शिला माता मंदिर राजस्थान के हनुमानगढ़ के पुरन नगर क्षेत्र में बस स्टैंड के पास स्थित है, जो शिला माता या सिला पीर को समर्पित एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। यह मंदिर हिंदू, सिख और मुस्लिम समुदायों के लिए साझा आस्था का केंद्र है, जहाँ एक पत्थर की शिला को चमत्कारिक शक्तियों वाला माना जाता है। स्थानीय किंवदंती के अनुसार, इस शिला से त्वचा संबंधी रोग दूर होते हैं, और लोग दूध या पानी चढ़ाकर मनोकामनाएँ पूरी करते हैं।
शिला माता मंदिर हनुमानगढ़ (Shila Mata Mandir Hanumangarh)
मंदिर का नाम:- | शिला माता मंदिर (Shila Mata Mandir) |
अन्य नाम:- | शिला पीर (Shila Peer) |
स्थान:- | पूरन नगर, हनुमानगढ़, राजस्थान |
समर्पित देवता:- | शिला माता (सिला पीर) |
निर्माण वर्ष:- | 18वीं शताब्दी |
शिला माता मंदिर हनुमानगढ़ का इतिहास
हनुमानगढ़ का शिला माता मंदिर एक अपेक्षाकृत आधुनिक स्थल माना जाता है, जिसकी स्थापना अठारहवीं शताब्दी में हुई थी। हनुमानगढ़ के मंदिर की उत्पत्ति के बारे में एक प्रमुख किंवदंती है कि मंदिर में स्थापित शिला (पत्थर) घग्गर नदी में बहकर आई थी और अपने आप यहाँ स्थापित हो गई थी। यह मंदिर जिला मुख्यालय के पास सरस्वती नदी के प्राचीन बहाव क्षेत्र में स्थित है।
यह किवदंती मंदिर के अस्तित्व को इस क्षेत्र के प्राचीन जलमार्ग और सभ्यता से जोड़ती है, जिसमें भटनेर का किला और सिंधु घाटी सभ्यता का कालीबंगा स्थल शामिल हैं, जो इस क्षेत्र के समृद्ध और प्राचीन इतिहास को प्रमाणित करते हैं।
शिला माता मंदिर हनुमानगढ़ की वास्तुकला और संरचना
शिला माता मंदिर की वास्तुकला और संरचना साधारण है। इस मंदिर के ऊपर कोई छत नहीं है, स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, इस मंदिर पर कई बार छत बनाने का प्रयास किया गया, लेकिन हर बार वह अपने आप टूट जाती थी। मंदिर के गर्भगृह में एक शिला (पत्थर) स्थापित है। इस शिला (पत्थर) को शिला माता (हिंदू और सिख समुदायों द्वारा) और शिला पीर (मुस्लिम समुदाय द्वारा) के रूप में पूजा जाता है।
शिला माता मंदिर हनुमानगढ़ की मान्यताएँ और सामाजिक महत्व
शिला माता मंदिर हनुमानगढ़ की सबसे प्रमुख और व्यापक मान्यता यह है कि यहाँ दूध और पानी चढ़ाने या उसे लगाने से सभी प्रकार के त्वचा संबंधी रोग, जैसे दाद, खाज और खुजली, ठीक हो जाते हैं। इस मान्यता से जुड़े विशिष्ट अनुष्ठान भी हैं, जहाँ भक्त देवी को नमक और झाड़ू चढ़ाते हैं।
यह मंदिर एक अद्वितीय सांप्रदायिक सद्भाव का प्रतीक है, जो इसकी सबसे महत्वपूर्ण विशेषताओं में से एक है। यहाँ हिंदू, सिख और मुस्लिम सहित सभी धर्मों के लोग पूजा करने आते हैं और अपनी मन्नतें मांगते हैं। मुस्लिम समुदाय के लोग उसी शिला की पूजा करते हैं, जिसे हिंदू ‘शीला माता’ कहते हैं, लेकिन वे इसे ‘शीला पीर’ के नाम से जानते हैं।
शिला माता मंदिर हनुमानगढ़ तक कैसे पहुँचें?
मंदिर का स्थान: शिला माता मंदिर राजस्थान के हनुमानगढ़ शहर के पुरान नगर क्षेत्र में बस स्टैंड के पास स्थित है।
मंदिर तक पहुंचने का विकल्प इस प्रकार है:
- हवाई मार्ग: चंडीगढ़ हवाई अड्डा (Chandigarh Airport) मंदिर से लगभग 320 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। हवाई अड्डे से आप टैक्सी, बस या अन्य स्थानीय परिवहन का उपयोग करके मंदिर तक पहुँच सकते हैं।
- रेल मार्ग: शिला माता मंदिर का नजदीकी रेलवे स्टेशन हनुमानगढ़ रेलवे स्टेशन मंदिर से लगभग 4 किलोमीटर दूर है। रेलवे स्टेशन से आप ऑटो, टैक्सी या अन्य स्थानीय परिवहन का उपयोग करके मंदिर तक पहुँच सकते हैं।
- सड़क मार्ग: मंदिर हनुमानगढ़ बस स्टैंड से लगभग 300 से 400 मीटर दूर है। यात्री टैक्सी, बस या अन्य सड़क परिवहन सेवाएँ लेकर हनुमानगढ़ पहुँच सकते हैं।