राजस्थान के सिरोही जिले में स्थित “श्री पावापुरी तीर्थ – जीव मैत्रीधाम” एक अद्वितीय जैन धार्मिक स्थल है जो न केवल आध्यात्मिकता का प्रतीक है, बल्कि करुणा, सेवा और पर्यावरण संरक्षण की प्रेरणा भी देता है। यह तीर्थस्थल केवल मंदिर नहीं बल्कि एक जीवदया केंद्र, गौशाला और मानवता की सेवा का प्रमुख केन्द्र भी है। यहां पशु, पक्षी और मानव सभी के लिए सेवा और कल्याण की भावना समाहित है। इसे “जीव मैत्रीधाम” नाम इसलिए मिला है क्योंकि यह स्थान सभी जीवों के प्रति सच्ची मैत्री और करुणा को समर्पित है।
श्री पावापुरी तीर्थ – जीव मैत्रीधाम सिरोही (Shri Pavapuri Tirth – Jeev Maitridham Sirohi)
मंदिर का नाम:- | श्री पावापुरी तीर्थ – जीव मैत्रीधाम (Shri Pavapuri Tirth – Jeev Maitridham Sirohi) |
स्थान:- | सिरोही-मंडार-डीसा राजमार्ग, पावापुरी, सिरोही जिला, राजस्थान (सिरोही शहर से 22 किमी) |
समर्पित देवता:- | श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान, अन्य तीर्थंकर मूर्तियों के साथ |
निर्माण वर्ष:- | 1998 |
मुख्य आकर्षण:- | मुख्य मंदिर, जीवदया केंद्र, विशाल गौशाला |
श्री पावापुरी तीर्थ – जीव मैत्रीधाम सिरोही का इतिहास
श्री पावापुरी तीर्थ – जीव मैत्रीधाम का निर्माण 1998 में K.P. संघवी चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा किया गया था। श्री पावापुरी तीर्थ – जीव मैत्रीधाम परिसर का खनन मुहूर्त स्वर्गीय श्री हजारीमलजी पूनमचंदजी (बाफना) संघवी द्वारा किया गया था। मंदिर की आधारशिला श्री कुमारपालभाई वी. शाह, ढोलका द्वारा रखी गई। इस परिसर के निर्माण और विकास की शुरुआत 30 मई 1998 को हुई थी। परिसर के निर्माण के लिए भूमि 1996 में अधिग्रहित की गई थी।
मंदिर का निर्माण ढाई साल (2.5 वर्ष) में पूरा हुआ, जिसमें प्रतिदिन औसतन 400 कारीगर काम करते थे। जीव रक्षा केंद्र (गौशाला) की स्थापना 1998 में हुई थी। गौशाला का पहला चरण श्री नटवरलालजी मोहनलालजी शाह, धनेरा द्वारा शुरू किया गया था। मंदिर 7 फरवरी 2001 को बनकर तैयार हुआ तथा इसका प्राण-प्रतिष्ठा समारोह 7 फरवरी 2001 को जैनाचार्य श्रीमद्विजय कलापूर्ण सूरीश्वरजी महाराज के सान्निध्य में संपन्न हुआ था। इसके बाद इसे पर्यटकों के लिए खोल दिया गया था।
पावापुरी धाम में दो ब्लॉक हैं: पावापुरी तीर्थ धाम और सुमति जीवदया धाम (गौशाला)। पावापुरी तीर्थधाम में मंदिर, उपासरा, भोजनशाला, धर्मशाला, बगीचे और तालाब बने हुए हैं। सुमति जीवदया धाम (गौशाला) में पशुओं के रहने के लिए प्रथम चरण में 42 शेड बनाए गए ताकि पशुओं को अलग-अलग रहने की सुविधा दी जा सके। बीमार पशुओं व बछड़ों के लिए भी अलग से शेड बने हैं। पशुओं के लिए डॉक्टर, कम्पाउंडर व सहायकों की स्थायी व्यवस्था है। शुरुआत में 100 गायों के लिए आश्रय बनाने की योजना थी, लेकिन अब यह 5000 से अधिक बेसहारा मवेशियों का घर है। 29 जनवरी 2001 को मुख्य सड़क के निकट 54 नए शेडों का शुभारंभ राजस्थान के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत द्वारा किया गया था।
K.P. संघवी परिवार, जो हीरा व्यवसाय से जुड़ा है, ने अपनी जन्मभूमि सिरोही को धार्मिक और सामाजिक केंद्र बनाने के लिए इस परियोजना की शुरुआत की थी। ट्रस्ट ने 500 बीघा भूमि पर मंदिर परिसर और सुमति जीवदया धाम (गौशाला) स्थापित कर जैन धर्म के अहिंसा और जीवदया के सिद्धांतों को प्रचारित किया। मंदिर का उद्देश्य न केवल धार्मिक तीर्थ प्रदान करना था, बल्कि पशु कल्याण और पर्यावरण संरक्षण को भी बढ़ावा देना था।
