे नकद का वितरण एक महत्वपूर्ण घटना के बाद बंद हो गया। किंवदंती के अनुसार, एक चोर ने दुर्भावनापूर्ण इरादे से जेब से पैसे चुराने का प्रयास किया, लेकिन उसका हाथ चमत्कारी रूप से अंदर फंस गया। कथित तौर पर उसका हाथ बहुत लंबी प्रार्थना और सच्ची पश्चाताप के बाद ही मुक्त हुआ। इस घटना के बाद, जेब में पैसे के प्रकट होने का चमत्कार स्थायी रूप से बंद हो गया। हालांकि भक्त अभी भी अपनी आर्थिक समस्याओं की परेशानी लेकर भगवान हनुमान जी के दर आते है।
स्थानीय किंवदंतियाँ बताती हैं कि झांसड़ी गांव, जो रोकड़िया हनुमान मंदिर का वर्तमान स्थान है, इसको प्राचीन समय में गंधर्व नगर से जाना जाता था। इस प्राचीन शहर के नष्ट होने के पीछे की एक महत्वपूर्ण स्थानीय किंवदंती है। यह राजा गंधर्वसेन की कहानी बताती है, जिन्हें एक भविष्यवाणी का सपना आया था जिसमें उन्हें अपनी प्यारी बेटी का विवाह एक गधे से करने का निर्देश दिया गया था, जो अगले दिन सुबह तक अपने पूरे शहर को विनाश या नष्ट होने से बचाने का एकमात्र तरीका था। राजा ने इससे इनकार कर दिया, शहर के अस्तित्व पर पितृ प्रेम को चुना, जिसके परिणामस्वरूप पूरा नगर नष्ट हो गया। लेकिन गंधर्व नगर के विनाश के बीच, रोकड़िया हनुमानजी की प्रतिमा चमत्कारी रूप से सुरक्षित रही थी।
कहा जाता है कि हनुमानजी की यह विशाल प्रतिमा स्वयंभू हैं। इन्हें यहां किसी ने स्थापित नहीं किया है। यह प्राकृतिक रूप से सैकड़ों वर्षों से यहीं स्थित है। इनका एक पांव नजर आता है, लेकिन दूसरे पांव का कहीं छोर नहीं मिलता है। “रोकड़िया” नाम सीधे स्थानीय शब्द “रोकड़ा” से लिया गया है, जिसका अर्थ “नकद” या “नगद रुपैया” होता है। यह व्युत्पत्ति तुरंत मंदिर में भगवान हनुमान को “खजांची” या “कोषाध्यक्ष” के रूप में स्थापित करती है, जो प्रतीकात्मक रूप से “रोकड़िया हनुमानजी के रिजर्व बैंक” के रूप में संदर्भित किया गया है।
रोकड़िया हनुमान मंदिर प्रतापगढ़ की वास्तुकला और संरचना
रोकड़िया हनुमान मंदिर, झांसड़ी गाँव, छोटी सादड़ी तहसील, प्रतापगढ़ जिला, राजस्थान में स्थित है। यह भगवान हनुमान को समर्पित एक महत्वपूर्ण मंदिर है, जो अपनी स्वयंभू मूर्ति और “रिजर्व बैंक ऑफ रोकड़िया हनुमानजी” की उपाधि के लिए प्रसिद्ध है।
प्रतापगढ़ का रोकड़िया हनुमान मंदिर एक अनोखी आस्था और चमत्कारी कहानियों का प्रतीक है। अपनी विशिष्ट प्रतिमा और उससे जुड़ी चमत्कारी मान्यताओं के कारण, यह मंदिर न केवल प्रतापगढ़ बल्कि आसपास के क्षेत्रों में भी एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल बन गया है। मंदिर के गर्भगृह में हनुमान जी की 5 फिट प्रतिमा स्थापित है, बालाजी की प्रतिमा का एक पैर तो नजर आता है परन्तु दुसरे पैर का कोई अंत नही है। प्रतिमा कमर पर एक अलौकिक जेब है, जिसने कभी जरूरतमंदों की आर्थिक सहायता की थी। प्रतिमा में हनुमानजी को दाढ़ी और मूंछों के साथ दर्शाया गया है, जो उन्हें एक विशिष्ट और प्रभावशाली रूप प्रदान करता है।

मंदिर का वर्तमान स्वरूप भक्तो द्वारा 1 करोड़ की लागत से तेयार किया गया है, मंदिर में सुंदर नक्काशी है, मंदिर परिसर में बगीचा भी है, जो मंदिर को एक अलग ही सोन्दर्य प्रदान करता है। यह मंदिर भक्तों के लिए प्रेरणा और अटूट आस्था का केंद्र है, जहाँ वे अपने दुखों और कष्टों से मुक्ति पाने और शांति का अनुभव करने के लिए आते हैं।
रोकड़िया हनुमान मंदिर प्रतापगढ़ तक कैसे पहुँचें?
मंदिर का स्थान: रोकड़िया हनुमान मंदिर, झांसड़ी गाँव, छोटी सादड़ी तहसील, प्रतापगढ़ जिला, राजस्थान में स्थित है।
मंदिर तक पहुँचने के विकल्प इस प्रकार है:
- सड़क मार्ग से: सड़क मार्ग मंदिर तक पहुँचने का सबसे आम और सुविधाजनक तरीका है। मंदिर प्रतापगढ़ शहर से लगभग 8 किलोमीटर दूर है। आप टैक्सी, बस या स्थानीय परिवहन का उपयोग करके झांसड़ी गाँव तक पहुँच सकते हैं।
- रेल मार्ग: प्रतापगढ़ जिले में कोई प्रमुख रेलवे स्टेशन नहीं है। मंदिर का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन मंदसौर स्टेशन है जिसकी दुरी लगभग 34 किलोमीटर है। स्टेशन से आप टैक्सी, बस या स्थानीय परिवहन से झांसड़ी गाँव तक पहुँच सकते हैं।
- हवाई मार्ग से: निकटतम हवाई अड्डा महाराणा प्रताप हवाई अड्डा, डबोक, उदयपुर है, जो मंदिर से लगभग 140-150 किलोमीटर दूर है। हवाई अड्डे से आप टैक्सी, बस या अन्य स्थानीय परिवहन द्वारा प्रतापगढ़ और फिर झांसड़ी गाँव तक पहुँच सकते हैं।