तिजारा जैन मंदिर राजस्थान के अलवर जिले के तिजारा में स्थित एक प्रसिद्ध जैन धार्मिक स्थल है। यह मंदिर भगवान चंद्रप्रभु को समर्पित है। यह मंदिर, जो ‘अतिशय क्षेत्र’ या ‘मुक्ति स्थल’ के रूप में विख्यात है। जैन परंपरा में, ‘अतिशय क्षेत्र’ उस स्थल को कहा जाता है जहाँ पूज्य प्रतिमाएँ या स्थान स्वयं ही चमत्कार (जिसे ‘परचम’ या ‘अतिशय’ कहा जाता है) प्रकट करते हैं।
तिजारा जैन मंदिर अलवर (Tijara Jain Temple Alwar)
मंदिर का नाम:- | तिजारा जैन मंदिर (Tijara Jain Temple) |
स्थान:- | तिजारा, अलवर, राजस्थान |
समर्पित देवता:- | भगवान चंद्रप्रभु (जैन धर्म के 8वें तीर्थंकर) |
निर्माण वर्ष:- | 1956 (मूर्ति की प्राप्ति के बाद निर्माण) |
प्रसिद्ध त्यौहार:- | महावीर जयंती, पर्युषण पर्व |
तिजारा जैन मंदिर अलवर का इतिहास
वर्तमान तिजारा जैन मंदिर की स्थापना और प्रसिद्धि का मूल आधार 1956 में घटी चमत्कारी घटना है। जब तिजारा नगर पालिका द्वारा सड़क चौड़ीकरण के लिए भूमि की खुदाई की गई थी, खुदाई के दौरान, भूगर्भ से चंद्रप्रभु की 15 इंच की श्वेत संगमरमर से निर्मित पद्मासन प्रतिमा प्रकट हुई थी। इस अकस्मात प्रकटीकरण को तत्काल पूरे दिगंबर जैन समुदाय द्वारा ‘अतिशय’ (चमत्कार) माना गया, जिससे यह स्थल रातोंरात राष्ट्रीय तीर्थस्थल के रूप में स्थापित हो गया था।
प्रतिमा के चमत्कारी प्रकटीकरण के तुरंत बाद 1956 में भव्य मंदिर परिसर का निर्माण किया गया था। विशेषज्ञों ने इसकी मूर्तिकला और सामग्री के आधार पर इसे लगभग 1200 वर्ष प्राचीन मूर्ति बताई है। इस स्थल पर वर्ष 1972 में मुख्य प्रतिमा के अतिरिक्त चंद्रप्रभु की एक और 8 इंच लंबी मूर्ति मिली थी, जो कमल की स्थिति में विराजित है।
यह मंदिर दिगंबर जैन धर्म के सिद्धांतों के अनुरूप बनाया गया है और तीर्थयात्रियों की बढ़ती संख्या को समायोजित करने के लिए पर्याप्त रूप से विशाल है। मंदिर का संचालन और विकास “श्री 1008 चन्द्रप्रभु दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र तिजारा प्रबन्धकारिणी कमेटी” द्वारा किया जाता है।
तिजारा जैन मंदिर अलवर की वास्तुकला और संरचना
तिजारा जैन मंदिर की वास्तुकला भव्यता और जटिलता का उत्कृष्ट उदाहरण है। मंदिर आयताकार आकार में निर्मित है, जिसका विशाल आकार और ऊंचा उठता शिखर (टॉवर) दूर से ही तीर्थयात्रियों के लिए आकर्षण का केंद्र बना रहता है।
मंदिर का निर्माण उत्कृष्ट कला से किया गया है, जिसमें जटिल मूर्तियों, विस्तृत नक्काशी और प्राचीन चित्रों का उपयोग किया गया है। स्थापत्य की विशेषताओं में अद्भुत स्तंभ और मेहराब शामिल हैं, जो संरचनात्मक मजबूती के साथ-साथ सौंदर्य भी प्रदान करते हैं। मंदिर का बाहरी भाग लाल बलुआ पत्थर और संगमरमर से निर्मित है, जिसमें मेहराबदार गलियारें और ऊँचा शिखर बादलों को छूते हुए दिखाई देते हैं।
