चित्तौड़गढ़ किले के अंदर स्थित भगवान शिव को समर्पित समाधिश्वर मंदिर एक प्राचीन शिव मंदिर है। स्थानीय लोग इसे प्यार से “अद्भुत-जी” भी कहते हैं। यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि अपनी वास्तुकला और इतिहास के लिए भी प्रसिद्ध है। चित्तौड़गढ़ राजस्थान का वह गौरवशाली शहर, जो वीरता, बलिदान और इतिहास की अनगिनत कहानियों से सजा है। चित्तौड़गढ़ किला न केवल राजपूतों की शौर्यगाथाओं का प्रतीक है, बल्कि कई ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों का भी घर है।
समाधिश्वर मंदिर चित्तौड़गढ़ (Samadhishvara Temple Chittorgarh)
मंदिर का नाम:- | समाधिश्वर मंदिर (Samadhishvara Temple) |
स्थान:- | चित्तौड़गढ़ किला, चित्तौड़गढ़, राजस्थान |
समर्पित देवता:- | भगवान शिव |
निर्माण वर्ष:- | 11वीं शताब्दी (परमार राजा भोज द्वारा) |
मुख्य आकर्षण:- | त्रिमुखी शिव प्रतिमा |
प्रसिद्ध त्यौहार:- | महाशिवरात्रि और सावन में विशेष पूजा |
समाधिश्वर मंदिर चित्तौड़गढ़ का इतिहास
समाधिश्वर मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी में परमार वंश के प्रसिद्ध राजा भोज द्वारा करवाया गया था। राजा भोज (जो अपनी विद्वता, कला और वास्तुकला के प्रति प्रेम के लिए जाने जाते थे) ने इस मंदिर को चित्तौड़गढ़ किले के एक महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में स्थापित किया था। इस मंदिर को मूल रूप से त्रिभुवन नारायण मंदिर के नाम से भी जाना जाता था, जिसका उल्लेख 1273 ई. के चिरवा अभिलेख में मिलता है।
मंदिर का कई बार जीर्णोद्धार किया गया है, जो इसके लंबे इतिहास को दर्शाता है। 1150 ई. में चौलुक्य राजा कुमारपाल ने मंदिर का जीर्णोद्धार किया था, जिसका उल्लेख एक अभिलेख में है जो एक दिगंबर जैन भिक्षु द्वारा लिखा गया था। यह जीर्णोद्धार गुजराती वास्तुकला के प्रभाव को समझाने में मदद करती है। 1274 ई. में गुहिल राजा समरसिंह ने मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था, जिसकी पुष्टि 1285 ई. के अचलेश्वर अभिलेख से होती है।
सबसे महत्वपूर्ण जीर्णोद्धार 1428 ई. में राणा मोकल सिंह (मेवाड़ के महान शासक राणा कुंभा के पिता) द्वारा किया गया था। इस जीर्णोद्धार का उल्लेख एक काले संगमरमर की पट्टिका पर है, और वे वर्तमान शिव मूर्ति की स्थापना के लिए जिम्मेदार माने जाते हैं। इसके अलावा, 1442 ई. और 1458 ई. के अभिलेखों में वास्तुकारों के दर्शन का उल्लेख है, जो मंदिर के साथ जारी गतिविधियों को दर्शाता है।
1303 ई. में अलाउद्दीन खिलजी के आक्रमण के दौरान मंदिर को नुकसान पहुँचा था, और माना जाता है कि मूल मूर्ति नष्ट हो गई थी। इस आक्रमण के बाद मंदिर को पुनर्स्थापित किया गया था, और वर्तमान त्रिमुखी, छह हाथों वाली शिव मूर्ति 15वीं शताब्दी में स्थापित की गई थी।
आज, समाधिश्वर मंदिर चित्तौड़गढ़ के गौरवशाली इतिहास का जीवंत प्रमाण है।
समाधिश्वर मंदिर चित्तौड़गढ़ की वास्तुकला और संरचना
यह मंदिर 11वीं शताब्दी में निर्मित किया गया था और मुख्य रूप से नागर शैली पर आधारित है, लेकिन इसके कई बार पुनर्निर्माण या जीर्णोद्धार (13वीं और 15वीं शताब्दी में) के कारण इसमें विभिन्न वास्तुकला शैलियों का मिश्रण देखने को मिलता है।
समाधिश्वर मंदिर चित्तौड़गढ़ किले के अंदर स्थित है और इसका गर्भगृह जमीन से नीचे है, जिसमे छह सीढ़ियों से पहुंचा जा सकता है। इसमें तीन प्रवेश द्वार (उत्तरी, पश्चिमी, दक्षिणी) हैं, और एक खुला पविलियन है जहां नंदी (शिव का वाहन) की प्रतिमा स्थापित है। मंदिर की छत शंक्वाकार पिरामिड है, जिसके चारों ओर छोटे पिरामिड हैं, दूर से एक ही पिरामिड जैसा दिखता है।
मंदिर की सबसे खास विशेषता है यहाँ की त्रिमुखी शिव प्रतिमा, जो भगवान शिव के तीन रूपों सृष्टिकर्ता, पालक और संहारक को दर्शाती है। इसे 15वीं शताब्दी में राणा मोकल सिंह द्वारा स्थापित किया गया था। माना जाता है कि मूल मूर्ति पांच मुखों वाली थी, जो 14वीं शताब्दी में अलाउद्दीन खिलजी के आक्रमण के दौरान नष्ट हो गई थी।

समाधिश्वर मंदिर चित्तौड़गढ़ कैसे पहुँचें?
मंदिर का स्थान: समाधिश्वर मंदिर, चित्तौड़गढ़ किले के अंदर स्थित एक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल है।
मंदिर तक पहुँचने के लिए विभिन्न परिवहन विकल्प उपलब्ध हैं। नीचे विस्तार से बताया गया है कि आप इस मंदिर तक कैसे पहुँच सकते हैं:
- हवाई मार्ग: चित्तौड़गढ़ का निकटतम हवाई अड्डा उदयपुर में स्थित महाराणा प्रताप हवाई अड्डा (Maharana Pratap Airport) है, जो लगभग 92 किलोमीटर दूर है। हवाई अड्डे से चित्तौड़गढ़ तक पहुँचने के लिए आप टैक्सी किराए पर ले सकते हैं, जो लगभग 1.5 से 2 घंटे का समय ले सकता है। बस सेवाएँ भी उपलब्ध हैं, लेकिन टैक्सी अधिक सुविधाजनक है।
- रेल मार्ग: चित्तौड़गढ़ रेलवे स्टेशन एक प्रमुख रेलवे जंक्शन है। रेलवे स्टेशन से चित्तौड़गढ़ किले तक की दूरी लगभग 8 किलोमीटर है। आप ऑटो-रिक्शा, टैक्सी, या स्थानीय बस से किले तक पहुँच सकते हैं।
- सड़क मार्ग: चित्तौड़गढ़ सड़क मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है और राष्ट्रीय राजमार्ग NH 48 और NH 76 से होकर गुजरता है। चित्तौड़गढ़ बस स्टैंड से किले तक ऑटो-रिक्शा या टैक्सी से पहुँचा जा सकता है, जो लगभग 10-15 मिनट का समय लेता है। यदि आप निजी वाहन से आ रहे हैं, तो चित्तौड़गढ़ तक पहुँचने के लिए अच्छे सड़क मार्ग हैं।