सरस्वती माता मंदिर बिट्स पिलानी झुंझुनू: इतिहास, वास्तुकला, संरचना और मंदिर तक कैसे पहुंचे

सरस्वती माता मंदिर राजस्थान के झुंझुनू जिले के पिलानी शहर में BITS पिलानी कैंपस में स्थित एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है, जिसे शारदा पीठ सरस्वती मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। मंदिर ज्ञान, कला और संगीत की देवी सरस्वती को समर्पित है, और यह शिक्षा के केंद्र BITS पिलानी के साथ जुड़ा होने के कारण छात्रों और दर्शनार्थियों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र है।

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सरस्वती माता मंदिर बिट्स पिलानी झुंझुनू (Saraswati Mata Temple BITS Pilani Jhunjhunnu)

मंदिर का नाम:-सरस्वती माता मंदिर (Saraswati Mata Temple BITS Pilani Jhunjhunnu)
मंदिर का अन्य नाम:-शारदा पीठ सरस्वती मंदिर
स्थान:-BITS पिलानी कैंपस, पिलानी, झुंझुनू जिला, राजस्थान
समर्पित देवता:-सरस्वती माता
निर्माण वर्ष:-निर्माण प्रारंभ: 1956
पूरा: 1959
उद्घाटन: 1960
निर्माण कर्ता:-बिरला परिवार/बिरला एजुकेशन ट्रस्ट
प्रसिद्ध त्यौहार:-सरस्वती पूजा, बसंत पंचमी

सरस्वती माता मंदिर बिट्स पिलानी झुंझुनू का इतिहास

सरस्वती माता मंदिर बिट्स पिलानी झुंझुनू का निर्माण भारत के अग्रणी औद्योगिक घराने, बिड़ला परिवार द्वारा किया गया था। इस मंदिर का निर्माण 1956 में शुरू हुआ था। तत्कालीन उपराष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन और काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रणेता महामना मदन मोहन मालवीय ने मंदिर का शिलान्यास किया था।शिलान्यास के पश्चात मंदिर के निर्माण में चार वर्षों का समय लगा था।

इस गहन निर्माण कार्य के बाद, मंदिर अंततः 1960 में बनकर तैयार हुआ था। इस भव्य संरचना के निर्माण में 300 से अधिक कुशल श्रमिकों और शिल्पकारों ने योगदान दिया, जो इसकी बारीक नक्काशी और पैमाने को सिद्ध करता है। उस समय, इसके निर्माण पर लगभग ₹23 लाख की लागत आई थी। मंदिर खजुराहो के कंदारिया महादेव मंदिर की शैली पर बना है। 25 हजार वर्ग फीट में बना यह मंदिर 70 स्तंभों पर खड़ा है।

कहा जाता है कि शारदा पीठ के निर्माण के पीछे एक पारंपरिक कारण वास्तु शास्त्र से संबंधित था। यह माना जाता है कि मंदिर का निर्माण मुख्य रूप से BITS परिसर में व्याप्त वास्तु दोष को दूर करने के लिए किया गया था। कहते हैं कि शेखावाटी में आराध्य परमहंस गणेश नारायण यानी बावलिया बाबा को लेकर बिरला परिवार में बड़ी आस्था है। इस BITS परिसर को लेकर बावलिया बाबा ने बिरला परिवार से कहा था आपने संस्थान को बहुत अच्छा बनाया है, लेकिन ये दक्षिण मुखी हो गया है। ये दोष दूर करने के लिए इसके ठीक सामने माता सरस्वती को विराजित कराएं।

सरस्वती माता मंदिर बिट्स पिलानी झुंझुनू की वास्तुकला और संरचना

सरस्वती माता मंदिर (शारदा पीठ) अपनी स्थापत्य भव्यता के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर इंडो-आर्यन नागर शैली में निर्मित है। इस मंदिर की वास्तुकला खजुराहो के प्रसिद्ध कंदरिया महादेव मंदिर की शैली से प्रेरित है। मंदिर का निर्माण पूरी तरह से राजस्थान के मकराना से लाए गए उच्च गुणवत्ता वाले सफेद संगमरमर से किया गया है।

