सतबीस देवरी मंदिर, चित्तौड़गढ़ किले के भीतर स्थित, जैन धर्म का एक प्राचीन और भव्य मंदिर है। इसका नाम “सतबीस” (27) इसकी 26 छोटी देवरियों (मंदिरों) और एक मुख्य मंदिर से प्रेरित है, जो एक साथ इस परिसर को बनाते हैं। यह मंदिर 10वीं शताब्दी का है और जैन तीर्थंकरों को समर्पित है, जिनमें आदिनाथ (ऋषभदेव), शांतिनाथ, और अजीतनाथ प्रमुख हैं। यह मंदिर न केवल जैन तीर्थयात्रियों के लिए एक पवित्र स्थल है, बल्कि पर्यटकों और इतिहास प्रेमियों के लिए भी आकर्षण का केंद्र है। यह चित्तौड़गढ़ किले की यूनेस्को विश्व धरोहर स्थिति को और समृद्ध करता है।
सतबीस देवरी मंदिर चित्तौड़गढ़ (Sathis Deori Temple Chittorgarh)
मंदिर का नाम:- | सतबीस देवरी मंदिर (Sathis Deori Temple) |
स्थान:- | चित्तौड़गढ़ किला, चित्तौड़गढ़, राजस्थान |
समर्पित देवता:- | जैन तीर्थंकर (आदिनाथ, शांतिनाथ, अजीतनाथ) |
निर्माण वर्ष:- | लगभग 11वीं शताब्दी में |
प्रसिद्ध त्यौहार:- | महावीर जयंती, पर्युषण |
सतबीस देवरी मंदिर चित्तौड़गढ़ का इतिहास
सतबीस देवरी मंदिर का निर्माण लगभग 11वीं शताब्दी में हुआ था। मूल रूप से, इस परिसर में 32 मंदिर थे, लेकिन समय के साथ केवल 6 बचे हैं, जिनमें सबसे बड़ा भगवान आदिनाथ का मंदिर है। मंदिर का नाम “सतबीस देवरी” 27 छोटे मंदिरों से आया, जो इसकी प्राचीन संरचना का हिस्सा थे। यह मंदिर जैन तीर्थंकरों, विशेष रूप से भगवान आदिनाथ (पहले तीर्थंकर), शांतिनाथ, और अजीतनाथ, को समर्पित है। मंदिर का प्रबंधन और रखरखाव भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) और जैन ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
सतबीस देवरी मंदिर चित्तौड़गढ़ की वास्तुकला और संरचना
मंदिर की वास्तुकला प्राचीन जैन मंदिर शैली में है, जो अपनी जटिल नक्काशी और कलात्मक डिज़ाइन के लिए प्रसिद्ध है। मंदिर का गर्भगृह सबसे पवित्र हिस्सा है, जहाँ भगवान आदिनाथ की मूर्ति स्थापित है। मूर्ति पाषाण से बनी है और जटिल नक्काशी से सजी है। 163 कलात्मक स्तंभ जटिल नक्काशी से सजे हैं, जो देवी-देवताओं, अप्सराओं, और पौराणिक दृश्यों को दर्शाते हैं।
मंदिर में तीन मंडप और 26 छोटी देवरियाँ हैं, जो भक्तों के लिए पूजा और ध्यान का स्थान प्रदान करते हैं। ये देवरियाँ विभिन्न जैन तीर्थंकरों को समर्पित हैं।
सतबीस देवरी मंदिर चित्तौड़गढ़ तक कैसे पहुँचें?
मंदिर का स्थान: सतबीस देवरी मंदिर, चित्तौड़गढ़, राजस्थान का एक प्राचीन जैन मंदिर परिसर है, जो चित्तौड़गढ़ किले के भीतर फतेह प्रकाश पैलेस के पास स्थित है।
मंदिर तक पहुँचने के लिए विभिन्न परिवहन विकल्प उपलब्ध हैं। नीचे विस्तार से बताया गया है कि आप इस मंदिर तक कैसे पहुँच सकते हैं:
- हवाई मार्ग: महाराणा प्रताप हवाई अड्डा, उदयपुर (Dabok Airport), जो चित्तौड़गढ़ से लगभग 90 किलोमीटर दूर है। हवाई अड्डे से चित्तौड़गढ़ तक आप टैक्सी या बस से पहुंच सकते हैं।
- रेल मार्ग: चित्तौड़गढ़ रेलवे स्टेशन एक प्रमुख रेलवे जंक्शन है। रेलवे स्टेशन से चित्तौड़गढ़ किले तक की दूरी लगभग 8 किलोमीटर है। आप ऑटो-रिक्शा, टैक्सी, या स्थानीय बस से किले तक पहुँच सकते हैं।
- सड़क मार्ग से: चित्तौड़गढ़ सड़क मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है और राष्ट्रीय राजमार्ग NH 48 और NH 76 से होकर गुजरता है। चित्तौड़गढ़ बस स्टैंड से किले तक ऑटो-रिक्शा या टैक्सी से पहुँचा जा सकता है। यदि आप निजी वाहन से आ रहे हैं, तो चित्तौड़गढ़ तक पहुँचने के लिए अच्छे सड़क मार्ग हैं।
किले के अंदर मंदिर तक पहुँचने का तरीका
चित्तौड़गढ़ किला एक विशाल परिसर है, जो लगभग 700 एकड़ में फैला हुआ है। किले के प्रवेश द्वार से मंदिर तक पहुँचने के लिए आप पैदल चल सकते हैं, क्योंकि किला पैदल घूमने के लिए उपयुक्त है। यह मंदिर फतेह प्रकाश पैलेस के पास स्थित है, जो किले के भीतर एक प्रमुख संदर्भ बिंदु है। यदि आप पैदल चलने में असमर्थ हैं, तो किले के अंदर ऑटो-रिक्शा या टोंगा (घोड़ा-गाड़ी) की सेवाएँ उपलब्ध हैं, जो आपको मंदिर तक ले जा सकते हैं। स्थानीय गाइड भी मदद कर सकते हैं, खासकर यदि आप पहली बार जा रहे हैं।