त्रिपुरा सुंदरी मंदिर बांसवाड़ा | Shree Tripura Sundari Temple Banswara

राजस्थान के बांसवाड़ा जिले में स्थित श्री त्रिपुरा सुंदरी मंदिर एक प्राचीन और प्रसिद्ध शक्तिपीठ है। यह मंदिर बांसवाड़ा से लगभग 18-20 किलोमीटर दूर तलवाड़ा गाँव के पास स्थित है। यहाँ माँ त्रिपुरा सुंदरी की 18 भुजाओं वाली मूर्ति भक्तों के लिए आकर्षण का केंद्र है। मान्यता है कि यह मंदिर शक्तिपीठों में से एक है और यहाँ देवी की शक्ति असीम रूप से विद्यमान है। बांसवाड़ा, जिसे “सौ द्वीपों का शहर” कहा जाता है, राजस्थान के दक्षिणी हिस्से में अरावली पहाड़ियों के बीच बसा एक खूबसूरत शहर है। यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक स्थल इसे विशेष बनाते हैं।

त्रिपुरा सुंदरी मंदिर बांसवाड़ा (Shree Tripura Sundari Temple Banswara)

मंदिर का नाम:-त्रिपुरा सुंदरी मंदिर (Shree Tripura Sundari Temple)
स्थान:-तलवाड़ा, बांसवाड़ा, राजस्थान
समर्पित देवता:-माँ त्रिपुरा सुंदरी (शक्ति पीठ, शक्ति स्वरूप)
निर्माण वर्ष:-प्राचीन (सटीक समय अज्ञात)
प्रसिद्ध त्यौहार:-नवरात्रि

त्रिपुरा सुंदरी मंदिर बांसवाड़ा का इतिहास

त्रिपुरा सुंदरी मंदिर, बांसवाड़ा की वास्तविक स्थापना का समय स्पष्ट नहीं है, लेकिन माना जाता है कि यह हजारों वर्ष पुराना तथा प्राचीन है और यहाँ आदि काल से माँ की पूजा की जा रही है। इस क्षेत्र में विक्रम संवत 1540 का एक शिलालेख मिला है। इससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि यह मंदिर सम्राट कनिष्क काल का है। कुछ विद्वान देवी मां की शक्तिपीठ का अस्तित्व यहां तीसरी सदी से पूर्व मानते हैं। ऐसा माना जाता है कि गुजरात, मालवा और मारवाड़ के शासक त्रिपुरा सुंदरी के उपासक थे।

एक किवदंती यह भी है कि मां त्रिपुरा सुंदरी गुजरात के सोलंकी राजा सिद्धराज जयसिंह की इष्ट देवी थी। वह मां की पूजा के बाद ही युद्ध पर जाते थे। यह भी कहा जाता है कि मालवा नरेश जगदेव परमार ने तो मां के चरणों में अपना शीश ही काट कर अर्पित कर दिया था। उसी समय राजा सिद्धराज की प्रार्थना पर मां ने जगदेव को फिर से जीवित कर दिया था।

मंदिर का जीर्णोद्धार पंचाल जाति के चंदा भाई लुहार ने तीसरी शताब्दी के आसपास करवाया था। मंदिर के पास ही भागी खदान है, जहां कभी लोहे की खदान हुआ करती थी। किंवदांती के अनुसार एक दिन त्रिपुरा सुंदरी भिखारिन के रूप में खदान के द्वार पर पहुंची, किन्तु पांचालों ने उस तरफ ध्यान नहीं दिया। देवी ने क्रोधवश खदान ध्वस्त कर दी, जिसमे कई लोग मारे गए थे। देवी मां को प्रसन्न करने के लिए पांचालों ने यहां मां का मंदिर तथा तालाब बनवाया था। इस मंदिर का 16 वीं शताब्दी में जीर्णोद्धार कराया था। आज भी त्रिपुरा सुन्दरी मंदिर की देखभाल पांचाल समाज ही करता है।

प्रचलित पौराणिक कथा अनुसार के दक्ष-यज्ञ के विध्वंस के बाद भगवन शिवजी सती के शव को कंधे पर उठाकर ले जाने लगे। तब भगवान विष्णु ने संसार को प्रलय से बचाने के लिए योगमाया के सुदर्शन चक्र की सहायता से सती के शरीर को खंडित करना शुरू किया और भूतल पर गिराना शुरू किया। उस समय जहां-जहां सती के शरीर के टुकड़े गिरे, वे सभी स्थान शक्तिपीठ बन गए। ऐसे 51 शक्तिपीठ हैं और उनमें से एक त्रिपुर सुंदरी भी है।

