श्री जीरावला पार्श्वनाथ जैन तीर्थ सिरोही | Shri Jirawala Parshwanath Tirth Sirohi

श्री जीरावला पार्श्वनाथ जैन तीर्थ, सिरोही, राजस्थान में स्थित एक प्राचीन और पवित्र जैन तीर्थस्थल है, जो जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ को समर्पित है। सिरोही जिले के जीरावला गाँव में बसा यह मंदिर जैन धर्म के अहिंसा, करुणा, और शांति के सिद्धांतों का प्रतीक है। प्राचीनता, वास्तुशिल्प और धार्मिकता का संगम यह तीर्थस्थल हजारों श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है।

श्री जीरावला पार्श्वनाथ जैन तीर्थ सिरोही (Shri Jirawala Parshwanath Tirth Sirohi)

मंदिर का नाम:-श्री जीरावला पार्श्वनाथ जैन तीर्थ (Shri Jirawala Parshwanath Tirth)
स्थान:-जीरावला गाँव, सिरोही ज़िला, राजस्थान
समर्पित देवता:-भगवान पार्श्वनाथ (23वें तीर्थंकर)
निर्माण:-लगभग 2800 साल से अधिक पुराना
प्रसिद्ध त्यौहार:-महावीर जयंती, पार्श्वनाथ जयंती

श्री जीरावला पार्श्वनाथ जैन तीर्थ सिरोही का इतिहास

श्री जीरावला पार्श्वनाथ मंदिर का निर्माण 326 विक्रम संवत में शेठ श्री अमरासा ने कराया था। और आचार्य श्री देवसूरिजी के पवित्र हाथों से मंदिर में भगवान पार्श्वनाथ की मूर्ति की स्थापना की गई थी। यह माना जाता है कि कोडीनगर के एक धनी व्यापारी सेठ अमरासा ने एक सपना देखा था जिसमें उन्हें उस क्षेत्र में एक गुफा से मूर्ति प्राप्त करने के लिए कहा गया था जिसे अब जीरावाला के रूप में जाना जाता है। आश्चर्यजनक रूप से, उसी रात आचार्य श्री देवसूरिजी ने भी ऐसा ही सपना देखा था।

इन सपनो में उन्हें भगवान पार्श्वनाथ की एक प्रतिमा के बारे में जानकारी मिली थी, जो जयराज पहाड़ी की तलहटी के पास एक गुफा में दबी हुई थी। सपने के अनुसार सेठ अमरासा और आचार्य श्री देवसूरिजी ने उस स्थान पर खोज की और भगवान पार्श्वनाथ की 18 सेंटीमीटर ऊँची, श्वेत रंग की पद्मासन मुद्रा में एक मनमोहक मूर्ति प्राप्त की थी। माना जाता है कि प्राचीन कोडीनगर उस क्षेत्र में स्थित था जिसे वर्तमान में भीनमाल के नाम से जाना जाता है, जो जीरावला से लगभग 55 किलोमीटर की दूरी पर है।

मंदिर की वर्तमान संरचना 1134 ईस्वी में निर्मित की गई थी। जीरावला 506 ईस्वी से 1324 ईस्वी तक जैन धर्म का एक महत्वपूर्ण केंद्र रहा, जिसे कई जैन आचार्यों का संरक्षण प्राप्त हुआ। इस अवधि में मंदिर का विस्तार और जीर्णोद्धार हुआ, और यह क्षेत्र जैन तीर्थयात्रा का एक प्रमुख पड़ाव बन गया। मंदिर के आसपास के उत्खनन से कई प्राचीन संरचनाएँ और स्थल मिले हैं, जो इसकी प्राचीनता को साबित करते हैं। जैन धर्म के पवित्र ग्रंथों में श्री जीरावला पार्श्वनाथ तीर्थ का उल्लेख कई प्राचीन नामों से मिलता है, जैसे कि जिरावल्ली, जिरापल्ली, जिरिकावल्ली और जयराजपल्ली आदि।

श्री जीरावला पार्श्वनाथ जैन तीर्थ सिरोही की वास्तुकला और संरचना

श्री जीरावला पार्श्वनाथ जैन तीर्थ सिरोही की वास्तुकला और संरचना इस प्रकार है:

  • वर्तमान मंदिर संरचना का निर्माण 1134 ईस्वी सन् में हुआ था।
  • मुख्य देवता भगवान पार्श्वनाथ हैं, जिनकी 18 सेंटीमीटर ऊँची श्वेत रंग की पद्मासन मुद्रा में मनमोहक मूर्ति स्थापित है, जिसे जीरावला पार्श्वनाथ के नाम से जाना जाता है।
  • मुख्य गर्भगृह में भगवान पार्श्वनाथ की एक भव्य मूर्ति स्थापित है, जिसे अत्यंत सावधानी से बनाया गया है और कीमती रत्नों और सुंदर वस्त्रों से सजाया गया है। गर्भगृह के सामने ही एक प्रभावशाली आसन पर मुख्य देवता भगवान पार्श्वनाथ की दो और मूर्तियाँ स्थापित हैं। मंदिर की मूल प्रतिमा बालू रेत से बनी हुई है और इस पर विशेष लेप किया गया है।
  • गर्भगृह में भगवान पार्श्वनाथ के नीचे, उनकी अधिष्ठात्री देवी पद्मावती की प्रतिमा भी स्थापित है, जिसकी स्थापना विक्रम संवत 2020 में हुई मानी जाती है।
  • मंदिर का मुख्य प्रवेश द्वार (मुख्य द्वार) अपनी उत्कृष्ट मूर्तियों और जटिल नक्काशी के साथ वास्तुकला का एक शानदार उदाहरण है।
  • मंदिर में भगवान पार्श्वनाथ की 108 छोटी मूर्तियाँ भी स्थापित हैं, जिनमें से प्रत्येक का एक विशिष्ट नाम है।
  • मुख्य मंदिर से जुड़ी दो छोटी वेदियों में से एक में भगवान नेमिनाथ की मूर्ति प्रतिष्ठित है।
  • मंदिर की वास्तुकला शैली में राजस्थानी और जैन कला का सुंदर मिश्रण दिखाई देता है।
  • मंदिर के 52 जिनालय परिसर में जटिल रूप से नक्काशीदार खंभे और दीवारें हैं, जो प्राचीन कारीगरों की उत्कृष्ट शिल्प कौशल को प्रदर्शित करते हैं। मंदिर के खंभों और दीवारों पर कुशल कारीगरों द्वारा बनाई गई जटिल नक्काशी में प्राचीन कलाकृतियाँ भी दिखाई देती हैं।
  • मंदिर में अलंकृत खंभे, खूबसूरती से नक्काशीदार छतें और जैन पौराणिक कथाओं के दृश्यों को दर्शाती बारीक नक्काशीदार मूर्तियाँ हैं।
  • यह तीर्थ परिसर एक विस्तृत क्षेत्र में फैला हुआ है, जिसमें मुख्य मंदिर के साथ-साथ भक्तों के लिए आवासीय भवन (धर्मशालाएँ), भोजनालय और प्रशासनिक कार्यालय भी शामिल हैं। यह सब सुंदर उद्यानों, शांत जलमार्गों और आकर्षक फव्वारों के बीच स्थित है।
  • मंदिर को शाही सफेद रंग में सजाया गया है और यह एक वास्तुशिल्प चमत्कार है, जिसकी छत और दीवारों पर जटिल विवरण हैं।
श्री जीरावला पार्श्वनाथ जैन तीर्थ सिरोही प्रवेश द्वार
श्री जीरावला पार्श्वनाथ जैन तीर्थ सिरोही प्रवेश द्वार

श्री जीरावला पार्श्वनाथ जैन तीर्थ सिरोही तक कैसे पहुँचें?

मंदिर का स्थान: श्री जीरावला पार्श्वनाथ जैन तीर्थ, राजस्थान के सिरोही जिले में जीरावला गाँव में स्थित एक प्राचीन और पवित्र जैन तीर्थस्थल है।

श्री जीरावला पार्श्वनाथ जैन तीर्थ, सिरोही तक पहुंचने के तरीके इस प्रकार है:

  • हवाई मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा उदयपुर का महाराणा प्रताप हवाई अड्डा, जो मंदिर से लगभग 210 किलोमीटर दूर है। वैकल्पिक रूप से, अहमदाबाद (लगभग 220 किलोमीटर) का हवाई अड्डा है। एयरपोर्ट से टेक्सी, बस या स्थानीय परिवहन से सिरोही या आबू रोड पहुंचे। सिरोही या आबू रोड पहुंचने के बाद, टैक्सी, बस या स्थानीय परिवहन से मंदिर तक जाएँ।
  • रेल मार्ग: निकटतम रेलवे स्टेशन आबू रोड, जो मंदिर से लगभग 47 किलोमीटर दूर है। आबू रोड से मंदिर तक टैक्सी, बस या स्थानीय परिवहन से मंदिर तक पहुंचे।
  • सड़क मार्ग: सिरोही शहर से मंदिर तक लगभग 25 किलोमीटर की दूरी टैक्सी, बस या स्थानीय परिवहन से तय की जा सकती है। माउंट आबू से लगभग 55-60 किलोमीटर दूर है, टैक्सी, बस या स्थानीय परिवहन से पहुँचा जा सकता है। सड़कें अच्छी हैं, लेकिन मानसून में सावधानी बरतें।

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