श्री पावापुरी तीर्थ – जीव मैत्रीधाम सिरोही की वास्तुकला और संरचना
श्री पावापुरी तीर्थ – जीव मैत्रीधाम एक विशाल जैन तीर्थस्थल है, जो पारंपरिक जैन वास्तुकला और आधुनिक सुविधाओं का मिश्रण है। इस परिसर का क्षेत्रफल 3,101,472 वर्ग फीट (288,136.2 वर्ग मीटर) है, और यह 500 एकड़ से अधिक भूमि पर फैला है, जिसमें मंदिर और गौशाला दोनों शामिल हैं।
श्री पावापुरी तीर्थ – जीव मैत्रीधाम में मुख्य रूप से दो ब्लॉक हैं:
पावापुरी तीर्थ धाम:
मुख्य मंदिर में शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान की प्रतिमा स्थापित है। मंदिर ऊंचाई पर स्थित है और सीढ़ियों द्वारा पहुँचा जा सकता है। मंदिर परिसर में एक जल मंदिर भी है, जो 24वें जैन तीर्थंकर भगवान महावीर को समर्पित है। जल मंदिर में 24वें तीर्थंकर श्री महावीर स्वामी भगवान की चौमुखी संगमरमर की मूर्तियाँ हैं। मंदिर परिसर में भगवान महावीर और अन्य जैन तीर्थंकरों के जीवन से संबंधित कलाकृतियाँ प्रदर्शित हैं।
इस परिसर में ओशियाजी, श्री पद्मावती माताजी, श्री वीरमणिभद्रजी, श्री नाकोड़ा भैरवजी के भी जिनालय होंगे। एक सरस्वती मंदिर भी परिसर में स्थित है। अजितनाथ प्रभु का ध्यान वाटिका भी यहाँ है। परिसर में कल्प वृक्ष भी मौजूद हैं जहाँ भक्त धागा बांधकर अपनी मनोकामनाएं मांग सकते हैं। मंदिर की वास्तुकला शांति और आध्यात्मिकता को दर्शाती है। इसमें जटिल नक्काशी और सुंदर मूर्तियाँ हैं। आर्ट गैलरी जैन धर्म के इतिहास में महत्वपूर्ण हस्तियों के जीवन से ज्ञान प्राप्त करने का एक सुंदर स्थान है। परिसर में 24 तीर्थंकरों के 24 अलग-अलग पेड़ लगाए गए हैं।
सुमति जीवदया धाम (गौशाला):
यह पशु कल्याण केंद्र है जहाँ 5000 से अधिक बेसहारा मवेशियों की देखभाल की जाती है। इसमें पशुओं के रहने के लिए शेड, बीमार पशुओं और बछड़ों के लिए अलग शेड, और पशुओं की देखभाल के लिए डॉक्टर, कंपाउंडर व सहायकों की स्थायी व्यवस्था है। यह केंद्र अहिंसा का एक मॉडल केंद्र बनने का लक्ष्य रखता है, जहाँ जानवरों को मित्र माना जाता है और उनके कल्याण और सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाती है। यह प्राणियों के प्रति प्रेम एवं मैत्री का संवर्धन करता है।
श्री पावापुरी तीर्थ – जीव मैत्रीधाम सिरोही तक कैसे पहुँचें?
मंदिर का स्थान: श्री पावापुरी तीर्थ – जीव मैत्रीधाम, सिरोही, राजस्थान में सिरोही-मंडार-डीसा राजमार्ग पर स्थित है। यह सिरोही शहर से लगभग 22 किलोमीटर दूर है।
श्री पावापुरी तीर्थ – जीव मैत्रीधाम सिरोही तक पहुंचने के तरीकों का विस्तृत विवरण यहाँ दिया गया है:
- हवाई मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा उदयपुर का महाराणा प्रताप हवाई अड्डा, जो मंदिर से लगभग 180 किलोमीटर दूर है। वैकल्पिक रूप से, अहमदाबाद (लगभग 230 किलोमीटर) का हवाई अड्डा भी उपयोग किया जा सकता है। हवाई अड्डे से टेक्सी, बस या स्थानीय परिवहन से सिरोही पहुंच सकते है। सिरोही से आप मंदिर तक टेक्सी, बस या स्थानीय परिवहन से पहुंच सकते है।
- रेल मार्ग: सिरोही रेलवे स्टेशन, जो मंदिर से लगभग 41 किलोमीटर दूर है। स्टेशन से टैक्सी, बस या स्थानीय परिवहन से मंदिर तक पहुँच सकते है।
- सड़क मार्ग:
- मंदिर दिल्ली-कंधला हाईवे (राष्ट्रीय राजमार्ग 168) पर है, जो सिरोही से लगभग 16 किलोमीटर दूर है। आप सिरोही से टैक्सी, बस या स्थानीय परिवहन से जा सकते हैं। प्रमुख शहरों से दूरी:
- सिरोही: लगभग 16 किलोमीटर
- उदयपुर: लगभग 180 किलोमीटर
- अहमदाबाद: लगभग 230 किलोमीटर
- माउंट आबू: लगभग 50 किलोमीटर
- जयपुर: लगभग 520 किलोमीटर