यह मंदिर 25,000 वर्ग फीट के एक विशाल क्षेत्र में फैला हुआ है और इसकी जटिल संरचना को सहारा देने के लिए इसमें कुल 70 स्तंभ (खंभे) हैं। मंदिर के पांच मुख्य भाग हैं: गर्भगृह (जहां देवी की मूर्ति है), प्रदक्षिणापथ (परिक्रमा पथ), अंतराल (मध्य कक्ष), मंडपम (मुख्य हॉल), और अर्ध मंडपम (प्रवेश हॉल), यह पूरी संरचना 7 फीट ऊंचे बेसमेंट पर बनी है। शिखर 110 फुट ऊंचा है, और सभी शिखर कांसे के कलशों से सुसज्जित हैं।

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सरस्वती माता मंदिर बिट्स पिलानी के गर्भगृह में स्थापित सरस्वती माता की मूर्ति
सरस्वती माता मंदिर बिट्स पिलानी के गर्भगृह में स्थापित सरस्वती माता की मूर्ति

मंदिर के गर्भ गृह में स्थापित मां सरस्वती की मुख्य प्रतिमा खड़ी हुई मुद्रा में है। इस प्रतिमा को विशेष रूप से साल 1959 में कोलकाता से मंगवाया गया था। शारदा पीठ की सबसे नवीन और दार्शनिक रूप से महत्वपूर्ण विशेषता मंदिर के शिखर पर स्थापित की गई करीब 1267 महापुरुषों की प्रतिमाएं हैं। ये प्रतिमाएं मंदिर के शिखर के चारों ओर लगी हुई हैं। इन महापुरुषों का चयन इस आधार पर किया गया था कि उन्होंने शिक्षा, ज्ञान, कला, साहित्य, संगीत, या विज्ञान जैसे किसी भी क्षेत्र में असाधारण कार्य किया हो।

सरस्वती माता मंदिर बिट्स पिलानी झुंझुनू की अनूठी पूजा पद्धति और शांति का महत्व

शारदा पीठ की सबसे अनूठी और विश्वव्यापी रूप से अलग पहचान इसकी पूजा पद्धति है: यहां घंटी या कोई अन्य वाद्य यंत्र बजाना सख्त मना है। मंदिर में किसी भी तरह के शोर पर पूरी तरह से पाबंदी है। यह नियम पारंपरिक हिंदू मंदिरों की प्रथा से पूर्णतः विपरीत है, जहाँ पूजा और आरती के दौरान ध्वनि (शंख, घंटी, करताल) को आवश्यक माना जाता है।

इस निषेध का सीधा संबंध ज्ञान प्राप्ति की प्रक्रिया से है। माता सरस्वती को ज्ञान और कला की देवी माना जाता है। मंदिर के संस्थापकों का मत था कि उनकी साधना मन को शांति और एकाग्रता प्रदान करती है। इसलिए, बाहरी शोर से मुक्त एक वातावरण सुनिश्चित किया गया है ताकि भक्त विशेषकर छात्र बिना किसी बाधा के आंतरिक चिंतन और एकाग्रता में लीन हो सकें। आरती के समय या बाद में भी वाद्य यंत्रों का उपयोग नहीं किया जाता है।

मंदिर में प्रमुख उत्सव बसंत पंचमी (सरस्वती पूजा) के अवसर पर आयोजित किए जाते हैं।

सरस्वती माता मंदिर बिट्स पिलानी झुंझुनू तक कैसे पहुँचें?

मंदिर का स्थान: सरस्वती माता मंदिर राजस्थान के झुंझुनू जिले के पिलानी शहर में BITS पिलानी कैंपस में स्थित है।

मंदिर तक पहुंचने का विकल्प इस प्रकार है:

  • हवाई मार्ग: इंदिरा गाँधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट मंदिर से लगभग 200 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। हवाई अड्डे से आप टैक्सी, बस या अन्य स्थानीय परिवहन का उपयोग करके पिलानी शहर तक पहुँच सकते हैं। पिलानी पहुंचने के बाद आप मंदिर तक पहुंच सकते हो।
  • रेल मार्ग: मंदिर का नजदीकी रेलवे स्टेशन चिरावा रेलवे स्टेशन मंदिर से लगभग 17 से 18 किलोमीटर दूर है। रेलवे स्टेशन से आप ऑटो, टैक्सी या अन्य स्थानीय परिवहन का उपयोग करके मंदिर तक पहुँच सकते हैं।
  • सड़क मार्ग: यह मंदिर झुंझुनू से लगभग 40 से 42 किलोमीटर दूर है। यात्री टैक्सी, बस या अन्य सड़क परिवहन सेवाएँ लेकर मंदिर तक पहुँच सकते हैं। यह मंदिर जयपुर से लगभग 230 किलोमीटर और दिल्ली से लगभग 200 किलोमीटर है।

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