मंदिर के अंदरूनी हिस्से को जैन पौराणिक कथाओं को जीवंत करने वाली चित्रकारी, कांच के काम (Glass Work), और सुंदरता से नक्काशी के साथ सजाया गया है। विशाल और विस्तृत रूप से सुसज्जित मंदिर हॉल है, जो बड़े धार्मिक सम्मेलनों और आयोजनों के लिए आवश्यक है। मंदिर के मुख्य द्वार पर ऊँचा मानस्तंभ बना हुआ है, जो जैन मूल्यों (समानता, अहिंसा) का प्रतीक — जटिल नक्काशी और मूर्तियों से सजा है।
मंदिर में मुख्य रूप से तीन ऊँची सतहें (वेदी) हैं, जिन पर जैन तीर्थंकरों की प्रतिमाएँ स्थापित हैं। मुख्य वेदी पर 1956 में भूगर्भ से प्रकट हुई 15 इंच की पद्मासन मुद्रा वाली चंद्रप्रभु की प्रतिमा स्थापित है। इसके अतिरिक्त, मंदिर में भगवान पार्श्वनाथ और भगवान महावीर सहित अन्य तीर्थंकरों की प्रतिमाएं भी स्थापित हैं।
मंदिर परिसर के पीछे पूर्व दिशा में ‘चंद्रगिरी वाटिका’ नामक एक विशाल और आकर्षक विस्तार निर्मित किया गया है। वाटिका का केंद्रीय आकर्षण भगवान श्री चंद्रप्रभु स्वामी की 15 फुट 3 इंच ऊँची विशाल प्रतिमा है। इस प्रतिमा के दाएं और बाएं 24 तीर्थंकरों की प्रतिमाएँ भी विराजित हैं, जो इसे एक पूर्ण जैन धार्मिक केंद्र बनाती हैं।
वाटिका में कृत्रिम झरने, फव्वारे, सुंदर फूलों से लदे पौधे और हरी भरी घास वाला एक विशाल उद्यान है, जो मन को आकर्षित करता है। यहाँ जैन दर्शन को दर्शाने वाली एक विशाल चलचित्र झांकी (cinematic tableau) का निर्माण किया गया है। इसके अलावा, बच्चों को आकर्षित करने और उन्हें जैन धर्म से जोड़ने के उद्देश्य से विशेष रूप से वाल फाउंटेन, झूले और हाथी आदि बनाए गए हैं।
तिजारा जैन मंदिर अलवर तक कैसे पहुँचें?
मंदिर का स्थान: तिजारा जैन मंदिर राजस्थान के अलवर जिले के तिजारा में स्थित है।
Naldeshwar Mahadev Temple Alwar Google Map Location:
मंदिर तक पहुंचने का विकल्प इस प्रकार है:
- हवाई मार्ग: इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट दिल्ली मंदिर से लगभग 90 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। हवाई अड्डे से आप टैक्सी, बस या अन्य स्थानीय परिवहन का उपयोग करके अलवर शहर तक पहुँच सकते हैं। अलवर पहुंचने के बाद आप टैक्सी, बस या अन्य स्थानीय परिवहन का उपयोग करके मंदिर तक पहुंच सकते हो।
- रेल मार्ग: मंदिर का नजदीकी रेलवे स्टेशन अलवर जंक्शन रेलवे स्टेशन मंदिर से लगभग 56 किलोमीटर दूर है। रेलवे स्टेशन से आप ऑटो, टैक्सी या अन्य स्थानीय परिवहन का उपयोग करके मंदिर तक पहुँच सकते हैं।
- सड़क मार्ग: मंदिर अलवर बस स्टैंड से लगभग 56 किलोमीटर दूर है। आप टैक्सी, बस, या अन्य सड़क परिवहन सेवाएँ लेकर अलवर पहुँच सकते हैं। अलवर पहुँचने के बाद, आप स्थानीय बस, टैक्सी, या ऑटो-रिक्शा से मंदिर तक पहुँच सकते हैं। जयपुर से इस मंदिर की दूरी लगभग 200 किलोमीटर है।