सहस्रबाहु मंदिर, जिसे आमतौर पर ‘सास-बहू मंदिर’ के नाम से जाना जाता है। राजस्थान के उदयपुर जिले के नागदा गाँव में स्थित एक प्राचीन मंदिर है। यह 10वीं सदी का मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है और अपनी खूबसूरत नक्काशी के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर राजस्थान की सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहरों में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
सहस्रबाहु मंदिर (सास-बहू मंदिर) की सामान्य जानकारी
मंदिर का नाम:- | सहस्रबाहु मंदिर (सास-बहू मंदिर) |
स्थान:- | नागदा, उदयपुर, राजस्थान |
समर्पित देवता:- | बड़ा मंदिर भगवान विष्णु को छोटा मंदिर भगवान शिव को |
निर्माण काल:- | 10वीं-11वीं शताब्दी |
निर्माता:- | राजा महिपाल (कच्छवाहा वंश) |
प्रसिद्धि:- | सास-बहू मंदिर के रूप में प्रसिद्ध |
सहस्रबाहु मंदिर (सास-बहू मंदिर) का इतिहास
सहस्रबाहु मंदिर (सास-बहू मंदिर) का निर्माण कच्छवाहा वंश के राजा महीपाल ने 10वीं सदी के अंत में करवाया था, हालांकि कुछ स्रोत इसे 11वीं सदी का भी मानते हैं। इसका मूल नाम “सहस्त्रबाहु” था, जिसका अर्थ है “हजार भुजाओं वाला,” जो भगवान विष्णु का एक नाम है। राजा ने पहला मंदिर अपनी पत्नी के लिए बनवाया, जो विष्णु की भक्त थी, और बाद में अपने बेटे की पत्नी (बहू) के लिए दूसरा मंदिर बनवाया, जो शिव की भक्त थी। इस तरह यह “सास-बहू मंदिर” के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
13वीं सदी में, यानी 1226 में, दिल्ली के सुल्तान इल्तुतमिश ने नागदा पर हमला किया। उसने शहर को बहुत नुकसान पहुँचाया और सास-बहू मंदिर का भी कुछ हिस्सा तोड़ दिया था। इस हमले से मंदिर के कुछ शिखर और संरचनाएँ खंडहर बन गईं थी। लेकिन मंदिर का मुख्य हिस्सा और उसकी सुंदर नक्काशी बच गई। यह समय मंदिर के लिए मुश्किल था, पर इसकी मजबूती और महत्व कम नहीं हुआ।
नागदा मेवाड़ का एक महत्वपूर्ण शहर था और संभवतः इसकी पहली राजधानी थी। समय के साथ मंदिर खंडहर की हालत में आ गया, लेकिन इसकी खूबसूरती और इतिहास को बचाने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने इसे अपने संरक्षण में लिया है। आज यह एक संरक्षित स्मारक है, जो देश के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। यह मंदिर अब भी मेवाड़ की पुरानी सभ्यता और कला को दिखाता है। पर्यटक और इतिहास के शौकीन लोग यहाँ आते हैं और इसे देखकर उस समय की कहानियों को समझते हैं।
सहस्रबाहु मंदिर (सास-बहू मंदिर) की वास्तुकला और संरचना
सहस्रबाहु मंदिर (सास-बहू मंदिर) मारु-गुर्जर शैली में बना है, जो राजस्थान और गुजरात में 10वीं-11वीं सदी में प्रचलित थी। इसमें पत्थरों पर बहुत सुंदर नक्काशी की गई है। मंदिर का ढांचा ऐसा है कि यह ऊँचा और मजबूत दिखता है। यह ग्रेनाइट और संगमरमर से बना है, जो इसे टिकाऊ और चमकदार बनाता है।
परिसर में दो मुख्य मंदिर हैं: बड़ा मंदिर जो सास का है, वह भगवान विष्णु को समर्पित है और छोटा मंदिर बहू का है, वह भगवान शिव को समर्पित है। बड़ा मंदिर 10 छोटे मंदिरों से घिरा है, जबकि छोटा मंदिर 4 छोटे मंदिरों से घिरा है, जिनके आधार अब बचे हैं। दोनों मंदिरों का मुंह पूर्व दिशा की ओर है, जहाँ से सूरज की पहली किरणें अंदर आती हैं। ये मंदिर एक ऊँचे चबूतरे पर बने हैं, जो इन्हें और आकर्षक बनाता है।