कहा जाता है कि मंदिर के आस-पास पहले कभी तीन दुर्ग थे। शक्तिपुरी, शिवपुरी और विष्णुपुरी नामक इन तीन पुरियों में स्थित होने के कारण देवी का नाम त्रिपुरा सुंदरी पड़ा था।

त्रिपुरा सुंदरी मंदिर बांसवाड़ा की वास्तुकला और संरचना

माँ त्रिपुरा सुंदरी की 5 फीट ऊँची काले पत्थर की मूर्ति स्थापित है, जो 18 भुजाओं वाली और सिंह पर सवार है। यह कक्ष वर्गाकार है और एक गुंबदनुमा छत से ढका है। इसमें श्री यंत्र और दस महाविद्या की छोटी मूर्तियाँ शामिल हैं, जो मंदिर की सांस्कृतिक और धार्मिक महत्ता को बढ़ाती हैं। मंदिर के पीछे त्रिवेद, दक्षिण में काली और उत्तर में अष्टभुजा सरस्वती मंदिर था, जिसके अवशेष आज भी मौजूद हैं।

माँ त्रिपुरा सुंदरी की मुर्ती

नवरात्रि पर्व के अवसर पर मंदिर में प्रतिदिन विशेष कार्यक्रम होते हैं, जिन्हें विशेष समारोह के रूप में मनाया जाता है। नौ दिनों तक प्रतिदिन त्रिपुर सुंदरी के श्रृंगार की मनमोहक झांकी मन मोह लेती है। यहाँ पर राजस्थान के अलावा गुजरात, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, दिल्ली और महाराष्ट्र से भी लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं।

त्रिपुरा सुंदरी मंदिर बांसवाड़ा तक कैसे पहुँचें?

मंदिर का स्थान: श्री त्रिपुरा सुंदरी मंदिर, जो तलवाड़ा, बांसवाड़ा, राजस्थान में स्थित है।

इस मंदिर तक पहुँचने के लिए विभिन्न परिवहन विकल्प उपलब्ध हैं, जिनमें हवाई, रेल और सड़क मार्ग शामिल हैं।

  • हवाई मार्ग: सबसे नज़दीकी हवाई अड्डा उदयपुर हवाई अड्डा (महाराणा प्रताप हवाई अड्डा) है, जो बांसवाड़ा से लगभग 165 किलोमीटर दूर है। हवाई अड्डे से उदयपुर शहर तक टैक्सी या बस से लगभग 20 किलोमीटर, 30 मिनट में पहुँचा जा सकता है। वहाँ से, आप बांसवाड़ा तक बस या टैक्सी ले सकते हैं। बांसवाड़ा पहुँचने के बाद, तलवाड़ा गाँव तक स्थानीय बस या टैक्सी से पहुँचा जा सकता है, जो लगभग 18-20 किलोमीटर की दूरी है और 30 मिनट का समय लगता है।
  • रेल मार्ग: सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन रतलाम (मध्य प्रदेश) है, जो बांसवाड़ा से लगभग 80 किलोमीटर दूर है। रतलाम से बस या टैक्सी से बांसवाड़ा पहुँचा जा सकता है, जो 1 घंटे 11 मिनट का समय लेता है और दूरी लगभग 84 किलोमीटर है। बांसवाड़ा पहुँचने के बाद, तलवाड़ा गाँव तक स्थानीय बस या टैक्सी से पहुँचा जा सकता है, जो लगभग 18-20 किलोमीटर की दूरी है और 30 मिनट का समय लगता है।
  • सड़क मार्ग: सड़क मार्ग से आप बसों या अपने निजी वाहनों से बांसवाड़ा पहुंच सकते है, और बांसवाड़ा पहुँचने के बाद, तलवाड़ा तक स्थानीय बसें या टैक्सियाँ उपलब्ध हैं। तलवाड़ा की दूरी बांसवाड़ा से लगभग 18-20 किलोमीटर है, जो 30 मिनट में तय की जा सकती है।

त्रिपुरा सुंदरी मंदिर बांसवाड़ा के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

  1. बांसवाड़ा से त्रिपुरा सुंदरी मंदिर कितनी दूर है?

    बांसवाड़ा से त्रिपुरा सुंदरी मंदिर की दूरी लगभग 18-20 किलोमीटर है।

  2. क्या त्रिपुरा सुंदरी बांसवाड़ा एक शक्ति पीठ है?

    हाँ, बांसवाड़ा में स्थित त्रिपुरा सुंदरी मंदिर को 52 शक्ति पीठों में से एक माना जाता है।


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