मंदिर का प्रवेश द्वार बहुत खूबसूरत है। प्रवेश द्वार तोरण शैली में है, जिसमें चार स्तंभों पर एक सजावटी अर्धचंद्राकार धनुष है दीवारों, खंभों और छत पर बारीक नक्काशी की गई है। इसमें भगवान विष्णु, ब्रह्मा, सरस्वती, राम और बलराम जैसे देवी-देवताओं और पौराणिक कहानियों के दृश्य हैं। ये नक्काशियाँ इतनी साफ हैं कि आज भी इन्हें देखकर उस समय की कला का पता चलता है।

मंदिर में एक मंडप है, यानी एक खुला हॉल, जहाँ लोग इकट्ठा हो सकते हैं। यह हॉल चारों तरफ से खुला है और इसके खंभों पर भी नक्काशी है। ऊपर शिखर हैं, जो ईंटों से बने थे, लेकिन अब ये कुछ टूट गए हैं। फिर भी, मंदिर की बनावट इतनी मजबूत है कि यह खंडहर होने के बाद भी अपनी खूबसूरती बनाए हुए है।
सहस्रबाहु मंदिर (सास-बहू मंदिर) सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व
मंदिर परिवार के बंधनों का प्रतीक है, जो सास और बहू के बीच के संबंध को दर्शाता है। यह विष्णु और शिव की भक्ति का केंद्र है और मेवाड़ की सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है। मंदिर बागेला झील के पास स्थित है, जो इसे एक सुंदर दृश्य देता है, और पास में एकलिंगजी मंदिर और अध्भुतजी जैन मंदिर जैसे अन्य धार्मिक स्थल हैं।
मंदिर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा संरक्षित है, जो इसके राष्ट्रीय महत्व को दर्शाता है। यह मेवाड़ की समृद्ध सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं का एक हिस्सा है और पर्यटकों और तीर्थयात्रियों के लिए आकर्षण का केंद्र है।
सहस्रबाहु मंदिर (सास-बहू मंदिर) तक कैसे पहुँचें?
पता: सहस्रबाहु मंदिर (सास-बहू मंदिर), नागदा, उदयपुर, राजस्थान 313202, भारत
सहस्त्रबाहु मंदिर तक पहुँचने के लिए सबसे पहले, आपको उदयपुर पहुँचना होगा, जो विभिन्न परिवहन विकल्पों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है:
- विमान से: निकटतम हवाई अड्डा महाराणा प्रताप हवाई अड्डा (Dabok Airport) है, जो उदयपुर शहर से लगभग 22 किमी दूर है।
- रेल से: उदयपुर सिटी रेलवे स्टेशन निकटतम रेलवे स्टेशन है, जो शहर के केंद्र से लगभग 2 किमी दूर है।
- सड़क मार्ग से: उदयपुर राजस्थान और आस-पास के राज्यों के कई शहरों से सड़क मार्ग से जुड़ा है। आप टैक्सी या निजी वाहन से भी आ सकते हैं।
नागदा तक स्थानीय परिवहन
उदयपुर से नागदा तक की दूरी लगभग 20-23 किमी है। यह यात्रा राष्ट्रीय राजमार्ग 8 (NH 8) पर होती है और लगभग 30-40 मिनट लेती है।
- टैक्सी: उदयपुर से टैक्सी आसानी से उपलब्ध हैं। आप ओला, उबर जैसे ऐप्स के माध्यम से भी बुक कर सकते हैं।
- बस: सार्वजनिक/निजी बसें उदयपुर से नागदा तक चलती हैं। हालांकि, समय और उपलब्धता पर ध्यान देना जरूरी है।
- निजी वाहन: अगर आपके पास अपनी गाड़ी है, तो NH 8 पर चलकर आसानी से नागदा पहुँच सकते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
ANS: उदयपुर में सास बहू का मंदिर नागदा में स्थित है, उदयपुर से नागदा तक की दूरी लगभग 20-23 किमी है।
ANS: राजस्थान में सास बहू मंदिर उदयपुर के नागदा में स्थित है।
ANS: सहस्रबाहु मंदिर (सास-बहू मंदिर) का निर्माण कच्छवाहा वंश के राजा महीपाल ने 10वीं सदी के अंत में करवाया था, हालांकि कुछ स्रोत इसे 11वीं सदी का भी मानते हैं।